वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को संसद के पटल पर आर्थिक सर्वेक्षण 2024 पेश किया। वित्त मंत्रालय में प्रमुख आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन की टीम ने इस सर्वेक्षण को तैयार किया है। इममें कृषि क्षेत्र में विकास की बाधाओं को दूर करने पर जोर दिया गया है। इसके अलावा शिक्षा और रोजगार के बीच पैदा हुई खाई को पाटने की बात भी कही गई है।
चालू वित्त वर्ष में देश की आर्थिक विकास दर 6।5 से सात फीसद रहने और लगातार लंबे समय तक सात फीसद की विकास दर हासिल करने की संभावना जताते हुए आर्थिक सर्वेक्षण 2024 ने केंद्र सरकार को रोजगार, आय को लेकर बढ़ती असमानता, चीन के साथ कारोबारी रिश्तों, स्वास्थ्य सेक्टर में बढ़ रही चुनौतियों जैसे कुछ जमीनी सच्चाइयों से भी रूबरू कराया है।
वित्त मंत्री ने पटल पर रखा आर्थिक सर्वेक्षण
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार (22 जुलाई) को सदन पटल पर आर्थिक सर्वेक्षण को रखा। वित्त मंत्रालय में प्रमुख आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन की टीम की तरफ से तैयार यह रिपोर्ट सरकार की इस सोच को सामने रखता है कि वह किस तरह से वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के सपने को साकार कर सकती है।
कैसा होगा बजट?
एक दिन बाद यानी 23 जुलाई को पेश होने वाले मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के आम बजट को लेकर भी यह सर्वेक्षण कुछ संकेत देता है। आगामी बजट रोजगार सृजन के नये उपायों को बढ़ावा देने के साथ ही ढांचागत क्षेत्र की उन्नति और किसानों व ग्रामीण जनता के जीवन स्तर को बेहतर बनाने वाले उपायों वाला हो सकता है।
निजी सेक्टर से अधिक निवेश की संभावना
सर्वेक्षण के मुताबिक अनिश्चित वैश्विक हालात के बावजूद घरेलू हालात की वजह से भारत लगातार तीसरे वर्ष तेज आर्थिक विकास दर हासिल करने की तरफ अग्रसर है। निजी सेक्टर की तरफ से ज्यादा निवेश होने की संभावना है क्योंकि उनका मुनाफा बढ़ा है। इस संदर्भ में एक चिंता यह जताई गई है कि निजी क्षेत्र को भी विदेश से सस्ते आयात बढ़ने का खतरा महसूस हो रहा है, ऐसे मे वह भविष्य में निवेश खींच सकते हैं, लेकिन मानसून के सामान्य होना एक शुभ संकेत है।
छह मुद्दों को किया गया चिह्नित
मोदी सरकार की तरफ से घोषित अमृत काल (वर्तमान से वर्ष 2047 तक का समय) के लिए प्रमुख तौर पर विकास रणनीति के छह मुद्दों को चिह्नित किया गया है।
निजी निवेश को जीडीपी के सापेक्ष बढ़ा कर 35 फीसदी करना।
राज्य व स्थानीय सरकार के स्तर पर सहयोग से सूक्ष्म, लघु व मझौली औद्योगिक इकाइयों को मजबूत करते हुए निर्यात रणनीति बनाना।
कृषि क्षेत्र में विकास की बाधाओं को दूर करने व बाजार को किसानों के हित के मुताबिक बनाना।
भारत में हरित परिवर्तन के लिए सुरक्षित वित्त पोषण की व्यवस्था करना।
शिक्षा व रोजगार के बीच खाई को पाटने और राज्यों को मजबूत बनाना।
चीन की पहेली को सुलझाना
इन मुद्दों पर रहेगा पूरा ध्यान
सर्वेक्षण ने मध्यम अवधि के लिए सरकार के समक्ष कुछ और आर्थिक व सामाजिक पहलुओं को चिन्हित किया है, जिसका समाधान शीघ्र निकालना होगा। इसमें प्रमुख है, देश में आर्थिक असमानता को खत्म करना, उत्पादक रोजगार को सृजित करने के तरीके निकालना, देश में एक मजबूत काॅरपोरेट बांड बाजार को स्थापित करना, भारत की युवा आबादी के स्वास्थ्य की गुणवत्ता को सुधारना और चीन की पहेली को सुलझाना।
चीनी कंपनियों के निवेश को बढ़ावा देने की बात
सर्वेक्षण मानता है कि चीनी कंपनियों के भारत में निवेश को बढ़ावा देने की नीति होनी चाहिए। यह वैश्विक मंच पर भारत निर्मित उत्पादों के बाजार को बढ़ाने और वैश्विक सप्लाई चेन में भारत को ज्यादा हिस्सा दिलाने वाला उपाय साबित हो सकता है। सर्वेक्षण ने पीएम मोदी के तीसरी बार लगातार प्रधानमंत्री बनने के संदर्भ में कहा है कि इससे नीतिगत निरंतरता व स्थिरता जारी रहेगी।
सरकारी नियंत्रण कम करने का सुझाव
सरकार को यह सुझाव भी दिया है कि वह कई क्षेत्रों पर अपना नियंत्रण कम करे। देश में लाइसेंसिंग व इंसपेक्शन (जांच-परीक्षण) से जुड़े नियमों का अभी भी भारतीय उद्योग पर बड़ा बोझ है। पहले के मुकाबले सरकार पर इसका बोझ कम हुआ है लेकिन अभी भी यह बहुत ज्यादा है। इसी तरह से उद्योग की जरूरत के हिसाब से युवाओं को प्रशिक्षण नहीं मिलना भी एक बड़ी चुनौती है।
आर्थिक सर्वेक्षण की मुख्य बातें
– वैश्विक अनिश्चितता के माहौल में भारतीय इकोनमी मजबूत।
– 6.5-7 फीसदी रहेगी आर्थिक विकास दर।
– लगातार 7 फीसदी से ज्यादा की विकास दर जरूरी।
– महंगाई काबू में लेकिन खाद्य महंगाई के बढ़ने का खतरा बरकरार।
– वर्ष 2030 तक हर साल 78।5 लाख नौकरी गैर कृषि सेक्टर में सृजित करना जरूरी।
– कृषि क्षेत्र में सुधार हुए जरूरी।
– उद्योगों पर लाइसेसिंग व इंसपेक्शन का बोझ कम किया जाए।
आर्थिक सर्वेक्षण के बजट संकेतक
– वर्ष 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करना प्राथमिकता।
– कृषि सेक्टर को भावी विकास का इंजन बनाने पर होगा जोर।
– निजी निवेश बढ़ाने के लिए नये प्रोत्साहनों की घोषणा संभव।
-एमएसएमई के विकास व संवर्द्धन को मिलेगी रणनीतिक प्राथमिकता।
– रोजगार सृजन को लेकर दिख सकती है नई सोच।
– हरित प्रौद्योगिकी के लिए जरूरी वित्त सुविधा की उपलब्धता बढ़ाना होगा सुनिश्चित।
– ढांचागत क्षेत्र के विकास को लेकर खुला रहेगा सरकारी खजाना।
– ग्राामीण क्षेत्र में आवास विकास व स्वरोजगार को ज्यादा अवसर।
– उद्योगों में महिला कामगारों की भागीदारी बढ़ाने को प्रोत्साहन।
– वित्तीय सेक्टर में सुधारों को तेज बढ़ाने के संकेत।