महापौर ने मांगी हाजरीगाहों की जानकारी, स्वच्छ सर्वेक्षण के दौरान करेंगी औचक निरीक्षण
जयपुर। जयपुर ग्रेटर की नई महापौर ने राजधानी को स्वच्छ सर्वेक्षण में प्रथम स्थान पर लाने का दम भरा है, लेकिन सफाई के मामले में जब तक इंदौर की तरह सख्त कदम नहीं उठाए जाएंगे, तब तक जयपुर को स्वच्छ नहीं बनाया जा सकता है। राजधानी में सफाई के मामले में अब नगर निगम सख्ती दिखा सकता है। जानकारी के अनुसार अब सर्वेक्षण के दौरान ग्रेटर महापौर खुद हाजरीगाहों पर छापे मारकर सफाईकर्मियों का रिकार्ड चैक कर सकती है। वहीं अधिकारियों की ओर से भी लगातार हाजरीगाहों पर औचक निरीक्षण किया जाएगा।
नगर निगम ग्रेटर के अतिरिक्त आयुक्त अरुण गर्ग ने आदेश जारी कर समस्त जोन उपायुक्तों से हाजरीगाहों की सूचना मांगी गई है। आदेश में महापौर की ओर से 24 नवंबर को जारी निर्देशों का हवाला देकर कहा गया है कि समस्त जोन उपायुक्त अपने जोन के वार्डों में उपलब्ध हाजरीगाह की वर्तमान स्थिति मय पता, जिन वार्डों में हाजरीगाह नहीं है, उनमें उपयुक्त स्थानों पर हाजरीगाह बनाकर सात दिनों में इसकी जानकारी मुख्यालय को भिजवाएं। गर्ग ने बताया कि शहर की सफाई व्यवस्था को व्यवस्थित करने के लिए यह कदम जरूरी हो गया है। महापौर ही नहीं अधिकारी भी अब हाजरीगाहों का औचक निरीक्षण करेंगे और सफाईकर्मियों की हाजिरी जांचेंगे।
निगम सूत्रों का कहना है कि सफाईकर्मियों की हाजिरी का बड़ा घोटाला है और करीब दो दशकों से यह निरंतर चल रहा है। जब सख्ती होती है तो सफाईकर्मियों की हाजिरी में कुछ सुधार हो जाता है, थोड़ी ढि़लाई मिलने पर फिर से यह खेल चल निकलता है। कई प्रकार से यह खेल किया जाता है और लगातार इसकी शिकायतें भी मिलती रहती है। निगम के पुराने स्थाई कर्मचारी निगम से मोटा वेतन लेते हैं और वह अधिकारियों से मिलीभगत कर अपने स्थान पर एवजी सफाईकमी लगाकर रखते हैं, जिन्हें थोड़ा बहुत मासिक वेतन दिया जाता है।
कुछ कर्मचारी काम नहीं करते हैं, लेकिन स्वास्थ्य निरीक्षकों से मिलीभगत करके रखते हैं और हर सप्ताह उनकी हाजिरी रजिस्टर में चढ़कर जोन में पहुंच जाती है। कुछ कर्मचारी हाजिरी करके घर चले जाते हैं और फील्ड में काम नहीं करते। कुछ कर्मचारी प्रथम शिफ्ट में काम करते हैं, लेकिन दूसरी शिफ्ट में गायब हो जाते हैं। इसके अलावा बड़ी संख्या में सफाईकर्मियों ने अपने तबादले दूसरी शाखाओं में करा रखे हैं, जिससे सफाई कार्य बाधित होता है। अब हाजिरीगाहों की सम्पूर्ण जानकारी लेकर महापौर और अधिकारियों द्वारा औचक निरीक्षण किया जाएगा तो ऐसे कर्मचारियों का भंड़ाफोड़ होगा।