वन विभाग ने नाहरगढ़ में चल रही व्यावसायिक गतिविधियों को बताया अपराध
धरम सैनी
जयपुर। नाहरगढ़ अभ्यारण्य में पुरातत्व विभाग और पर्यटन विभाग लंबे समय से मूक वन्यजीवों की जान दांव पर लगाकर पर्यटन का विकास करने में लगे हैं। विश्व पर्यटन दिवस पर पुरातत्व विभाग की ओर से नाहरगढ़ फोर्ट में नाइट ट्यूरिज्म शुरू किया गया है। कहा जा रहा है कि इसके लिए सीधे पुरातत्व एवं कला संस्कृति मंत्री से मंजूरी ली गई है।
हैरानी की बात यह है कि नाहरगढ़ फोर्ट पर वन एवं वन्यजीव अधिनियम-1972 और सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन को धता बताकर यह सब किया जा रहा है, उस फोर्ट पर न तो पुरातत्व विभाग और न ही पर्यटन विभाग का मालिकाना हक है, इसके बावजूद वहां धडल्ले से गैर वानिकी व्यावसायिक गतिविधियां संचालित की जा रही है।
ऐसे में कहा जा रहा है कि दशकों से यह अवैध गतिविधियां पुरातत्व, पर्यटन और वन अधिकारियों की आपसी मिलीभगत से चल रही है। इसको लेकर एक परिवाद दर्ज होने के बाद वन विभाग के उच्चाधिकारियों ने हकीकत जानने के लिए फोर्ट की मौजूदा स्थिति की जांच कराई तो हैरान करने वाले खुलासे हुए।
सामने आया कि इन गतिविधियों में कुछ प्रभावशाली लोगों का भी हाथ है, जिसके चलते आज तक इन गतिविधियों पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई। वन विशेषज्ञ राजेंद्र तिवाड़ी की ओर से वनविभाग में दायर परिवाद में नाहरगढ़ अभ्यारण्य में चल रही अवैध गतिविधियों के मामले पर जवाब मांगा गया था।
परिवाद दर्ज होने के बाद वन विभाग के अधिकारियों ने मामले की जांच कराई तो सामने आया कि नाहरगढ़ पर जारी व्यावसायिक गतिविधियों के लिए न तो वन विभाग से कोई अनुमति मांगी गई और न ही वन विभाग ने कोई अनुमति दी है। यहां आरटीडीसी की ओर से पड़ाव के नाम से रेस्टोरेंट-बार संचालित किया जा रहा है। वहीं पुरातत्व विभाग की ओर से भी एक रेस्टोरेंट-बार, पर्यटन गतिविधियां, व्यावसायिक दुकानें, आर्ट गैलरी और करीब चार से पांच बीघा जंगल को साफ करके वाहनों की पार्किंग चलाई जा रही है।
अवैध रूप से जारी की अनुमतियां
रिपोर्ट में कहा गया है कि नाहरगढ़ किला वन विभाग की संपत्ति है और अभ्यारण्य के मध्य में स्थित है। यह ईको सेंसेटिव जोन घोषित है। यहां व्यावसायिक गतिविधियों के लिए आबकारी विभाग, पुरातत्व विभाग, पर्यटन विभाग, खाद्य विभाग और आमेर विकास एवं प्रबंधन प्राधिकरण ने अनुमतियां जारी कर रखी है, जो कि अवैध है, क्योंकि इन विभागों के पास किले का मालिकाना हक नहीं है।
नहीं दिया जवाब
जांच के दौरान अभ्यारण्य में व्यावसायिक गतिविधियां कर रहे लोगों से जानकारी मांगी गई कि किसकी अनुमति से वह यहां काम कर रहे हैं, लेकिन इन लोगों की ओर से वन विभाग को कोई जवाब नहीं दिया गया। इससे प्रतीत होता है कि किन्हीं प्रभावशाली लोगों का इनके पीछे हाथ है। अवैध गतिविधियां संचालित करवा रहे विभागों से भी जानकारी चाही गई कि वह किस हैसियत से यह गतिविधियां संचालित करवा रहे हैं, लेकिन विभागों की ओर से भी कोई जवाब नहीं दिया गया।
बढ़ रही शिकार की घटनाएं
रिपोर्ट में कहा गया है कि व्यावसायिक गतिविधियों के कारण यहां सुबह आठ बजे से लेकर रात को 12 बजे तक लोगों का आना-जाना लगा रहता है। ऐसे में यहां वन्यजीवों के शिकार और नशे में वाहन चलाने से वन्यजीवों के दुर्घटनाओं के मामले बढ़ते जा रहे हैं। वन अधिनियम के तहत ईको सेंसेटिव जोन में शाम पांच बजे बाद बिना इजाजत किसी को अंदर भी नहीं आने दिया जा सकता है। इसके बावजूद यहां पूरी रात तक लोगों की आवाजाही बनी रहती है।
किले पर करो कब्जा
जांच में वन विभाग को सुझाव दिया गया है कि किले का पूरा क्षेत्र नोटिफाइड एरिया में है। जिला कलेक्टर की ओर से भी यह अभ्यारण्य बनाते समय किले के हिस्से को अलग नहीं किया गया था, इसलिए वन विभाग को किले का सम्पूर्ण क्षेत्र कब्जे में लेकर अवैध गतिविधियों को बंद कराना चाहिए।
खुल गई मिलीभगत की कलई
इस संबंध में जब इलाके के डीसीएफ उपकार बोराणा से जानकारी चाही गई तो उन्होंने बताया कि उन्हें इस संबंध में जानकारी नहीं है, जबकि परिवाद के संबंध में डीसीएफ से भी रिपोर्ट मांगी गई थी और परिवाद की आरटीआई से निकाली गई कॉपी में डीसीएफ की हस्ताक्षरित रिपोर्ट उपलब्ध है।
प्रस्ताव आया तो करेंगे कार्रवाई
अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक, वन्य जीव राजस्थान अरविंद तोमर का कहना है कि अभी जांच हुई है। हमारे पास अवैध गतिविधियों को हटाने का कोई प्रस्ताव आता है तो हम जरूर इन गतिविधियों को हटाएंगे।
मामले को दबाने में जुटा पुरातत्व विभाग
पुरातत्व विभाग के निदेशक पीसी शर्मा से जब ईको सेंसेटिव जोन में नाइट ट्यूरिज्म शुरू करने के संबंध में जवाब मांगा गया, तो उनका कहना था कि वन विभाग को आपत्ति है तो वह लिखित में भेज दे। हमारे पास इस तरह की कोई शिकायत नहीं आई है शिकायत आई तो हम जवाब देंगे। हमने मंत्री स्तर पर मंजूरी लेकर नाइट ट्यूरिज्म शुरू किया है और नाहरगढ़ का समय बढ़ाया है। नाहरगढ हमारी प्रॉपर्टी है, वन विभाग को जो भी कहना है, सरकार से कहे।