जयपुरधर्म

जब श्रीराम के लौटने पर दीपावली मनायी गयी तो क्यों करते हैं भगवान राम के बजाय लक्ष्मी गणेश पूजन ?

जब भगवान राम चौदह वर्षो के वनवास काटकर और रावण को मारकर अयोध्या पहुंचे तो अयोध्यावासियों ने पूरी अयोध्या नगरी को दीपों से सजाया और खुशियां मनायीं। पर दीपावली की रात लक्ष्मी जी का पूजन किया जाता है , क्या आपको पता है क्यों? आइये आपको इसका कारण बताते हैं।
पंडित बाबुलाल शास्त्री जी के अनुसार दीपावली का त्यौहार लोग आपको भगवान श्रीराम से अयोध्या लौटने पर दीपो से दीपावली मनाई जाती है, तो दीपावली पर लक्ष्मी पूजन भी क्यों होता है ? श्री राम की पूजा क्यों नही होती जिस की जानकारी जन साधारण को होना आवश्यक है। इसका उत्तर “दीपावली उत्सव दो युग “सतयुग” और “त्रेता युग” से जुड़ा हुआ है!”
दरअसल सतयुग में समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी उस दिन प्रगट हुई थी! इसलिए “लक्ष्मी पूजन” होता है।
सतयुग में इस दिन
देवताओं और राक्षसों के प्रयास से समुद्र मंथन किया गया तो इसमें कार्तिक मास की कृष्‍ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन भगवान धनवंतरि निकले। इसलिए इस दिन धनतेरस मनाई जाती है और अमावस्‍या के दिन लक्ष्‍मी बाहर आईं। इसलिए हर साल कार्तिक मास की अमावस्‍या पर माता लक्ष्‍मी की पूजा होती है। इसलिए इस पर्व के साथ “लक्ष्मी पूजन” भी है ,जो सतयुग से जुड़ा है
त्रेतायुग में इस दिन
भगवान श्री राम भी त्रेता युग मे इसी दिन अयोध्या लौटे थे। तो अयोध्या वासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। इसलिए इसका नाम दीपावली है।
क्यों होती है लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी की पूजा
सतयुग की बात विस्तार में करें तो लक्ष्मी जी जब सागर मन्थन में मिलीं और भगवान विष्णु से विवाह किया, तो उन्हें सृष्टि की धन और ऐश्वर्य की देवी बनाया गया। तो उन्होंने धन को बाँटने के लिए कुबेर को अधिकारी बनाया।
कुबेर कुछ कंजूस वृति के थे। वे धन बाँटते नहीं थे, स्वयं धन के भंडारी बन कर बैठ गए। माता लक्ष्मी परेशान हो गई। उनकी संतानों को उनकी कृपा नहीं मिल रही थी। उन्होंने अपनी व्यथा भगवान विष्णु को बताई! भगवान विष्णु ने उन्हें कहा, कि “तुम अधिकारी बदल लो!” इस पर माँ लक्ष्मी बोली, “यक्षों के राजा कुबेर मेरे परम भक्त हैं! उन्हें बुरा लगेगा। ”
तब भगवान विष्णु ने उन्हें श्री गणेश जी की दीर्घ और विशाल बुद्धि को प्रयोग करने की सलाह दी। माँ लक्ष्मी ने श्री गणेश जी को धन बांटने का अधिकारी बनने को कहा। श्री गणेश जी ठहरे महा बुद्धिमान! वे बोले, “माँ, मैं जिसका भी नाम बताऊंगा, उस पर आप कृपा कर देना। कोई किंतु, परन्तु नहीं । माँ लक्ष्मी ने हाँ कर दी।
अब श्री गणेश जी लोगों के सौभाग्य के विघ्न/रुकावट को दूर कर उनके लिए धनागमन के द्वार खोलने लगे। कुबेर भंडारी ही बनकर रह गए। श्री गणेश जी धन उपलब्ध करवाने वाले बन गए। गणेश जी की दरियादिली देख, माँ लक्ष्मी ने अपने मानस पुत्र श्री गणेश को आशीर्वाद दिया, कि जहाँ वे अपने पति नारायण के सँग ना हों, वहाँ उनका पुत्रवत गणेश उनके साथ रहें।
दीपावली कार्तिक अमावस्या को आती है। भगवान विष्णु उस समय योगनिद्रा में होते हैं। वे जागते हैं ग्यारह दिन बाद, देव उठावनी एकादशी को माँ लक्ष्मी को पृथ्वी भ्रमण करने आना होता है शरद पूर्णिमा से दीवाली के बीच के पन्द्रह दिनों में, तो वे सँग ले आती हैं श्री गणेश जी को। इसलिए दीपावली को लक्ष्मी-गणेश की पूजा होती है।

Related posts

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) 7वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (7th international Yoga Day) पर देश को संबोधित करेंगे

admin

डोमेस्टिक ट्यूरिस्ट की तलाश, नहीं तो पर्यटन हो जाएगा खल्लास

admin

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा केन्द्र-राज्य सरकारें मिलकर करें महामारी की दूसरी (2nd)लहर का सामना, सभी के लिए वैक्सीनेशन हो नि:शुल्क, राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन पर करें विचार

admin