जयपुर। कोरोना काल में संक्रमण के प्रभाव से पस्त पड़े व्यापारियों पर मंगलवार सुबह नगर निगम मानवीयता की हदें लांघ कर कार्रवाई की। निगम की इस कार्रवाई से दुकानदारों में रोष व्याप्त हो गया और उन्होंने दस्ते का विरोध किया।
व्यापारियों ने निगम दस्ते पर अस्थाई अतिक्रमण हटाने के नाम पर वसूली करने का आरोप लगाया। विरोध के बाद दस्ता कार्रवाई खत्म कर वापस लौट गया। नगर निगम के सतर्कता निरीक्षक राकेश यादव के नेतृत्व में निगम का दस्ता सुबह मानसरोवर के परमहंस मार्ग पर कार्रवाई करने पहुंचा था।
दस्ते ने दुकानों के बाहर रखा सामान जप्त करना शुरू किया। अस्थाई अतिक्रमण करने वाले दुकानदारों के मोटे-मोटे चालान बनाने शुरू कर दिए। एक व्यापारी का तो 15 हजार रुपए का चालान बना दिया गया। निगम की इस कार्रवाई से व्यापारी भड़क गए और दस्ते का विरोध करने लगे।
व्यापारियों ने आरोप लगाया कि पैसे नहीं देने पर दस्ते ने व्यापारियों के चालान बनाए। अस्थाई अतिक्रमण के नाम पर बोर्ड बैनर हटाने के नाम पर तोडफ़ोड़ की कार्रवाई की गई, जिससे व्यापारियों को नुकसान हुआ। कोरोनाकाल में निगम की यह अमानवीय कार्रवाई है।
कोरोना के कारण पहले से ही उनका व्यापार नहीं चल रहा है। तीन महीनों तक दुकानें बंद रही। लाखों का माल खराब हो गया। अभी भी ग्राहकी पूरी तरह से नहीं चल पा रही है और व्यापारी हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं, ऐसे समय में निगम की कार्रवाई गलत है।
व्यापारियों का कहना है कि कार्रवाई करने से निगम को बाज आना चाहिए। व्यापारियों का कहना है कि इस अमानवीय कार्रवाई के विरोध में वह जल्द ही निगम प्रशासन से मिलेंगे और मांग करेंगे कि आगामी दो-तीन महीनों तक निगम व्यापारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करे।