जयपुर। महिला एवं बाल विकास विभाग के शासन सचिव डॉ. के.के. पाठक ने कहा है कि गुडगर्वनेंस के लिए नियमबद्धता अनिवार्य है। डॉ. पाठक गुरूवार को महिला अधिकारिता निदेशालय स्थित सभागार में नव नियुक्त संरक्षण अधिकारियों के एक दिवसीय आधारभूत प्रशिक्षण कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने संरक्षण अधिकारी के कर्तव्य एवं दायित्वों पर चर्चा करते हुए बताया कि महिलाओं को घरेलु हिंसा से संरक्षण दिये जाने और उन्हें तत्काल व आपातकाल में राहत देने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा घरेलु हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधीनियम 2005 लागू किया गया है।
उन्होंने बताया कि पूर्व के किसी भी कानून में विवाह के अलावा अन्य रिश्तों को शामिल नहीं किया जाता था। अब घरेलु सम्बन्धों में बहिन, विधवा, माँ, बेटी, अकेली अविवाहित महिला आदि को भी सम्मिलित किया गया है। इसके अतिरिक्त साझा घर को भी परिभाषित किया गया है। इससे व्यथित महिला को निवास सम्बन्धी सुविधा से वचिंत नहीं किया जा सके।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रशासनिक ढ़ांचा, आरएसआर, आरटीआई, वेब पोर्टल, सामान्य वित्तीय लेखन समेकित बाल विकास विभाग की सामान्य जानकारी इन्द्रा महिला शक्ति की समस्त योजनाओं, जेंडर विषय से सम्बन्धित जानकारी, साथिन कार्यक्रम बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, राजश्री योजना, महिला शक्ति केन्द्र एवं महिला सुरक्षा संबन्धी योजनाओं की जानकारी दी गई।
प्रशिक्षणार्थी अधिकारियों को बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के राज्य समन्वयक डॉ. जगदीश सिंह ने बताया कि विवाह में आठवां फेरा लिंग भेद को समाप्त करने के लिये दिलवाया जाना चाहिए। कार्यक्रम में कोरोना गाइडलाइन का ध्यान रखते हुए सामाजिक दूरी के साथ 17 प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण दिया गया।