इसरोहैदराबाद

“अब चंदा मामा के इलाके में हूं…” उतरने से पहले चंद्रयान-3 ने धरतीवासियों को भेजा मैसेज

जैसे कोई नौजवान परदेस से पहले चिट्ठी और अब तस्वीरें भेजकर बताए कि मैं यहां हूं। हो सकता है अपने साथ के लोगों के साथ मस्ती भी करे। दूसरे लोगों में ईर्ष्या भावना के लिए चुटकी ले, कुछ वैसा ही संदेश अपना चंद्रयान-3 भी धरतीवासियों को दे रहा है। उसने संदेशा भेजा है कि वह चांद की कक्षा में पहुंच चुका है।
अगर चांद पर लोग होते और अपना चंद्रयान बोल पाता तो इस समय शायद यही गाना गा रहा होता- अरे चांद वालो, मुझे पहचानो। धरती से आया कौन हूं मैं… मैं हूं मैं हूं मैं हूं चंद्रयान। जी हां, इस पल के उत्साह को सिर्फ भारतीय महसूस कर सकते हैं। अपना चंद्रयान चंदा मामा के इलाके में पहुंच चुका है। जैसे-जैसे वह करीब जा रहा है, धरती पर मैसेज भी भेज रहा है।
दरअसल, इसरो ने ट्विटर हैंडल बनाया है। इससे हो रहे मैसेज एक तरह से चंद्रयान-3 का संदेश समझ लीजिए। कुछ घंटे पहले एक तस्वीर के जरिए इसरो ने बताया कि अपना यान कहां पहुंचा है और क्या कर रहा है। मैसेज चंद्रयान-3 की तरफ से था, ‘हे धरतीवासियो, मैं चंद्रमा की कक्षा में पहुंच चुका हूं।’ इस कंप्यूटर इमेज में चंद्रमा की सतह पर गड्ढे और दूर पृथ्वी दिखाई गई है। इसके बाद एक और संदेश चंद्रयान-3 की तरफ से आया। वह चांद के और करीब पहुंच गया। जी हां, 9 अगस्त की दोपहर जिस समय संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर जोरदार बहस चल रही थी, हजारों किमी दूर मौजूद अपना चंद्रयान चांद पर उतरने के और करीब पहुंच गया।
इसरो ने बताया, कहां है अपना यान
भारत का महत्वाकांक्षी तीसरा चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-3’ बुधवार को कक्षा में नीचे लाए जाने की एक और सफल प्रक्रिया से गुजरा। सरल भाषा में इसे यूं समझिए कि यह चांद की सतह पर सीधे उतरने से पहले छोटे-छोटे ब्रेक ले रहा है और अपनी स्पीड को धीमा करता जा रहा है। 14 जुलाई को सफर पर निकले अपने यान ने 5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में एंट्री ली थी। इसरो ने ट्वीट में कहा, ‘चंद्रमा की सतह के और नजदीक। अब चंद्रयान-3 की कक्षा घटकर 174 किमी Û 1437 किमी रह गई है।’ अगली प्रक्रिया 14 अगस्त, 2023 को सुबह 11ः30 से दोपहर 12ः30 बजे के बीच होनी है।
अब आगे क्या होगा
पूरा देश दुआएं कर रहा है। इस बार सॉफ्ट लैंडिंग हो और हम न सही, हमारा यान चांद पर हो। महत्वाकांक्षी मिशन के आगे बढ़ने के साथ ही चंद्रयान-3 की कक्षा को धीरे-धीरे कम करने और इसकी स्थिति चांद के धु्रवों के ऊपर करने के लिए इसरो स्टेप-बाई-स्टेप आगे बढ़ रहा है। अंतरिक्ष यान को चंद्रमा के करीब लाने के लिए दो और प्रक्रियाएं की जाएंगी। ये प्रक्रियाएं 14 और 16 अगस्त को 100 किमी की कक्षा तक पहुंचने के लिए की जाएंगी। इसके बाद लैंडर और रोवर वाला ‘लैंडिंग मॉड्यूल’ आगे की प्रक्रिया के तहत ‘प्रपल्शन मॉड्यूल’ से अलग हो जाएगा। लैंडर के धीमे होने की प्रक्रिया से गुजरने के बाद 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी धु्रव इलाके पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने की उम्मीद है।
इंजन फेल हो तब भी सॉफ्ट लैंडिंग पक्की!
हां, इस बार इसरो के वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसी ही पुख्ता तैयारी कर रखी है। इसरो के प्रमुख एस. सोमनाथ ने हाल में कहा कि चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। भले ही सभी सेंसर और दो इंजन काम करने में फेल हो जाएं, फिर भी सॉफ्ट लैंडिंग सुनिश्चित की जाएगी। इसरो टीम के सामने सबसे बड़ी चुनौती क्षैतिज विक्रम को चंद्रमा की सतह पर लंबवत रूप से उतारना है। एक बार जब लैंडर अलग हो जाएगा, तो यह क्षैतिज रूप से चलेगा। इसरो चीफ ने यह भी कहा है कि चंद्रयान-3 अच्छी हालत में है और सबसे महत्वपूर्ण चरण कक्षा निर्धारण प्रक्रिया होगी, जब अंतरिक्षयान 100 किमी की वृत्ताकार कक्षा से चंद्रमा के करीब जाना शुरू करेगा।

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