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‘न्याय या विवाद?’: यूपी के संभल में सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी की विरासत पर नया राजनीतिक घमासान

संभल। उत्तर प्रदेश का संभल जिला एक बार फिर विवादों के केंद्र में है। इस बार विवाद का कारण बना है—सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी की याद में आयोजित होने वाला ‘नेजा मेला’, जिसे उत्तर प्रदेश सरकार ने अनुमति देने से इनकार कर दिया है। यह मेला हर साल होली के एक हफ्ते बाद आयोजित होता है और इसका संबंध महमूद ग़ज़नवी के भतीजे सालार मसूद से है, जिसे मध्यकालीन इस्लामी आक्रमणकारी के तौर पर देखा जाता है, जिसने गुजरात के सोमनाथ मंदिर सहित कई हिंदू धार्मिक स्थलों को नष्ट किया था।
कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह निर्णय सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) द्वारा विपक्षी समाजवादी पार्टी (SP) के “PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक)” समीकरण को तोड़ने की रणनीति हो सकती है।
प्रशासन की सख्ती
17 मार्च को, संभल प्रशासन ने नेजा मेला आयोजित करने की अनुमति स्पष्ट रूप से खारिज कर दी।
• अपर पुलिस अधीक्षक (ASP) शिरीष चंद्र ने इसे “आक्रमणकारी की बुरी परंपरा” बताते हुए आयोजन पर रोक लगाई।
• प्रशासन ने मेले के उद्घाटन स्थल को सील कर दिया और जहां नेजा (भाला) गाड़ा जाता था, वहां गड्ढे को सीमेंट से भर दिया।
• उपजिलाधिकारी (SDM) डॉ. वंदना मिश्रा ने भी समिति के आग्रहों को ठुकरा दिया।
प्रशासन ने “सद्भावना मेला” नाम सुझाया था ताकि साम्प्रदायिक तनाव से बचा जा सके, लेकिन नेजा कमेटी ने मूल नाम और परंपरा को बनाए रखने की बात पर जोर दिया, जिस पर प्रशासन नहीं झुका।
नेजा मेला: परंपरा और विवाद
• नेजा मेला सदियों से संभल की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान का हिस्सा रहा है।
• इसकी शुरुआत भाले (नेजा) को भूमि में गाड़ने से होती है, जिसके बाद एक हफ्ते तक चलने वाले उत्सव होते हैं।
• इसमें हिंदू और मुस्लिम समुदाय दोनों की भागीदारी रहती है—झांकियां, संगीत, और सामुदायिक भोज मेले का हिस्सा होते हैं।
कमेटी अध्यक्ष चौधरी शाहिद अली ने प्रशासनिक निर्णय की कड़ी आलोचना करते हुए कहा:
“यह केवल धार्मिक आयोजन नहीं, सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है। हमने ‘सद्भावना मेला’ नाम तक मानने की बात कही थी, फिर भी प्रशासन अड़ा रहा।”
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप
• समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने BJP पर सांप्रदायिकता फैलाने और गंगा-जमुनी तहज़ीब को नष्ट करने का आरोप लगाया।
“मेले हमेशा भाईचारे का माध्यम रहे हैं। BJP सरकार इस सौहार्द को नष्ट कर रही है।”
• BJP और उसके सहयोगी नेताओं ने इस कदम को “सांस्कृतिक गौरव की पुनर्स्थापना” बताया।
• सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) प्रमुख व मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने कहा:
“हमें सालार मसूद जैसे आक्रमणकारी को नहीं, बल्कि ओबीसी वीर राजा सुहेलदेव को सम्मान देना चाहिए जिन्होंने 11वीं सदी में मसूद को हराया था।”
BJP सरकार ने पहले से ही सुहेलदेव के नाम पर ट्रेन, प्रतिमा, और विकास परियोजनाएं शुरू की हैं।
प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने भी उन्हें ओबीसी नायक के तौर पर सम्मानित किया है।
इतिहास का संदर्भ
इतिहासकारों के अनुसार, सालार मसूद महमूद ग़ज़नवी की सेनाओं में कमांडर था, जो उत्तर भारत में मंदिरों की लूट और जनसंहार में शामिल था।
• उसे राजा सुहेलदेव ने बहराइच में युद्ध में हराया और मारा था।
BJP लंबे समय से सुहेलदेव को ओबीसी प्रतीक के रूप में प्रस्तुत कर राजभर, मौर्य, कुशवाहा, निषाद जैसी जातियों को अपने साथ जोड़ती रही है।
अब नेजा मेला को “आक्रमणकारी का उत्सव” बता कर BJP PDA समीकरण को काटने की कोशिश कर रही है।
2027 की तैयारी
2024 के लोकसभा चुनाव में अपेक्षित प्रदर्शन न कर पाने के बाद, BJP अब 2027 विधानसभा चुनावों की जमीन तैयार कर रही है।
• नेजा मेला पर रोक को हिंदुत्व की दिशा में उठाया गया राजनीतिक कदम माना जा रहा है।
• वहीं SP और विपक्षी दल BJP को अल्पसंख्यक विरोधी ठहराकर धार्मिक स्वतंत्रता और सांस्कृतिक विरासत पर हमले के रूप में पेश कर रहे हैं।
संभल की जमीनी स्थिति
• ज़िले में भारी पुलिस बल तैनात, PAC व RAF को लगाया गया है।
• ड्रोन से निगरानी की जा रही है।
• फिलहाल कोई हिंसा नहीं हुई है, लेकिन तनाव स्पष्ट रूप से महसूस किया जा रहा है।
दोनों समुदायों के समुदाय प्रमुखों ने शांति की अपील की है, लेकिन राजनीतिक बयानबाज़ी ने मामले को जटिल बना दिया है।
पुराने विवाद भी उठे
संभल बीते वर्षों में कई बार विवादों में रहा है—चाहे अवैध बूचड़खानों का मुद्दा हो, धार्मिक जुलूसों को लेकर तनाव, या धार्मिक स्थलों से जुड़ी ज़मीन पर विवाद।
अब नेजा मेला विवाद ने इसे फिर से राजनीतिक अखाड़ा बना दिया है।

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