डीआरडीओ ने कर्नाटक के चित्रदुर्ग में स्वदेशी स्टेल्थ ड्रोन का सफल परीक्षण किया। यह एक खुद से उड़ने वाला स्टेल्थ ड्रोन है। जिसकी गति काफी तेज है। यह टेक्नोलॉजी अमेरिका ने देने से मना कर दिया था। इसलिए भारत ने अपना महाविनाशक ड्रोन बना डाला। इससे पहले इसकी उड़ान पिछले साल जुलाई में हुई थी।
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने देसी स्टेल्थ ड्रोन की दूसरी सफल उड़ान पूरी की। इसका नाम है- ऑटोनॉमस फ्लाइंग विंग टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर। टेस्ट फ्लाइट कर्नाटक के चित्रदुर्ग स्थित एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज में की गई। अमेरिका के बी-2 बमवर्षक की तरह दिखने वाला ये विमान पूरी तरह से ऑटोमैटिक है। यह खुद ही टेकऑफ करता है और मिशन पूरा करने के बाद खुद ही लैंडिंग करता है।
यह उड़ान भविष्य के मानव रहित विमानों के विकास की दिशा में महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों को साबित करने के मामले में एक प्रमुख उपलब्धि है। यह देश की रक्षा को लेकर भी बड़ा कदम है। इसे बेंगलुरु स्थित एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट इस्टैबलिशमेंट ने बनाया है। यह एक छोटे टर्बोफैन इंजन से उड़ता है। विमान के लिए उपयोग किए जाने वाले एयरफ्रेम, अंडर कैरिज और संपूर्ण उड़ान नियंत्रण और एवियोनिक्स सिस्टम स्वदेशी हैं। इससे महत्वपूर्ण सैन्य प्रणालियों के रूप में श्आत्मनिर्भर भारतश् का मार्ग भी प्रशस्त होगा।
भारत के हमलावर ड्रोन का भविष्य
21वीं सदी के युद्धों का मानव रहित हवाई वाहन यानी यूएवी एक अभिन्न हिस्सा हैं। इस दशक में हुए सभी युद्ध-संघर्षों में यूएवी के इस्तेमाल का चलन देखा गया है। युद्ध के एक निर्णायक हथियार के तौर पर यूएवी को बीते साल के आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच हुए नागोर्नो-कराबाख संघर्ष के दौरान पहचान मिल गई है, जिसमें युद्ध के मैदान पर ड्रोन पूरी तरह से हावी हो गए थे। यूएवी यानी ड्रोन तकनीक तक अब आतंकियों की भी पहुंच बनती जा रही है। पिछले साल भारतीय सेना प्रमुख ने हाल ही में बताया था कि ड्रोन हमले का खतरा कितना गंभीर है। साथ ही, भारत के यूएवी ड्रोन बेड़े को मजबूत करने की जरूरत पर बल दिया था। भारतीय सशस्त्र बलों ने इस अहम मुद्दे को समझते हुए इस पर आगे बढ़ना शुरू कर दिया है, जबकि देश में प्रभावी लड़ाकू ड्रोन बनाने के स्वदेशी प्रयास अब भी प्रारंभिक चरण में हैं। इसका मतलब है कि भारतीय सेना इस दशक के अंत तक आयातित ड्रोन पर ही निर्भर रहेगी।
पड़ोसी देश ड्रोन में भारत से आगे
भारत ड्रोन और यूएवी के मामले में पाकिस्तान से एक दशक और चीन से और भी ज्यादा पीछे है। पाकिस्तान और चीन लड़ाकू ड्रोन समेत कई सैन्य प्लेटफार्मों और हथियारों को विकसित और पाने के लिए एक-दूसरे के करीबी सहयोगी की भूमिका निभा रहे हैं। इसलिए भारत ने बनाया है, रहस्यमयी स्टेल्थ ड्रोन घातक। पिछले साल ही इसकी तस्वीर सामने आई थी। परीक्षण भी हुए थे। इसे स्टेल्थ विंग फ्लाइंग टेस्टेड बुलाया जा रहा था। इसकी जानकारियों को पूरी तरह से गुप्त रखा गया था। भारतीय नौसेना में शामिल करने के लिए इसके एक डेक-आधारित लड़ाकू यूएवी वेरिएंट की संभावनाएं भी तलाशी जा रही हैं। साल 2025 से 2026 के बीच में स्टेल्थ ड्रोन घातक का प्रोटोटाइप लोगों के सामने आ सकता है। पिछली साल ही भारतीय सेना ने 75 लड़ाकू ड्रोन के साथ स्वार्म ड्रोन तकनीक का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया था। यानी भारत ड्रोन के जरिए हमला करने में काबिल है।
कैसा होगा घातक
डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने इसके आकार, वजन, रेंज आदि के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है। लेकिन ये माना जा रहा है कि यह 30 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है। इसका वजन 15 टन से कम है। इस ड्रोन से मिसाइल, बम और प्रेसिशन गाइडेड हथियार दागे जा सकते हैं। इसमें स्वदेशी कावेरी इंजन लगा है। यह 52 किलोन्यूटन की ताकत विमान को मिलती है। अभी जो प्रोटोटाइप है, उसकी लंबाई 4 मीटर है। विंगस्पैन 5 मीटर है। यह 200 किलोमीटर की रेंज तक जमीन से कमांड हासिल कर सकता है। अभी एक घंटे तक उड़ान भर सकता है।