राजस्थान के इतिहास में पहली बार किसी महापौर का निलंबन, जांच प्रभावित होने की वजह से डीएलबी ने दिए आदेश
जयपुर नगर निगम ग्रेटर आयुक्त (commissioner) यज्ञमित्र सिंह देव के साथ मुख्यालय में हुई मारपीट के मामले में स्वायत्त शासन विभाग ने महापौर (mayor) सौम्या गुर्जर और आरोपित तीन पार्षदों को निलंबित कर दिया है। राजस्थान के इतिहास में यह पहला मौका है, जब किसी महापौर को निलंबित (suspend) किया गया है।
डीएलबी की ओर से जारी आदेशों में लिखा गया है कि वार्ड 87 की पार्षद और निवर्तमान महापौर सौम्या गुर्जर की मौजूदगी में नगर निगम आयुक्त के साथ अभद्र भाषा का इस्तेमाल और राजकार्य में बाधा के साथ ही उनकी सहमति से आयुक्त के साथ धक्का—मुक्की की जांच उपनिदेशक क्षेत्रीय, स्थानीय निकाय की ओर से करवाई गई। जांच में सौम्या गुर्जर दोषी पाई गई।
इस पर राज्य सरकार ने उनके खिलाफ न्यायिक जांच करने का निर्णय लिया है। उनके महापौर पद पर रहने से जांच प्रभावित होने की पूरी संभावना है, इसलिए राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 2009 की धारा 39 (6) का प्रयोग करते हुए उन्हें महापौर व सदस्य वार्ड 87 के पद से निलंबित करती है।
इस मामले में वार्ड 72 पार्षद और चेयरमैन पारस जैन, वार्ड 39 पार्षद अजय सिंह चौहान और वार्ड 103 पार्षद शंकर शर्मा को भी निलंबित किया गया है। इन तीनों पर आयुक्त के साथ मारपीट, धक्का—मुक्की और अभद्र भाषा का प्रयोग करने की वजह से कार्रवाई की गई है।
विनाश काले विपरीत बुद्धि
सरकार की ओर से महापौर और तीन पार्षदों के निलंबन का आदेश जारी होने के बाद भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने ट्वीट कर कहा कि ‘विनाश काले विपरीत बुद्धि’ इतिहास गवाह है कि जून के महीने में ही आपातकाल लगा था और कांग्रेस के पतन की शुरूआत हुई थी, जयपुर ग्रेटर की मेयर और पार्षदों का निलंबन दुर्भाग्यपूर्ण तो है, लेकिन यही राजस्थान में कांग्रेस पतन का कारण बनेगा। पार्टी हर तरीके से न्याय की लड़ाई लड़ेगी। निलंबन के बाद सौम्या गुर्जर ने भी एक लाइन का ट्वीट किया कि ‘सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं’।
अब होगा न्यायालय की ओर रुख
आयुक्त से मारपीट प्रकरण में सरकार की ओर से बेहद सख्त कदम उठाया गया है। इसके बाद भाजपा के पास सिर्फ न्यायालय की ओर रुख करने का ही रास्ता बचा है। भाजपा को पहले ही अंदेशा हो गया था कि सरकार इस मामले में कड़ा रुख अपना सकती है, ऐसे में भाजपा की ओर से अग्रिम रणनीति बनाने के लिए भाजपा प्रदेश कार्यालय में बैठक का आयोजन किया गया था, लेकिन इस बैठक में अधिकांश शहर विधायक गायब रहे। बैठक में प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया, नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया, पूर्व मंत्री अरुण चतुर्वेदी और शहर अध्यक्ष राघव शर्मा शामिल रहे। बैठक में हुई चर्चा को भी गुप्त रखा गया।
भाजपा की छवि को गहरा आघात
भाजपा सूत्रों का कहना है कि महापौर सौम्या गुर्जर का अभी तक का कार्यकाल विवादित रहा है। उनके कार्यकलाप और हर निर्णय पर विवाद हुआ और उनमें कहीं भी संगठन से राय-मशविरा की छाप दिखाई नहीं दे रही थी। शहर भाजपा ने महापौर से दूरी बना रखी थी और कोई भी विधायक या विधायक प्रत्याशी उनके साथ दिखाई नहीं दे रहा था। विद्याधर नगर कच्ची बस्ती प्रकरण में महापौर की इसी नीति के कारण भाजपा को बैकफुट में आना पड़ा था और अब इस मामले में भी भाजपा बैकफुट में आ गई है, जिससे पार्टी की छवि को काफी नुकसान पहुंचा है।