जयपुर

‘गरीब की जोरू’ बना वन विभाग (forest department), जिसे देखो वह अभ्यारण्य (sanctuary) में बिना पूछे कर रहा काम


राजस्थान पुलिस ने नाहरगढ़ अभ्यारण्य में जेसीबी चलाई, वन विभाग ने काम रुकवाया
पुलिस चौकी निर्माण के लिए कराया जा रहा था जमीन को समतल करने का काम

जयपुर। राजस्थान का वन विभाग (forest department) इन दिनों ‘गरीब की जोरू’ के समान नजर आ रहा है, जिसका कोई धणी-धोरी नहीं है। जिसे देखो, वह विभाग के जयपुर में एकमात्र अभ्यारण्य (sanctuary) में घुसा चला आ रहा है और मनमर्जी से अतिक्रमण, अवैध वणिज्यिक गतिविधियां, तोड़-फोड़ और बिना पूछे काम करा रहा है।

ताजा मामला राजस्थान पुलिस का सामने आया है। राजस्थान पुलिस की ओर से पुलिस चौकी स्थापित करने के लिए सोमवार रात कनक घाटी में नाहरगढ़ की ओर जाने वाले रास्ते में अभ्यारण्य की बाउंड्रीवॉल को तोड़कर जमीन समतल करने का काम शुरू कर दिया गया। जेसीबी की मदद से दीवार तोड़ी गई और पहाड़ी की जमीन को समतल किया गया।

इस कार्रवाई की जानकारी वन विभाग के अधिकारियों को मिली तो वह भागे-भागे मौके पर पहुंचे और बिना विभाग की अनुमति के किए जा रहे काम को रुकवा दिया। इस पर पुलिस अधिकारियों की ओर से कहा गया कि अभ्यारण्य क्षेत्र में अवैध आवागमन को नियंत्रित करने के लिए चौकी का निर्माण कराया जा रहा है। इसके लिए हमारे पास फंड आ चुका है।

इस पर वन अधिकारियों की ओर से पुलिस अधिकारियों को समझाया गया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार अभ्यारण्य में वन विभाग के अतिरिक्त कोई भी काम नहीं करा सकता है। वैसे भी नाहरगढ़ में अवैध वाणिज्यिक गतिविधियों का मामला एनजीटी में चल रहा है, ऐसे में यहां नया निर्माण नहीं किया जा सकता है।

बताया जा रहा है कि वन अधिकारियों ने पुलिस अधिकारियों को कहा है कि यदि उनके पास चौकी के लिए फंड आ चुका है, तो वह फंड वन विभाग को ट्रांस्फर कर दिया जाए, वन विभाग अपने स्तर पर यहां चौकी का निर्माण करा देगा। वैसे भी इस जगह वन विभाग का चैकपोस्ट प्रस्तावित है, जल्द ही यहां चैकपोस्ट का निर्माण किया जाएगा, उस दौरान चौकी का भी निर्माण करा दिया जाएगा। इस समझाइश के बाद फिलहाल पुलिस विभाग ने यहां चौकी निर्माण का कार्य रोक दिया है।

उल्लेखनीय है कि नाहरगढ़ अभ्यारण्य में वन एवं वन्यजीव अधिनियमों की धज्जियां उड़ाते हुए पुरातत्व विभाग, आरटीडीसी की ओर से अवैध वाणिज्यिक गतिविधियां चलाई जा रही है। एडमा ने वन संपदा को नष्ट कर पांच बीघा जमीन पर अतिक्रमण कर पर्यटकों के लिए पार्किंग का निर्माण करा दिया। आरएसईबी ने बिना अनुमति के लाइट कनेक्शन दे दिए, आबकारी विभाग ने यहां शराब परोसने का लाइसेंस दे दिया, लेकिन किसी ने भी वन विभाग से अनुमति लेने की जहमत नहीं उठाई। यह पूरा मामला इस समय एनजीटी की निगरानी में है और 23 अगस्त को सुनवाई होने वाली है, उससे पूर्व ही पुलिस ने यह कारनामा कर दिया, जिससे वन अधिकारी सकते में आ गए।

अतिक्रमण हटा, लगवाना था वन विभाग का बोर्ड, मिलीभगत से लगवा दिया निजी संपत्ति का बोर्ड

उधर माउंट रोड पर अभ्यारण्य की जमीन पर अतिक्रमण के मामले में साबित होने लगा है कि वन अधिकारियों की मिलीभगत से ही अभ्यारण्य की जमीनों पर अतिक्रमण हो रहे हैं। वन प्रेमी राजेंद्र तिवाड़ी का कहना है कि माउंट रोड पर करोड़ों की करीब डेढ़ बीघा जमीन पर अतिक्रमण मामले में सीमाज्ञान होने के बाद एसीएफ ने अपने मातहत अधिकारियों को इस जमीन से अतिक्रमण हटाने और वहां वन विभाग की संपत्ति का बोर्ड लगाने का निर्देश दिया है, इसके बावजूद वन अधिकारियों की मिलीभगत से अतिक्रमणकर्ता ने इस जमीन पर गेट लगाकर निजी संपत्ति का बोर्ड लगा दिया है। वन अधिकारी इस जमीन पर कार्रवाई करने को तैयार नहीं है।

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