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चीन ने विकसित किया स्टील्थ कोटिंग मटेरियल, एंटी-स्टील्थ रडार होंगे बेअसर

बीजिंग। चीन ने लड़ाकू विमानों को रडार की नजरों से छुपाने के लिए एक विशेष स्टील्थ कोटिंग मटेरियल विकसित किया है। यह सामग्री विमानों और अन्य रक्षा उपकरणों को एंटी-स्टील्थ रडार से बचाने में सक्षम होगी। शुरुआत में इसे लड़ाकू विमानों पर इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे ये दुश्मन के रडार सिस्टम को चकमा दे सकेंगे। वर्तमान में, चीन के पास पहले से ही दो स्टील्थ लड़ाकू विमान हैं, लेकिन इस नई कोटिंग के जरिए बाकी विमानों को भी स्टील्थ तकनीक से लैस किया जा सकेगा।
रडार की पकड़ से बचने में मददगार
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, यह कोटिंग नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ डिफेंस टेक्नोलॉजी द्वारा तैयार की गई है।
• यह सामग्री 2.3 फीट से 0.6 फीट तरंग दैर्ध्य की विद्युत चुम्बकीय तरंगों को गर्मी में बदल सकती है।
• यह पी-बैंड और एल-बैंड रडार की ऑपरेटिंग बैंडविड्थ को कवर करती है।
• हल्की और लचीली होने के कारण इसे आसानी से बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जा सकता है।
इसकी विशेषताएं इसे लड़ाकू विमानों और अन्य हथियार प्रणालियों पर उपयोग के लिए उपयुक्त बनाती हैं, जहां स्टील्थ क्षमताओं की जरूरत होती है।
चीन की सैन्य शक्ति में होगा इजाफा
वैज्ञानिकों का दावा है कि यह नई सामग्री न केवल किफायती है, बल्कि इसे विभिन्न सैन्य उपकरणों में इस्तेमाल किया जा सकता है।
• यह तकनीक चीन के रक्षा उद्योग को अत्यधिक मजबूती प्रदान करेगी।
• विशेषज्ञों के अनुसार, यह भविष्य के युद्धों में चीन की जीत सुनिश्चित करने का महत्वपूर्ण जरिया बन सकती है।
• चीन मेटामटेरियल तकनीक में अग्रणी है और दुनिया में सबसे अधिक पेटेंट उसके पास हैं।
क्या है स्टील्थ तकनीक?
स्टील्थ तकनीक को लो ऑब्जर्वेबल टेक्नोलॉजी के नाम से भी जाना जाता है।
• इसका इस्तेमाल किसी वस्तु को रडार की पकड़ से बचाने के लिए किया जाता है।
• यह तकनीक विशेष रूप से लड़ाकू विमानों और रक्षा उपकरणों में लागू की जाती है।
• इसका पहला इस्तेमाल अमेरिका ने 1958 में शीत युद्ध के दौरान किया, जब सोवियत संघ ने कई यू-2 जासूसी विमानों को गिरा दिया था। चीन की यह नई स्टील्थ कोटिंग तकनीक उसकी सैन्य क्षमताओं में बड़ा सुधार लाने वाली है। यह न केवल आधुनिक युद्ध में चीन को बढ़त दिलाएगी, बल्कि उसे रक्षा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी अग्रणी बनाएगी।

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