राजस्थान (Rajasthan) में वैटलैंड (wetland) को चिन्हित कर उनके संरक्षण के कार्य प्राथमिकता के साथ किए जाएंगे। वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम विश्नोई ने राज्य में वैटलैंड (आद्र भूमि) को चिन्हिकरण (identifying ) कर उन्हें संरक्षित (Conservation) रखने के निर्देश दिये है ताकि विभाग आपसी तालमेल एवं समयबद्वता से इस कार्य को सुनिश्चित कर सके।
विश्नोई बुधवार, 20 अक्टूबर को राजस्थान शासन सचिवालय में राज्य वैटलैंड प्राधिकरण की तीसरी समीक्षा बैठक को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सभी जिले राज्य में वैटलैंड का चिन्हिकरण कर शीघ्र विभाग को भिजवाएं जिससे इनके संरक्षण का कार्य शीघ्रता से किया जा सके। राज्य में वैटलैंड की परिभाषा को सरल एवं समझने लायक बनाया जाए, जिससे जनप्रतिनिधि, अधिकारी एवं आमजन को समझ में आए तथा वे प्राकृतिक सौन्दर्य को बढ़ाने वाले वैटलेंड की सुरक्षा में अपनी भूमिका निभा सकें।
विभाग को इस संबंध में लगातार बैठकें करनी चाहिए, साथ ही वैटलैंड के संरक्षण के संबंध में प्रचार-प्रसार करना चाहिए। सांभर झील के लिए नवगठित सांभर झील प्रबंधन एंजेसी द्वारा सांभर झील को रामसर साइट के रूप में संरक्षित रखना, झील के पारिस्थितिकी तंत्र एवं जेनेटिक विविधता को बनाए रखना तथा झील के आसपास अतिक्रमण को हटाने सहित विभिन्न कार्य किए जाएंगे ।
मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने कहा कि राज्य की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए राज्य में वैटलैंड की काफी गुजांइश है। ऐसे में अधिकारियों को शीघ्र इस संबंध में सर्वे कर केंद्र सरकार से अधिसूचित कराना चाहिए। जिन जिलों में एक भी वेटलेंड की सूचना विभाग को नहीं है, वहां अधिकारियों को पुन: समीक्षा करनी चाहिए।
बैठक में स्टेट वैटलेंड ऑथोरिटी की भूमिका, नवगठित साभंर झील प्रबंधन एजेन्सी के कार्य, राज्य में आद्र्रभूमि की स्थिति एवं एसआरएसएसी जोधपुर द्वारा वैटलैंडस का डिजिटलाइजेशन कार्य, लेक ऑथोरिटी का उत्तरदायित्व सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई।