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दिल्ली में बाढ़ से निपटेगी भारतीय सेना और नौसेना..!

राजधानी दिल्ली में सबसे व्यस्त यातायात चौराहे आईटीओ पुल बैराज पर स्लुइस गेट के ऊपर ओवरहैंग को काटने के लिए सेना के इंजीनियरों की एक टीम को तैनात किया गया। वहां बाढ़ के हालात से निपटने के लिए भारतीय सेना और नौसेना एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। राजधानी के सबसे व्यस्त यातायात चैराहे आईटीओ पर एक ड्रेन रेगुलेटर के क्षतिग्रस्त होने और एक बैराज के स्लुइस गेट जाम होने के कारण यमुना का पानी सड़कों पर फैल गया था। इस वजह से 13 जुलाई की रात को जब यमुना नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही थी और निचले इलाके जलमग्न होने लगे। तब दिल्ली प्रशासन द्वारा भारतीय सेना की सहायता का अनुरोध किया गया था।
सेना से मांगी गई मदद
दिल्ली के मुख्य सचिव और सेना अधिकारियों ने इस हालात में सेना के हस्तक्षेप की आवश्यकता के मुद्दों पर चर्चा की। जिसके बाद आईटीओ पुल बैराज पर स्लुइस गेट के ऊपर ओवरहैंग को काटने के लिए सेना के इंजीनियरों की एक टीम को तैनात किया गया था। दिल्ली पुलिस भी सेना के साथ कदम से कदम मिलाकर बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत और बचाव के काम में जुटी है।
रातभर काम पर लगे रहे इंजीनियर
भारतीय सेना की टीम ने रात भर काम किया और सुबह तक एक गेट पर काम पूरा कर लिया और जाम गेट को खोलने में सहायता के लिए पूरी तरह तैयार थी। 14 जुलाई की सुबह, डब्ल्यूएचओ भवन के पास एक अतिरिक्त टीम की आवश्यकता महसूस हुई, क्योंकि यमुना नदी के पानी का स्तर बढ़ने के कारण रेगुलेटर दरवाजा क्षतिग्रस्त हो गया। यमुना के पानी के बैक-फ्लो से शहर में बाढ़ आनी शुरू हो गई थी।
यमुना के पानी के बैक-फ्लो को रोका
कल एक बयान में भारतीय सेना ने कहा, ‘इंजीनियरों की टीम ने स्थिति का आकलन किया और पानी को वापस यमुना नदी की ओर मोड़ने के लिए एक अस्थायी बांध का निर्माण किया। शहर में पानी के बैक-फ्लो को नियंत्रित कर लिया गया है। सेना की इंजीनियर टीम स्थान पर तैनात है और किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार है।’
आईटीओ बैराज के 32 में से पांच गेट जाम
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कल कहा कि भारतीय नौसेना भी आईटीओ बैराज के जाम गेट खोलने में उनकी सहायता कर रही है। आईटीओ बैराज के 32 में से पांच गेट जाम हो गए हैं। केजरीवाल ने रात बताया कि लगभग 20 घंटे की लगातार कोशिशों के बाद बैराज का पहला जाम गेट खोल दिया गया। गोताखोर टीम ने कंप्रेसर से पानी के अंदर से गाद निकाली, फिर हाइड्रा क्रेन से गेट को ऊपर खींचा गया।

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