कृषि

26 जनवरी, गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन को भारत आने से रोकने की किसानों की रणनीति

नये कृषि कानूनों को लेकर किसानों और सरकार के बीच मंगलवार 22 दिसम्बर की रात तक भी कोई समझौता नहीं हो सका है। किसान नये कृषि कानूनों को रद्द किये जाने की मांग पर अड़े हैं और उन्होंने दिल्ली में प्रवेश की सीमाओं पर डेरा डाला हुआ है। नई रणनीति के तहत वे केंद्र सरकार पर अंतररराष्ट्रीय दबाव बनाने की बात कर रहे हैं। उधर, केंद्र सरकार कानूनों में केवल संशोधन की बात कर रही है, वह कानूनों को रद्द करने की मांग फिलहाल स्वीकार करने को तैयार नहीं है।

ब्रिटेन के सांसदों को लिखा जाएगा पत्र, फिलहाल जॉनसन भारत ना आएं

सिंघु बॉर्डर पर डटे किसान नेता कुलवंत सिंह संधु ने बताया कि मंगलवार को पंजाब के किसान संगठनों के बीच बैठक हुई और उसमें केंद्र सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्ताव पर बुधवार को फैसला लेने की बात तय हुई। इसके अलावा नई रणनीति के तहत तय किया गया है कि किसानों की ओर से ब्रिटेन के सांसदों को पत्र लिखा जाएगा।

इस पत्र में  आग्रह किया जाएगा कि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर भारत आ रहे ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को तब तक भारत आने से रोका जाए, जब तक कि किसानों की मांगे स्वीकार नहीं कर ली जाती हैं। संधु ने बताया कि सरकार की ओर से वार्ता के संदर्भ में जो प्रस्ताव आया है, उसमें कुछ भी नयी बात नहीं कही गई है।

कानूनों का समर्थन करने वाले किसानों से मिले तोमर

उधर, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर के साथ उन किसान संगठनों के नेताओं ने बातचीत की जो नए कृषि कानूनों का समर्थन कर रहे हैं। तोमर ने कहा,  “उत्तर प्रदेश के कुछ किसान नेताओं ने आकर मुलाकात की और कृषि कानूनों पर अपना समर्थन दिया। उन्होंने कहा कि इन तीनों कानूनों पर किसी तरह का संशोधन नहीं किया जाना चाहिए। ” उन्होंने बताया कि किसानों ने उनसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का धन्यवाद देते हुए कहा कि इन कानूनों से किसानों की स्थिति सुधरेगी और उन्होंने इसे वापस ना लेने की अपील की है।

लेकिन, किसान नेता कुलवंत सिंह संधू ने कहा कि किसानों के आंदोलन को दबाने के लिए सरकार नकली संगठन बनाकर ला रही है। उन्होंने कहा कि आरएसएस का अपना किसान संगठन है उनसे मुलाकात क्यों नहीं की गई?

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