नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (AAP) के पूर्व नेता और मंत्री कैलाश गहलोत ने पार्टी छोड़ने के 24 घंटे के भीतर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का दामन थाम लिया। हालांकि आम आदमी पार्टी में कुछ समय के लिए मायूसी अवश्य रही लेकिन गहलोत के इस्तीफे के बाद AAP ने जाट समुदाय को साधने के लिए पश्चिमी दिल्ली के नांगलोई से विधायक रघुविंदर शौकीन को दिल्ली की सीएम आतिशी की कैबिनेट में शामिल किया।
बीजेपी में कैलाश गहलोत का स्वागत
दिल्ली बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने गहलोत के शामिल होने पर उनका स्वागत करते हुए उनके अनुभव और क्षेत्रीय पकड़ की सराहना की। उन्होंने कहा कि वे गांव-देहात और युवाओं के लिए बेहतरीन काम करने वाले नेता हैं। उनका अनुभव पार्टी और जनता के लिए फायदेमंद होगा। इस मौके पर गहलोत ने कहा कि वे बिना किसी दबाव के बीजेपी में शामिल हुए हैं। उनका उद्देश्य हमेशा लोगों की सेवा करना रहा है, और अब वे बीजेपी में अपने कर्तव्यों का पूरी निष्ठा से पालन करेंगे।
जाट समुदाय और बीजेपी को बढ़त
कैलाश गहलोत जाट समुदाय से आते हैं और दो बार नजफगढ़ से विधायक रह चुके हैं। उनकी पार्टी में एंट्री से माना जा रहा है कि दिल्ली देहात में बीजेपी को जाट वोटरों का समर्थन मिल सकता है। गहलोत ने दिल्ली सरकार में परिवहन और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण विभाग संभाले थे और कई योजनाओं के क्रियान्वयन में अहम भूमिका निभाई थी।
गहलोत का आप से इस्तीफा और नई शुरुआत
बीजेपी में शामिल होने के बाद गहलोत ने AAP से अपने इस्तीफे पर कहा कि यह उनके लिए एक कठिन फैसला था। उन्होंने कहा, “मैं अन्ना आंदोलन से जुड़ा था और दिल्ली के लोगों की सेवा के लिए राजनीति में आया था। लेकिन जब पार्टी के मूल्यों से समझौता होते देखा, तो यह निर्णय लेना पड़ा।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनका निर्णय किसी दबाव में नहीं था।
AAP का नया जाट चेहरा: रघुविंदर शौकीन
गहलोत के इस्तीफे के बाद AAP ने जाट समुदाय को साधने के लिए पश्चिमी दिल्ली के नांगलोई से विधायक रघुविंदर शौकीन को केजरीवाल कैबिनेट में शामिल किया। शौकीन ने अपनी नियुक्ति पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का धन्यवाद देते हुए कहा कि AAP सभी समाजों को साथ लेकर चलती है, जबकि बीजेपी पर उन्होंने जाटों के खिलाफ काम करने का आरोप लगाया।
AAP और बीजेपी की रणनीति
गहलोत के बीजेपी में जाने और शौकीन के कैबिनेट में शामिल होने से दोनों पार्टियां जाट समुदाय को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही हैं। जहां गहलोत के अनुभव और प्रशासनिक क्षमताओं से बीजेपी को फायदा होगा, वहीं शौकीन की नई भूमिका AAP के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूती ला सकती है।
यह राजनीतिक बदलाव दिल्ली में आगामी चुनावों के लिए दोनों पार्टियों की रणनीतियों को स्पष्ट करता है। दोनों पार्टियां अब ग्रामीण और जाट वोटरों को लुभाने में जुटी हैं।