कोरोना महामारी को देखते हुए राजस्थान में वन विभाग घर-घर में औषधीय पौधों को लगाने के लिए अभियान चलाने वाला है। मानसून सीजन शुरू होने पर वन विभाग की ओर से यह औषधीय पौधे बांटे जाएंगे। इसके लिए विभाग की नर्सरियों में बड़े स्तर पर औषधीय पौधों की पौध तैयार कराना शुरू कर दिया है।
वन विभाग की प्रमुख शासन सचिव श्रेया गुहा ने कहा है कि ‘घर-घर औषधि योजना’ की सभी तैयारियां समय रहते पूरी की जाए। आमजन को योजना के बारे में जागरुक करने के लिए समुचित प्रयास किए जाएं। घर-घर औषधि योजना राज्य सरकार की महत्वपूर्ण योजना है। कोरोना संक्रमण के दौर में इस योजना का महत्व तो है ही, यह स्वास्थ्य के लिए सभी काल में उपयोगी भी है। इन औषधीय पौधों का उपयोग कर अपनी इम्यूनिटी को और बेहतर कर सकेंगे।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक (हॉफ) श्रुति शर्मा ने घर-घर औषधि योजना के साथ-साथ जुलाई में प्रस्तावित वन महोत्सव से जुड़ी तैयारियां भी समय रहते करने के लिए कहा। इस दौरान जयपुर, जोधपुर, अजमेर, बीकानेर, भरतपुर, कोटा और उदयपुर संभाग के मुख्य वन संरक्षकों ने योजना की प्रगति से अवगत करवाया।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक (विकास) डॉ. दीप नारायण पाण्डेय ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा घर-घर औषधि योजना के तहत 4 तरह की प्रजातियों तुलसी, अश्वगंधा, गिलोय और कालमेघ के औषधीय पौधे आमजन को वन विभाग की पौधशालाओं से वितरित किये जायेंगे। सभी मुख्य वन संरक्षक अपने-अपने जिलों की नर्सरियों में पौधे तैयार करवा रहे हैं। सभी प्रजातियों के पौधों की उपलब्धता पर्याप्त मात्रा में है। योजना के तहत घर-घर पौधों का वितरण कर समुचित तरीके से अभियान की सफलता सुनिश्चित की जाएगी।
उन्होंने बताया कि राजस्थान के गांवों में तुलसी, कालमेघ, अश्वगंधा और गुडूची के परम्परागत उपयोग की जानकारी भी पीढिय़ों से उपलब्ध है। स्वयं को स्वस्थ रखने में इस ज्ञान के उपयोग का भी बड़ा योगदान हो सकता है। घर-घर औषधि योजना केवल पौधे बांटने की योजना नहीं है बल्कि स्वास्थ्य और संरक्षण से जुड़े उन विचारों को बांटने की भी योजना है, जो औषधीय पौधों के योगदान को जन-मानस के माथे में बैठाते हैं।