भारत के बाद अब कई देश फ्रांस के फाइटर जेट राफेल में रूचि दिखाने लगे हैं। इंडोनेशिया वह आठवां देश है, जिसने 18 राफेल जेट्स की डील है। लेकिन शुरुआत में राफेल एक जीरो साबित हुआ था और आज यह जेट सबका फेवरिट बन गया है।
पिछले करीब आठ सालों से फ्रांस के जेट राफेल का नाम कहीं न कहीं सुनाई दे जाता है। उस समय भारत ने फ्रांस के साथ भारतीय वायुसेना (आईएएफ) के लिए राफेल जेट की डील का ऐलान किया था। आठ सालों बाद इस फाइटर जेट ने ऐसा लगता है कि एक लंबा सफर तय कर लिया है। जिस लड़ाकू विमान के बारे में बात करने से ही रक्षा विशेषज्ञ कतराते थे, आज वह कई देशों की पहली पसंद बन रहा है। फ्रेंच कंपनी डसॉल्ट एविएशन के राफेल को इंडोनेशिया के तौर पर आठवां खरीदार मिला है। इंडोनेशिया ने 18 राफेल जेट को ग्रीन सिग्नल दे दिया है। यह ऑर्डर पहले दिए गए 42 राफेल से अलग है। फाइटर जेट राफेल के लिए यह सफर आसान नहीं रहा है। राफेल को जीरो से हीरो बनने में काफी संघर्ष करना पड़ा है।
तब नहीं थे खरीददार
फ्रांस के राफेल फाइटर जेट लंबे समय तक खरीदार ढूंढने के लिए संघर्ष करता रहा। मिस्र और कतर से मामूली ऑर्डर मिले मगर इनमें भी ऐसा कुछ नहीं था कि जेट खुद पर इतरा सकता। राफेल जिसका फ्रेंच भाषा में अर्थ है ‘हवा का झोंका’, बेल्जियम, ब्राजील, कनाडा, फिनलैंड, कुवैत, सिंगापुर और स्विट्जरलैंड से कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने में फेल साबित हुआ। वजह थी, इसकी ज्यादा कीमत। ट्विन इंजन वाला यह जेट हवा से हवा में युद्ध कर सकता है या हवा से जमीन पर मौजूद अपने टारगेट को तबाह कर सकता है। इसमें फिट कैमरों, रडार और सेंसर की वजह से इसका उपयोग खुफिया जानकारी जुटाने के लिए काफी बेहतरी से किया जा सकता है। पिछले 10 सालों में इसने एक बड़ा बदलाव देखा।
अब कई देशों को चाहिए राफेल
फ्रांस की नौसेना और वायु सेना के अलावा जेट मिस्र, कतर, भारत, ग्रीस, क्रोएशिया और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के अलावा इंडोनेशिया राफेल जेट के खरीदार बन चुके हैं। डसॉल्ट एविएशन के स्पोक्सपर्सन मैथ्यू डूरंड ने पॉपुलर साइंस से बातचीत में कहा, ‘हमने सोचा कि हल्के और मल्टी रोल जेट को बेचना आसान होगा। उस समय इस जेट को जरूर विवादित कहा गया था लेकिन अब यह तारीफ बटोर रहा है।’ न केवल फ्रांस की सेनांए अपना ऑर्डर बढ़ा रही हैं बल्कि सऊदी अरब, सर्बिया, मलेशिया, इराक, कोलंबिया और बांग्लादेश जैसे कई संभावित ग्राहक भी सामने आ रहे हैं। इस जेट को विकसित करने में काफी समय लगा।
लंबा है राफेल का सफर
राफेल ने चार जुलाई 1986 को पहला उड़ान भरी थी। लेकिन आधिकारिक तौर पर इसे जनवरी 1988 में लॉन्च किया गया था। 19 मई 1991 को इसका प्रोटोटाइप सामने आया। एक दशक बाद यानी 18 मई 2001 में पहला राफेल एफ1 फ्रांस की नौसेना को सौंपा गया था। तब से ही यह फाइटर जेट अफगानिस्तान, लीबिया, इराक, सीरिया और माली में तैनात हो चुका है। इन देशों में इसने साल 2013 में नौ घंटे और 35 मिनट तक चलने वाला अपना सबसे लंबा मिशन पूरा किया। अफगानिस्तान, लीबिया, माली, इराक और सीरिया से लेकर राफेल विमानों ने हर जगह अपने दुश्मनों को ढेर कर दिया और इसे बिल्कुल भी नुकसान नहीं हुआ।
साल 2012 से चमकी किस्मत
साल 2012 में जब दुनिया की चैथी सबसे बड़ी भारतीय वायु सेना (आईएएफ) ने यूके यूरोफाइटर टाइफून फाइटर की जगह राफेल को चुना, तो वहां से इसकी सफलता की एक नई कहानी शुरू हुई। जेट के ऑर्डर में असाधारण तरीके से इजाफा हुआ। उसके बाद यूएई ने 80 राफेल जेट के लिए एक ऐतिहासिक सौदे पर हस्ताक्षर किए। इंडोनेशिया 42 लड़ाकू विमानों के साथ ऑर्डर किए गए राफेल की संख्या के मामले में यूएई के बाद आता है। मिस्र ने शुरुआत में 24 राफेल खरीदे थे और 30 और लड़ाकू विमानों के लिए फॉलो-ऑन ऑर्डर दिया था। भारत ने वायुसेना के लिए 36 राफेल का ऑर्डर दिया और हाल ही में नौसेना के लिए राफेल-एम (मरीन) का ऑर्डर प्लेस किया है।