आधिकारिक आंकड़ों के वर्तमान वित्त वर्ष के अप्रैल से जून तक के 3 महीनों में क्रूड ऑयल इंपोर्ट यानी कच्चे तेल का आयात बीते वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 2.9% बढ़कर 6.2 करोड़ टन रहा। इसका आयात खर्च 19% बढ़कर 37.5 बिलियन डॉलर रहा। यदि केवल जून माह की बात करें तो क्रू़ड ऑयल इंपोर्ट बीते साल के जून महीने की अपेक्षा करीब 6 फीसदी कम रहा लेकिन इस पर खर्च 11% बढ़कर 11.1 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया।
देश में क्रूड ऑयल उत्पादन नहीं बढ़ पाने के साथ इस दौरान पेट्रोलियम उत्पादों का उपभोग बढ़ा, लेकिन देश में उनके उत्पादन में कमी दर्ज की गई। कच्चा तेल आयात इस साल फरवरी से बढ़ रहा था और मई में रिकॉर्ड 2.18 करोड़ टन कच्चा तेल आयात किया गया। इस साल मई में सालभर पहले के मुकाबले 5.7% अधिक आयात किया गया था। मई के मुकाबले जून में आयात करीब 15% घटकर 1.85 करोड़ टन रहा। यह जून 2023 के मुकाबले भी 5.6% कम रहा।
औसत कच्चे तेल की कीमत 10% बढ़ी
भारत के लिए कच्चे तेल सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता देश रूस से सस्ते भाव पर जून में औसतन 20 लाख बैरल प्रतिदिन आयात हुआ। लेकिन जून में इंडियन बास्केट के लिए औसत ब्रेंट कच्चे तेल की कीमत सालभर पहले के मुकाबले 10% से अधिक रही। इस साल जून में यह 82.55 डॉलर प्रति बैरल रही, जो सालभर पहले 74.93 डॉलर प्रति बैरल थी। इस साल मई में औसत कीमत 83.62 डॉलर प्रति बैरल थी।
आयात पर निर्भरता बढ़ी
पेट्रोलियम मंत्रालय के अनुसार जून में 2 करोड़ टन पेट्रोलियम उत्पादों का उपभोग हुआ, जो सालभर पहले के इसी महीने में 1.95 करोड़ टन था। अप्रैल में खपत जहां साल भर पहले के मुकाबले 6.1% बढ़ी थी, वहीं मई में इसमें 1% की कमी दर्ज की गई थी। वहीं, देश में पेट्रोलियम उत्पादों का उत्पादन सालभर पहले के 2.31 करोड़ टन से 1.5% घटकर जून में 2.27 करोड़ टन पर आ गया।
देश में कच्चे तेल उत्पादन का लक्ष्य अप्रैल-जून के लिए 76 लाख टन का था लेकिन उत्पादन 67 लाख टन ही हुआ, जो सालभर पहले 69 लाख टन था। ओनजीसी का उत्पादन 44 लाख टन, ऑयल इंडिया का उत्पादन 9 लाख टन और प्राइवेट कंपनियों का उत्पादन 14 लाख टन रहा। पेट्रोलियम उत्पादों की खपत के आधार पर आयात पर निर्भरता जून में बढ़कर 88.8% हो गई, जो सालभर पहले 87.5% थी। मई में आयात निर्भरता 88% थी।