वाशिंगटन। डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी नई कैबिनेट में हिंदू समुदाय के दो प्रमुख चेहरों, तुलसी गबार्ड और विवेक रामास्वामी, को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां देकर चुनावी वादे को पूरा किया है। अमेरिका की पहली हिंदू कांग्रेसवुमन तुलसी गबार्ड को नेशनल इंटेलिजेंस (DNI) का डायरेक्टर नियुक्त किया गया है, जबकि भारतीय मूल के विवेक रामास्वामी को एलन मस्क के साथ मिलकर डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DOGE) का नेतृत्व सौंपा गया है।
हिंदू समुदाय को दिया वादा पूरा
ट्रंप ने चुनाव से पहले हिंदू समुदाय से सहयोग बढ़ाने का वादा किया था, जो दीपावली के दौरान विशेष रूप से चर्चा में आया था। इसी वादे को निभाते हुए उन्होंने तुलसी गबार्ड और विवेक रामास्वामी को अपने प्रशासन में शामिल किया और उन्हें प्रमुख पद सौंपे।
डेमोक्रेट से रिपब्लिकन तक का सफर: तुलसी गबार्ड
तुलसी गबार्ड, जो पहले डेमोक्रेटिक पार्टी का हिस्सा थीं, अब ट्रंप की टीम में शामिल हो गई हैं। उन्हें नेशनल इंटेलिजेंस का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी दी गई है। गबार्ड चार बार अमेरिकी कांग्रेस की सदस्य रह चुकी हैं और कांग्रेस में शपथ लेने के दौरान उन्होंने भगवद गीता का उपयोग किया था। यह उन्हें अमेरिकी राजनीति में हिंदू धर्म का एक विशेष चेहरा बनाता है। डेमोक्रेटिक पार्टी छोड़ने के बाद, उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी का हिस्सा बनने का फैसला किया। उनकी किताब “फॉर लव ऑफ कंट्री” ने भी काफी लोकप्रियता पाई। तुलसी का जन्म समोआ में हुआ और उनका पालन-पोषण हवाई में हिंदू परंपराओं के साथ हुआ।
विवेक रामास्वामी और उनकी नई भूमिका
भारतीय मूल के विवेक रामास्वामी को एलन मस्क के साथ मिलकर DOGE का नेतृत्व करने का अवसर दिया गया है। इस डिपार्टमेंट का मुख्य उद्देश्य सरकारी विभागों की कार्यक्षमता बढ़ाना और खर्च में कटौती करना है। ट्रंप ने इस परियोजना को “मैनहट्टन प्रोजेक्ट” जितना महत्वपूर्ण बताया है, जिसे 530 दिनों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। यह अवधि अमेरिका की 250वीं वर्षगांठ के साथ समाप्त होगी।
भारतवंशी और ‘प्राउड हिंदू’
विवेक रामास्वामी, जो कभी ट्रंप के रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी थे, अब उनके साथ काम कर रहे हैं। विवेक का जन्म 1985 में भारतीय माता-पिता के घर हुआ, जो केरल से अमेरिका आए थे। हार्वर्ड और येल से पढ़ाई करने वाले विवेक बायोटेक उद्योग के प्रमुख चेहरे हैं। फोर्ब्स के अनुसार, उनकी संपत्ति लगभग 960 मिलियन डॉलर है।
ट्रंप की कैबिनेट में इन नियुक्तियों ने न केवल हिंदू समुदाय को सम्मानित किया है, बल्कि विविधता और प्रतिनिधित्व को भी मजबूती दी है।