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अडानी समूह पर सेबी की कार्रवाई और संभावित राहत की चर्चा

मुंबई। अमेरिकी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) के प्रवर्तन विभाग के निदेशक संजय वाधवा ने स्पष्ट किया है कि यदि अमेरिकी कानूनों का उल्लंघन पाया गया, तो अडानी समूह के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे और उन्हें जवाबदेह बनाया जाएगा।
कानूनी राहत के विकल्प
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी न्याय विभाग द्वारा लगाए गए आरोपों के खिलाफ अपील की जा सकती है। कानूनी लड़ाई से बचने के लिए समझौते का रास्ता अपनाया जा सकता है, हालांकि यह प्रक्रिया काफी खर्चीली हो सकती है। इसके बावजूद, यह उपाय अडानी समूह को बड़ी कानूनी जटिलताओं से राहत दिला सकता है।
समझौते के संभावित लाभ और चुनौतियां
कोचर एंड कंपनी के शिव सप्रा के अनुसार, समझौता जुर्माने के रूप में धनराशि चुकाने का विकल्प हो सकता है, लेकिन यह अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी गलत आचरण को स्वीकार करने जैसा होगा। सुप्रीम कोर्ट के वकील तुषार कुमार का मानना है कि ऐसे समझौते से समूह को सार्वजनिक जांच से बचने और उसकी साख को गिरने से रोकने में मदद मिलेगी।
भारत और अमेरिका के कानूनी ढांचे में अंतर
अमेरिकी कानून एफसीपीए (विदेशी भ्रष्टाचार व्यवहार अधिनियम) के तहत घूसखोरी के मामलों में समझौते की अनुमति देता है, लेकिन भारत में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।
यह मामला अडानी समूह की साख और कानूनी रणनीति के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि सेबी की जांच और अडानी समूह के कदम किस दिशा में जाते हैं।

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