जयपुर

विशेषज्ञों (Experts) ने दिखाया राजस्थान (Rajasthan) में जैव ऊर्जा (bio energy) का सुनहरा भविष्य (golden future)

जयपुर। जैव ऊर्जा पर इंदिरा गांधी पंचायती राज संस्थान में गुरूवार को राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। राजस्थान (Rajasthan) भर से जैव ऊर्जा (bio energy) के क्षेत्र में काम कर रहे उद्यमियों, शिक्षाविदों, विषय विशेषज्ञों (Experts) तथा गैर सरकारी संगठनों ने कार्यशाला में भाग लिया और राज्य में जैव ऊर्जा के क्षेत्र में हो रहे अनुसंधान, भविष्य की संभावनाओं और नवाचारों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि किस प्रकार फसल के बाद बचने वाली पराली से लेकर, मूंगफली, नारियल के छिलके, खराब हुई सब्जियां और फल, होटलों का बचा खाना, पका हुआ तेल, सरसों की तूडी, गोबर और अन्य कई नेचुरल वेस्ट से बायो फ्यूल, खाद और अन्य उपयोगी चीजें बनाई जा सकती हैं और पर्यावरण को बचाया जा सकता है।

विशेषज्ञों ने बताया कि बायो मास केवल बायो डीजल, बायो गैस के रूप में ऊर्जा उत्पादन तक ही सीमित नहीं है। इसका अन्य रूपों में तथा उद्योगों में उपयोग पर भी अनुसंधान किया जा रहा है। उन्होंने प्रस्तुतिकरण के माध्यम से जानकारी दी कि राज्य में बायोमास से जैविक खाद, हैण्डमेड पेपर, दीवारों पर होने वाला पेन्ट, गाय के गोबर से बना कागज, गाय के गोबर से दाह संस्कार के लिए तैयार की गई लकड़ी, बायोचार, बायोमास पैलेट्स, कैटेलिस्ट, वेस्ट वेजिटेबल ऑइल के उद्योगों में उपयोग आदि के माध्यम से रसायन मुक्त विकल्प तैयार किये जा रहे हैं तथा लोगों को इनके उपयोग के लिए प्रेरित भी किया जा रहा है। इन विकल्पों के उपयोग से न केवल पर्यावरण की रक्षा होगी, बल्कि ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। जरूरत है इन नवाचारों को व्यावसायिक तथा आर्थिक रूप से संगत बनाने की।

इस अवसर पर इंदिरा गांधी पंचायती राज संस्थान के महानिदेशक रविशंकर श्रीवास्तव ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि जैव ईंधन ही भविष्य में ऊर्जा का विकल्प है। उद्यमियों और शिक्षाविदों पर इस बात का दारोमदार है कि वे जैव ऊर्जा के नए आयाम पैदा करें। हमारे लिए मील का पत्थर तब होगा जब जैव ईंधन इतना सस्ता हो जाए कि इसे एक आम ग्रामीण व्यक्ति खरीद सके।

ग्रामीण विकास विभाग के शासन सचिव डॉ. के.के. पाठक ने कहा कि जैव ऊर्जा के क्षेत्र में राज्य में कई अनुसंधान किये जा रहे हैं। यह केवल कागजों पर ही सीमित नहीं हो। इसका क्रियान्वयन होना चाहिये और इसके व्यावसायिक उपयोग के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिये। उन्होंने उद्यमियों, अनुसंधानकर्ताओ तथा शिक्षाविदों द्वारा इस क्षेत्र में किये जा रहे कार्यों को प्रेजेंटेशन के माध्यम से जाना। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा इन नवाचारों तथा अनुसंधानों को आमजन तक पहुंचाने के लिए हर संभव सहयोग किया जाएगा तथा इस क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए नए निर्णय लेने में उनसे सहयोग तथा सुझाव भी लिया जाएगा।

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