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दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल की अंतरिम याचिका नामंजूर, 19 जून तक बढ़ाई न्यायिक हिरासत अवधि

दिल्ली में कथित शराब नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली की राउड एवेन्यू कोर्ट ने सीएम अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत की याचिका को खारिज कर दिया। यही नहीं अदालत ने उनकी न्यायिक हिरासत भी 19 जून 2024 तक के लिए बढ़ा दी।
राउज एवेन्यू कोर्ट की विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने चिकित्सा आधार पर 7 दिनों की अंतरिम जमानत मांगने वाली केजरीवाल की याचिका को खारिज तो कर दिया लेकिन अभी उनकी नियमित जमानत याचिका पर 7 जून को सुनवाई होनी है।
उल्लेखनीय है कि अरविंद केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय ( ईडी) ने 21 मार्च 24 को गिरफ्तार किया था। उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने 21 दिनों के लिए चुनाव प्रचार करने की छूट देते हुए 1 जून तक अंतरिम जमानत दी थी। इसके एक दिन बाद उन्होंने 2 दून तिहाड़ जेल अधिकारियों के सामने सरेंडर कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि केजरीवाल के लिए कुछ डायग्नोस्टिक टेस्ट के लिए कुछ निर्देश दिए गए हैं। वीसी के जरिए तिहाड़ जेल से कोर्ट में पेश किए गए केजरीवाल को 19 जून तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। अब उन्हें 19 जून को दोपहर 2 बजे अवकाशकालीन जज के सामने पेश किया जाएगा।
केजरीवाल की ओर से पेश हुए वकील विवेक जैन ने कहा कि केजरीवाल के वजन में कुछ बदलाव हुए हैं। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री की ओर से उचित आवेदन दायर कर यह स्पष्ट किया जाए कि उन्हें किस तरह की राहत चाहिए। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से पेश एसजीआई तुषार मेहता ने प्रारंभिक आपत्तियां उठाई थीं और कहा था कि अंतरिम जमानत याचिका विचारणीय नहीं है। ईडी की ओर से पेश एएसजी एसवी राजू ने भी दलील दी थी कि अंतरिम जमानत याचिका दाखिल करके केजरीवाल सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवधि बढ़ाने की मांग कर रहे हैं जो स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि हालांकि सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री ने केजरीवाल को नियमित जमानत के लिए आवेदन करने की छूट दी है लेकिन अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ाने की कोई छूट नहीं है।
एएसजी ने आगे कहा था कि पीएमएलए की धारा 45 के तहत जमानत देने की कठोरता अनिवार्य है और अंतरिम जमानत याचिका पर फैसला करते समय इसका पालन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब तक प्रथम दृष्टया यह मामला नहीं बनता कि कोई अपराध नहीं है, तब तक अंतरिम जमानत के लिए आवेदन मंजूर नहीं किया जा सकता। राजू ने यह भी कहा था कि केजरीवाल ने तथ्यों को छिपाया है क्योंकि उन्होंने अपने आवेदन में यह खुलासा नहीं किया कि उन्होंने इसी तरह की राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एन हरिहरन ने दलील दी थी कि मुख्यमंत्री की चिकित्सा स्थिति ऐसी है कि अंतरिम जमानत के लिए आवेदन करना जरूरी है। उन्होंने कहा था कि केजरीवाल को प्रचार करना पड़ा क्योंकि अंतरिम जमानत देने का यही उद्देश्य था और तनाव के कारण उनकी मधुमेह की समस्या बढ़ गई है।

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