जयपुर

ओवल की जीत (Oval’s win) के बावजूद खिलाड़ियों के प्रदर्शन की निरंतरता (consistency of players’ performances) और संतुलन के प्रश्नों से जूझ रही है भारतीय टीम (Indian Team)

पहले दिन टॉस हारकर लगभग 100 रन बनाकर सात विकेट खोकर मुश्किल में फंसी भारतीय टीम (Indian Team) ने बड़ी वापसी की। शार्दुल ठाकुर मैदान पर आए और धुआंधार बल्लेबाजी से वापसी का शंख फूंक दिया। यही नहीं मैच के आखिरी दिन फॉर्म में चल रहे इंग्लैंड के कप्तान रुट का स्टंप उखाड़कर जीत का डंका बजाया।
यह जरूर ओवल मैदान पर जीत (Oval’s win) टीम इंडिया की थी, सभी का इसमें योगदान रहा। यद्यपि शार्दुल के हरफनमौला खेल ने कई प्रश्नों से जूझ रहे भारत को राहत जरूर दी है पर इनका जल्द ही इन प्रश्नों के उत्तर तो ढूंढ़ने ही होंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि हम सभी जानते हैं कि खिलाड़ियों के प्रदर्शन में निरंतरता (consistency of players’ performances) कभी-कभार जलवे दिखाने से नहीं बल्कि संतुलन से आती है।
प्रश्न क्रमांक एक – आर अश्विन
विराट कोहली और रवि शास्त्री हमेशा यह कहते हैं कि हम पांच गेंदबाज खिलाएंगे जोकि बीस विकेट ले सकते हों। ऐसी स्थिति मे स्वाभाविक है कि वे पांच गेंदबाज भारत के सबसे अच्छे गेंदबाज ही होंगे और परिस्थिती के अनुसार ही उनका चुनाव होना चाहिए।
आर अश्विन सफेद गेंद से होने वाले अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से बाहर कर दिये गये हैं। विदेशी जमीन पर तेज गेंदबाज चाहिए इसलिये उन्हे बाहर रखा जाता है तो केवल घरेलु शृंखला में यानी साल में पांच या छह टेस्ट इतना ही उनका अंतरराष्ट्रीय करियर होगा ? क्या सबसे तेज 400 से अधिक विकेट लेने वाला एक भी विदेशी पिच पर काम नहीं आयेगा ?
हाल के कुछ वर्ष अलग कहानी बयां करते हैं। ऑस्ट्रेलिया मे स्टीव स्मिथ से लेकरं वर्ल्ड टेस्ट फाइनल मे केविन विलयम्सन सहित कई विकेट उन्होंने झटके हैं। वे अच्छी बल्लेबाजी भी करते हैं , पांच टेस्ट शतक इसका प्रमाण हैं। विराट कोहली उन्हें बार-बार बाहर बिठाकर उनका आत्मविश्वास ध्वस्त न कर रहे हों.. हम ऐसी आशा करते हैं।
मध्य क्रम की बल्लेबाजी और अजिंक्य रहाणे
सिर्फ गेंदबाजी ही नहीं पर बल्लेबाजी परेशानी का एक सबब है। जब आप पांच बल्लेबाज लेकर खेलते हैं, ये पांच आपके सबसे बढ़िया और अच्छे फॉर्म मे होने वाले बल्लेबाज होते है। भारत हाल ही में 36 और 79 पर ऑलआउट हुआ है और उसका कारण मध्य क्रम का फेल होना और नीचे कोई बल्लेबाज का नहीं होना।
विराट खुद, पुजारा और रहाणे पिछले दो सालों में 25 की औसत से बल्लेबाजी कर रहे हैं। रहाणे का मेलबर्न का शतक छोड़ दिया जाये तो 24 महीने में एक भी शतक मध्य क्रम से नहीं आया है। ऐसे मे खुद बड़ी आक्रामकता दिखाने वाले कोहली, पुजारा और रहाणे को कभी आक्रामकता का अभाव या जड़ेजा को ऊपर भेजकर उन्हें और भी समस्या में डाल रहे है। या.. तो आप आउट ऑफ फॉर्म बल्लेबाज को बाहर बिठाकर रणजी और काउंटी मैच खिलाएं या फिर नेशनल क्रिकेट एकेडमी (एनसीए) में अभ्यास करवाकर एक-दो बदलाव करें। हनुमा विहारी और सुर्यकुमार यादव हैं। अब समस्या यह है कि पुजारा और रहाणे को सफेद गेंद से खेले जाने वाले अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से बाहर किया है, रणजी ट्रॉफी पिछले 20 महीने से हुई नही है और काउंटी खेलने वाले विहारी और अश्विन को आपने बाहर बिठाया हुआ है। अब प्रश्न रहाणे को खिलाने या निकालने का नहीं है, प्रश्न यह है कि जो बल्लेबाज सफेद गेंद वाला अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट नहीं खेलता वह रणजी ट्रॉफी के अभाव में आउट ऑफ फॉर्म होने पर क्या करे? कैसे उसकी परेशानी दूर हो?
पुजारा और रहाणे आज हैं कल नहीं होंगे पर टेस्ट क्रिकेट बल्लेबाजी का यह प्रश्न बीसीसीआई को रचनात्मक तरीके से सुलझाना होगा वरना खिलाड़ी भले ही बदल जाएं पर प्रश्न यथोचित उत्तर की तलाश में कायम रहेगा। आशा करते हैं कि इसका सही हल भारतीय क्रिकेट ढूंढ लेगा।

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