नई दिल्ली। पद से बर्खास्तगी को लेकर भारत में निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक आईसीआईसीआई की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और प्रबंध निदेशक (एमडी) चंदा कोचर की याचिका सर्वोच्च न्यायालय में मंगलवार 1 दिसंबर को खारिज हो गई। कोचर की याचिका को पूर्व में बॉम्बे हाईकोर्ट ने खारिज किया था जिसे उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि वह उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप का इच्छुक नहीं है।
सर्वोच्च न्यायालय ने यह कहा
न्यायमूर्ति संजय कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कोचर का मामला एक निजी बैंक और कर्मचारी के बीच का है। अदालत ने इसे निजी सेवा समझौते वाला मामला मानते हुए कहा कि वह इस संदर्भ में उच्च न्यायालय के फैसले से सहमत है और उसमे दखल देने का इच्छुक नहीं है।
कोचर और बैंक के बीच विवाद की जड़
चंदा कोचर पर आरोप है कि उन्होंने बैंक की प्रबंध निदेशक रहते हुए 3250 करोड़ रुपए के ऋण की गड़बड़ियां कीं। उनके बारे में शिकायत रही है कि उन्होंने अपने पति दीपक कोचर को परोक्ष लाभ पहुंचाने की नीयत से वीडियोकॉन समूह को ऋण उपलब्ध कराया था। बैंक प्रबंधन ने इस मामले में उन्हें उनके पद से बर्खास्त कर दिया था। उच्च न्यायालय में दी गई याचिका में कोचर ने कहा था कि बैंक ने उन्हें फरवरी 2019 में बर्खास्तगी का पत्र सौंपा जबकि समय पूर्व सेवानिवृत्ति के लिए उनके प्रार्थना पत्र को अक्टूबर 2018 में ही स्वीकार कर लिया गया था।