उत्तर प्रदेश(UP) में विधानसभा चुनाव सिर पर हैं। ऐसे में क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi ) और क्या अखिलेश-मायावती, बड़े से बड़ा नेता हो या आम कार्यकर्ता, किसी के पास इस समय राहत की सांस (sigh of relief) लेने तक की फुर्सत नहीं है। कमाल की बात यह है कि इतनी जबरदस्त चुनावी मारामारी के बीच अखिल भारतीय कांग्रेस (Congress) कमेटी की महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा अपनी तीन दिनों की निजी यात्रा पर राजस्थान के रणथंभौर में सैर पर आई हैं। प्रियंका सवाई माधोपुर पहुंची है और यहां उनका टाइगर सफारी कर बाघों की अठखेलियां देखने का कार्यक्रम है।
प्रियंका के इस निजी दौरे पर कांग्रेस में कहा जा रहा है कि उत्तर प्रदेश से कांग्रेस पार्टी रणछोड़ हो गई हैं। यूपी के मौजूदा राजनीतिक हालात को देखते हुए कांग्रेस ने चुनावों से कदम पीछे खींचने शुरू कर दिए हैं। तभी तो उत्तर प्रदेश प्रभारी होने के बावजूद प्रियंका गांधी वाड्रा तीन दिनों के निजी दौरे पर रणथंभौर पहुंची हैं। यदि कांग्रेस का पीछे हटने का कोई प्रोग्राम नहीं होता तो क्या प्रियंका तीन दिनों के लिए उत्तर प्रदेश से बाहर निकल सकती थीं क्या?
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि इस बार उत्तर प्रदेश चुनावों में पूरी तरह से हिंदु-मुसलमान हो चुका है। भाजपा और विशेषतौर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तो यही चाहते थे कि उत्तर प्रदेश में यह हो और ओवैसी के उत्तर प्रदेश चुनावों में उतरने से भाजपा काफी खुश थी कि चुनावों में हिंदु-मुसलमान करने का काम ओवैसी कर देंगे लेकिन यहां तो खुद कांग्रेस के कर्णधारों ने ही भाजपा की राह आसान कर दी है। सलमान खुर्शीद की किताब, राहुल गांधी, मणिशंकर अय्यर, दिग्विजय सिंह के बयानों ने उत्तर प्रदेश में हिंदु वोटरों का ध्रुविकरण कर दिया है।
उधर सपा के अखिलेश यादव के बयानों ने आग में घी का काम किया। इसके बाद से ही संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी मुंहतोड़ जवाबी कार्रवाई करते हुए हिंदू और हिंदुत्व का राग छेड़ दिया है। ऐसे में अब यदि कांग्रेस यहां चुनावों के लिए डटी रहती तो एक तरफ भाजपा को फायदा पहुंचता, वहीं दूसरी ओर समाजवादी पार्टी को नुकसान उठाना पड़ता।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि इन परिस्थितियों में कांग्रेस ने भाजपा को नुकसान पहुंचाने और अखिलेश यादव को मजबूत करने के लिए चुनावों से कदम वापस खींचने का फैसला कर लिया लगता है। उत्तर प्रदेश चुनावों में इस बार मुख्य मुकाबला योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव के बीच ही है।
सत्ता के लिए नहीं, विपक्ष की चौधराहट के लिए जमीन छोड रही कांग्रेस
कहा जा रहा है कि कांग्रेस के लिए अब भाजपा से सत्ता छीनना दूर की कौड़ी है, क्योंकि कांग्रेस का उस ओर ध्यान ही नहीं है, बल्कि वह तो विपक्षी पार्टियों में चौधराहट दिखाने के लिए अपनी जमीन छोड़ती जा रही है। पहले बिहार में कांग्रेस ने तेजस्वी यादव के साथ कम सीटों पर समझौता करके अपनी किरकिरी कराई। आज तेजस्वी यादव कांग्रेस पर आरोप लगाते हैं कि कांग्रेस के कारण बिहार में उनकी सरकार नहीं बन पाई। इसके बाद कांग्रेस ने ममता बनर्जी को जिताने के लिए बंगाल में मैदान छोड़ दिया।
अब कांग्रेस यदि अखिलेश को जिताने के लिए मैदान छोड़ती है, तो उसपर रणछोड़ पार्टी का धब्बा लगने में देर नहीं लगेगी। इतना बलिदान करने के बाद भी कांग्रेस के हाथ जस नहीं आया। अब ममता बनर्जी कांग्रेस को आंखें दिखाने में लगी हैं और वह कांग्रेस को विपक्ष का नेतृत्वकर्ता नहीं मान रही हैं, वरन वह खुद विपक्ष की एकछत्र नेतृत्वकर्ता बनने की कोशिशों में लगी हैं। अखिलेश ने भी इस बार कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन नहीं किया है।