विवाद के बीच कराया नए फूडकोर्ट का टेंडर
जयपुर। नाहरगढ़ फोर्ट के वन अभ्यारण्य क्षेत्र में गैर वानिकी गतिविधियों के विवाद के बीच पुरातत्व विभाग ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि न तो उनके लिए वन अधिनियम कोई मायने रखता है और न ही जंगल और उसमें रहने वाले वन्यजीव। भारी विवाद के बीच पुरातत्व विभाग ने फोर्ट में एक बार फिर से फूड कोर्ट खोलने के लिए निविदा कराई है। ऐसा लग रहा है कि पुरातत्व ने सीधे-सीधे वन अधिनियम को चुनौती दी है।
पुरातत्व विभाग की तकनीकी कमेटी की ओर से यह निविदा कराई गई है, जिसकी अध्यक्षता विभाग के निदेशक करते हैं। निविदा के लिए 21 सितंबर को नोटिस जारी किया गया था। वहीं 5 अक्टूबर को यह निविदा करा दी गई। जल्द ही नाहरगढ़ के दीवान ए आम में यह फूड कोर्ट शुरू कर दिया जाएगा।
यह निविदा पुरातत्व विभाग और वन विभाग के मध्य नया विवाद खड़ा कर सकती है। नाहरगढ़ में गैर वानिकी गतिविधियों और वाणिज्यिक गतिविधियों के खिलाफ वन विभाग में राजेंद्र तिवाड़ी की ओर से जनवरी में परिवाद दिया गया था। विभाग ने मामले की हकीकत जानने के लिए अपने अधिकारियों से जांच कराई।
जुलाई में यह जांच पूरी हो गई और विभाग में जमा करा दी गई। ऐसे में जब जनवरी से विवाद शुरू हो गया था तो फिर पुरातत्व विभाग की ओर से विवादों के बीच निविदा कराने से यही मतलब निकाला जा रहा है कि उन्हें वन अधिनियम की परवाह नहीं है। भले ही वन्य जीवों का अस्तित्व खतरे में आ जाए या जंगल का, उन्हें सिर्फ अपनी कमाई की परवाह है।
अब देखने वाली बात यह रहेगी कि वन विभाग कब नाहरगढ़ में चल रही अवैध गैर वानिकी गतिविधियों के खिलाफ एक्शन में आता है। विभाग की ओर से कराई गई जांच में भी अभ्यारण्य क्षेत्र में चल रही गैर वानिकी गतिविधियों पर तुरंत एक्शन लेने की बात कही गई है और पुरातत्व विभाग, आरटीडीसी, पर्यटन विभाग, आमेर विकास एवं प्रबंधन प्राधिकरण आबकारी विभाग, खाद्य विभाग को जिम्मेदार ठहराया गया है।
दूध का जला पुरातत्व, नहीं ली सीख
वन प्रेमी कमल तिवाड़ी का कहना है कि दूध का जला छाछ को भी फूंक-फूंक कर पीता है, लेकिन पुरातत्व विभाग ने इस कहावत से सीख नहीं ली। पुरातत्व विभाग की ओर से लंबे समय से सिसोदिया रानी के बाग में विवाह समारोह आयोजित कराए जाते थे। यह बाग वन क्षेत्र में आता है और मामला एनजीटी तक पहुंचने के बाद विभाग को एनजीटी के आदेशों पर यहां विवाह समारोह रोकने पड़ गए थे।
सिसोदिया बाग वन क्षेत्र में आता है, लेकिन नाहरगढ़ फोर्ट तो अभ्यारण्य का क्षेत्र हैं और यहां के नियम वन क्षेत्र से भी ज्यादा सख्त हैं। ऐसे में यदि विवाद बढ़ा तो पुरातत्व विभाग को ही परेशानी उठानी पड़ेगी। पुरातत्व विभाग वन अधिनियम का सम्मान नहीं करेगा तो एनजीटी उन्हें वन नियमों का सम्मान करना सिखाएगा।