राजस्थान की विधानसभा ने सोमवार को राजस्थान प्लेटफ़ॉर्म आधारित गिग वर्कर्स (पंजीकरण और कल्याण) विधेयक 2023 को पास कर दिया है और इसके साथ ही राजस्थान गिग वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा की गारंटी देने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। राजस्थान सरकार ने गिग वर्करों को कानून के दायरे में लाने के लिए ऐसा किया है।
राजस्थान सरकार ने हाल ही में राजस्थान प्लेटफॉर्म बेस्ड गिग वर्कर्स बिल पास किया है।ये देश का पहला ऐसा बिल है जो गिग श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा की गारंटी देने का प्रयास करता है।सदन में विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच प्लेटफॉर्म-आधारित गिग वर्कर्स (पंजीकरण और कल्याण) विधेयक, 2023 को बिना बहस के विधानसभा में पारित कर दिया गया। मात्र 14 मिनट में 4 कानून पास हो गए। जहां एक-एक विधेयक पर 5 से 10 घंटे तक चर्चा का इतिहास रहा है वहां पहला ऐसा बिल बिना किसी बहस के पास हो गया। अगर कोई एग्रीगेटर इसके तहत कानून का पालन करने में नाकाम रहता है, तो उसके लिए जुर्माने और दंड का भी प्रावधान है।राज्य सरकार पहले उल्लंघन के लिए 5 लाख रुपये तक और बाद के उल्लंघन के लिए 50 लाख रुपये तक का जुर्माना लगा सकती है।
गिग वर्कर्स क्या होते हैं?
हर कारोबार में कुछ ऐसे काम होते हैं जिनको स्थायी कर्मचारियों के बजाए गैर स्थायी कर्मचारियों से करवाया जाता है। कंपनियां उन्हें उनके काम के आधार पर पेमेंट करती हैं। इन्हीं कर्मचारियों को गिग वर्कर्स कहा जाता है। ये कंपनी के साथ लंबे समय तक जुड़े भी नहीं रहते हैं। इसके मुताबिक स्वतंत्र रूप से काम करने वाले कर्मचारी, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के लिए काम करने वाले कर्मचारी, ठेका फर्म के कर्मचारी आदि अस्थायी गिग वर्कर्स हुए।अब तक इनके लिए कोई नियम नहीं था। प्रदेश में 3 से 4 लाख गिग वर्कर्स हैं।
फंड कहां से आएगा
बिल के अनुसार, बोर्ड एक “सामाजिक सुरक्षा और कल्याण कोष” बनाएगा जिसमें व्यक्तिगत श्रमिकों द्वारा किए गए योगदान, राज्य सरकार की सहायता, अन्य स्रोत और प्रत्येक लेनदेन से एक ‘वेलफेयर सेस’ शामिल होगा, जिसे एग्रीगेटर को भुगतान करना होगा।वेलफेयर सेस की दर 2% से अधिक नहीं होगी और न ही “प्रत्येक लेनदेन” के मूल्य के 1% से कम होगी और एग्रीगेटर्स को महीने के पहले पांच दिनों के भीतर राशि जमा करनी होगी।यूनियनों ने फंड में योगदान देने पर आपत्ति जताई और तर्क दिया कि वेतन की उतार-चढ़ाव और अपर्याप्त प्रकृति के कारण इसे केवल एग्रीगेटर कंपनियों और राज्य निधि से प्राप्त किया जाना चाहिए।
ऐप से जुड़ते ही पंजीकरण का अधिकार
मौजूदा श्रम कानूनों के तहत, जिन गिग श्रमिकों को प्लेटफार्मों द्वारा ‘साझेदार’ नाम दिया गया है, वे ‘कर्मचारी’ नहीं हैं क्योंकि उनकी “रोज़गार की निश्चित अवधि” नहीं है,जो एक निर्दिष्ट अवधि के लिए एक प्रदाता को विशेष सेवा प्रदान करके चिह्नित की जाती है। सेंटर फॉर इंटरनेट एंड सोसाइटी की तकनीकी और श्रम शोधकर्ता चियारा फर्टाडो का कहना है कि सामाजिक सुरक्षा संहिता, जो 2020 में पारित हुई और अभी तक लागू नहीं की गई है, में पात्रता के बारे में “प्रतिबंधात्मक मानदंड” शामिल हैं, जिन्हें राजस्थान विधेयक में हटा दिया गया है। विधेयक में कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति को ऐप-आधारित प्लेटफॉर्म से जुड़ते ही पंजीकृत होने का अधिकार है, चाहे काम की अवधि कुछ भी हो या वे कितने प्रदाताओं के लिए काम करते हों।कल्याण बोर्ड से अपेक्षा की जाती है कि वह “सामाजिक सुरक्षा के लिए”, केवल दुर्घटना बीमा और स्वास्थ्य बीमा, और “अन्य लाभों” को सूचीबद्ध करते हुए योजनाएं बनाएगा।
बोर्ड के अध्यक्ष होंगे श्रम विभाग के प्रभारी मंत्री
श्रम विभाग के प्रभारी मंत्री बोर्ड के अध्यक्ष होंगे और इसके नामांकित सदस्यों में से कम से कम एक तिहाई महिलाएँ होंगी। बोर्ड राज्य में संचालित प्लेटफॉर्म-आधारित गिग श्रमिकों और एग्रीगेटर्स का पंजीकरण सुनिश्चित करेगा और यह भी सुनिश्चित करेगा कि कल्याण शुल्क कटौती तंत्र एग्रीगेटर के एप्लिकेशन के कामकाज के साथ एकीकृत है।
क्या-क्या है प्रस्ताव
विधेयक में एक कल्याण बोर्ड का प्रस्ताव है जिसमें राज्य के अधिकारी, गिग वर्कर्स और एग्रीगेटर्स के प्रत्येक पांच प्रतिनिधि और नागरिक समाज के दो अन्य शामिल होंगे।
बिल के तहत एक एग्रीगेटर कर्तव्यों में शामिल हैं-
कल्याण उपकर समय पर जमा करना
गिग वर्कर्स के डेटाबेस को अपडेट करना
ऐसे परिवर्तनों के एक महीने के भीतर संख्याओं में किसी भी भिन्नता का दस्तावेजीकरण करना