दिल्लीराजनीति

अब आतिशी संभालेंगी दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुर्सी..

आतिशी का नाम दिल्ली सीएम के लिए नामित किया गया है। उन्होंने आप संयोजक अरविंद केजरीवाल को ‘गुरु’ बताया है। वह बोलीं कि वह उनके मार्गदर्शन में काम करेंगी। जानकारी मिली है कि वे 21 सितंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण कर सकती हैं।

दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार में लगभग 14 मंत्रालय संभालने वाली आतिशी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की अगली सीएम बनने जा रही हैं। मंगलवार को सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक उनके मुख्यमंत्री बनने की चर्चा गरमाई रही। पॉलिटिकल सर्किल्स में कई लोगों ने इसे (आतिशी को सीएम की गद्दी पर बैठाना) आप का सोचा-समझा और नपा-तुला स्ट्रैटेजिक मूव बताया। आतिशी का नाम सीएम की रेस में सबसे आगे निकलने के पीछे जो फैक्टर रहे, उनसे इतर यह भी कहा गया कि स्वाति मालिवाल से जुड़े प्रकरण ने भी उनकी राह आसान बनाई।
दरअसल, दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) की पूर्व चेयरपर्सन और सांसद स्वाति मालीवाल की अरविंद केजरीवाल के पीएम विभव कुमार से मुख्यमंत्री आवास में कथित तौर पर मारपीट हुई थी, जिसके बाद विरोधी दलों ने इसे मुद्दा बनाते हुए आप पर हमला बोला था। महिला सुरक्षा का मुद्दा उठाते हुए यह आरोप लगाया था कि आप में महिलाओं का अपमान किया जाता है। आप ने अब हालिया कदम से उस आरोप की भी काट निकालने की कोशिश की है।
कौन से पॉलिटिकल पैटर्न पर है आप?
राजनीतिक जानकार बताते हैं कि बिहार में जिस तरह महिला वोटर्स को जोड़ने के लिए सीएम नीतीश कुमार ने शराबबंदी की थी, उससे साफ हो गया था कि आधी आबादी सियासी दलों के लिए कितनी अहमियत रखती है। बीजेपी ने भी अलग-अलग योजनाओं के जरिए महिला वोटबैंक को जोड़ने और साधने के प्रयास किए। उसी तरह से दिल्ली में डीटीसी बसों में फ्री सफर मुहैया कराने का फैसला लिया गया।’
आप देना चाहती है भाजपा को जवाब
राजनीतिक जानकारों की माने तो राजनीति में परसेप्शन की बड़ी भूमिका होती है। जो नुकसान वहां स्वाति मालिवाल प्रकरण से आप को हुआ, उसकी भरपाई की यह (आतिशी को अगला सीएम बनाना) कोशिश है। ऐसे में महिला वोटर्स को फिर से आप के खेमे में लाने का यह बड़ा प्रयास है। इतना ही नहीं, आप यह भी संदेश देना चाहती है कि बीजेपी महिला मुख्यमंत्रियों (राजस्थान में वसुंधरा राजे को साइडलाइन करना आदि) का कद कम रही है और आप औरतों को नेतृत्व में मौके दे रही है। यह एक किस्म की लाइनिंग (पैटर्न, जिससे नारी सम्मान का संदेश देना है) है।’
…तो ये नैरेटिव तोड़ना चाहते हैं अरविंद केजरीवाल!
अरविंद केजरीवाल ने परसेप्शन की राजनीति में भ्रष्टाचार वाली छवि को खत्म करने का प्रयास (इस्तीफे के संदर्भ में) किया है। आप अगर दिल्ली में कमजोर होती है तब उसके अस्तित्व पर संकट खड़ा हो जाएगा। पहले यह भी नैरेटिव था कि आप के पास चेहरे की कमी है। कहा जाता था कि अरविंद केजरीवाल या मनीष सिसोदिया के स्तर का कोई नेता नहीं है। हालांकि, आप ने आतिशी को आगे करके अब यह भी साबित कर दिया कि उसके पास चेहरों की कमी नहीं है।

Related posts

अचानक पूरे श्रीलंका की बत्ती हुई गुल, अंधेरे में डूबे शहर: जानें क्या है वजह

Clearnews

ईडी की हिरासत में ऐसी गुजरी केजरीवाल की रात, खाया घर का बना खाना

Clearnews

सरकार चाहे बच जाये परन्तु पार्टी टूट गई

admin