सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ समर वेकेशन के दौरान ब्रिटेन गए थे। वहां एक इवेंट के दौरान एक शख्स ने पूछा कि सुप्रीम कोर्ट में जजों की बेंच की कुर्सियां एक जैसी क्यों नहीं हैं। यानी उनकी बैक रेस्ट की ऊंचाई अलग-अलग क्यों है?
सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट रूम की सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग के बाद इसमें कई बदलाव किए गए हैं। यहां पर लगी कुर्सियों की ऊंचाई के बारे पहले किसी भी अधिकारी या जज ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया था। ध्यान दिलाने के बाद सीजेआई जब भारत लौटे तो उन्होंने सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट का मेंटिनेंस देखने वाले रजिस्ट्री अधिकारी को इस बारे में बताया और बदलाव के निर्देश दिए। दरअसल, सवाल पूछने वाले शख्स ने कई मुकदमों की ऑनलाइन स्ट्रीमिंग देखी थी, जिसमें उसने कुर्सियों को नोटिस किया। जब सीजेआई से मुलाकात हुई तो उसने यह सवाल पूछ लिया।
जज अपनी सुविधा के अनुसार एडजस्ट करवाते थे कुर्सी
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक रजिस्ट्री अधिकारियों ने बताया कि सालों से जज कोर्ट रूम में अपनी कुर्सियों को अपनी जरूरतों और आराम के अनुसार एडजस्ट करवाते रहे हैं। कोर्ट रूम में जजों को लंबे वक्त तक बैठना पड़ता है, इसलिए उन्हें पीठ दर्द जैसी समस्याएं भी होती रहती हैं। बेंच पर कुर्सियों की ऊंचाई अलग है, इस पर कभी किसी अधिकारी का ध्यान नहीं गया था, जब तक कि सीजेआई ने इस बारे में नहीं बताया था।
गर्मी की छुट्टियों में बदला कोर्ट रूम का लुक और इंटीरियर
सीजेआई ने निर्देश दिया कि भले ही कुर्सी के बाकी हिस्सों- शोल्डर, नेक और बैक या थाई सपोर्ट को एडजस्टेबल बनाया जा सकता है, लेकिन उसकी हाइट को एक जैसा रखा जाना चाहिए। 21 मई से 2 जुलाई तक जब सुप्रीम कोर्ट समर वेकेशन के लिए बंद रहा, तब इन कुर्सियों को एक जैसे लुक और ऊंचाई पर सेट किया गया। कोर्ट खुलने से पहले ही कुर्सियों को बेहतर बैक और शोल्डर सपोर्ट के साथ एडजस्ट कर दिया गया।
370 की सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने बदली थी कुर्सी
सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री ऑफिशियल्स ने बताया कि ये कुर्सियां कुछ दशक पुरानी थीं। हालांकि, वे खरीद का सही साल नहीं बता सके। उन्होंने कहा- इन कुर्सियों का मेन ढांचा कभी नहीं बदला गया, क्योंकि अदालत पारंपरिक डिजाइन को बरकरार रखना चाहती है। नए बदलाव के बाद भी ये कुर्सियां इस्तेमाल में आरामदायक नहीं बन सकीं। ऐसा इसलिए क्योंकि जस्टिस सूर्यकांत, जिन्हें पीठ दर्द की समस्या है, वे भी 2 अगस्त को संविधान के अनुच्छेद 370 में किए गए बदलावों को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई के दौरान एक छोटी ऑफिस कुर्सी पर बैठे नजर आए थे।
सुप्रीम कोर्ट में ये बदलाव भी हुए
3 जुलाई को जब कोर्ट रूम खुले तो ये नए कलेवर में नजर आए। रूम नंबर 1 से लेकर रूम नंबर 5 तक पूरी तरह से पेपरलेस हो गया। कई डिजिटल स्क्रीन, बार रूम और कोर्ट के गलियारों में वाई-फाई कनेक्टिविटी के साथ एडवांस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाएं शुरू हो गई हैं। कोर्ट रूम में एक वीडियो वॉल भी बनाई गई है, जहां भविष्य में एलईडी लगाई जाएगी।