जयपुर

क्या दूसरों के कंधों का सहारा लेकर खुद का दर्द बयां कर गए गड़करी (Gadkari)?

जयपुर। राष्ट्रमंडल संसदीय संघ राजस्थान शाखा के तत्वावधान में सोमवार को राजस्थान विधानसभा (Rajasthan Assembly)में संसदीय प्रणाली और जन अपेक्षाओं को लेकर आयोजित हुई सेमिनार में दूसरे सत्र में मुख्य वक्ता केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी (Gadkari) ने अपनी पार्टी सहित सभी नेताओं पर तंज कसते हुए कहा है कि, ‘समस्या सबके साथ है. पार्टी के भीतर और बाहर सब जगह समस्या है।

हर कोई दुखी है… एमएलए इसलिए दुखी है कि मंत्री नहीं बने… मंत्री बन गए तो इसलिए दुखी हैं कि अच्छा विभाग नहीं मिला और जिन मंत्रियों को अच्छा विभाग मिल गया… वे इसलिए दुखी हैं कि मुख्यमंत्री नहीं बन पाए… मुख्यमंत्री इसलिए दुखी हैं कि पता नहीं कब तक रहेंगेÓ। गडकरी ने कांग्रेस और बीजेपी की कलह और बीजेपी द्वारा मुख्यमंत्रियों को बदलने पर इशारों-इशारों में निशाना साधा। गडकरी के इस बयान को लेकर सियासी गलियारों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है।

गलियारों में कहा जा रहा है कि गड़करी ने मौजूदा राजनीतिक हालातों पर तो निशाना साधा, लेकिन साथ ही साथ दूसरों के कंधों का सहारा लेकर खुद का दर्द भी बयां कर दिया। गड़करी भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में शामिल हैं और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। जिस समय वह राष्ट्रीय अध्यक्ष थे, उस समय नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। मोदी दो बार प्रधानमंत्री बन गए, लेकिन गड़करी का नंबर नहीं आ पाया।

कांग्रेस-भाजपा की अंदरूनी कलह पर निशाना
गडकरी ने मंत्री और मुख्यमंत्री के दुखी होने का उदाहरण देकर नाम लिए बिना कांग्रेस के साथ अपनी पार्टी पर भी तंज कसा। उल्लेखनीय है कि रविवार को ही बीजेपी ने गुजरात में मुख्यमंत्री बदला है और वहां विजय रूपाणी की जगह भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाया गया है। केंद्र में भी कई दावेदार मंत्री नहीं बन पाए। राज्यों में भी यही हाल है। राजस्थान में भी मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर खींचतान सालभर से जारी है।

गड़करी ने यह बातें जयपुर में कही। उनकी यह बातें जयपुर सांसद रामचरण बोहरा पर भी फिट बैठती हैं। बोहरा ने 2014 के लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद देशभर में सबसे ज्यादा वोट पाए थे। वह 2019 में भी सांसद चुने गए, लेकिन उन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल पाई। कुछ समय पूर्व हुए मंत्रीमंडल विस्तार के दौरान भी वह एक्टिव नजर आए, लेकिन उन्हें मंत्रीपद नहीं मिल पाया।

इसके अलावा चारा भी नहीं
सेमिनार में अपने काम करने की तरीके और खुश रहने को लेकर गड़करी ने कहा कि, जाने-माने व्यंग्यकार शरद जोशी ने लिखा था कि जो राज्यों में काम के नहीं थे, उन्हें दिल्ली भेज दिया. जो दिल्ली में काम के न थे, उन्हें गवर्नर बना दिया और जो वहां भी काम के नहीं थे उन्हें एंबेसडर बना दिया। गडकरी ने बताया कि भाजपा अध्यक्ष रहते मुझे ऐसा कोई नहीं मिला, जो दुखी न हो।

एक बार मुझसे एक पत्रकार ने पूछा कि आप मजे में कैसे रह लेते हैं। तो मैंने कहा कि मैं भविष्य की चिंता नहीं करता, जो भविष्य की चिंता नहीं करता वह खुश रहता है। गडकरी ने कहा कि वन डे क्रिकेट की तरह खेलते रहो। मैंने सचिन तेंदुलकर और सुनील गावस्कर से छक्के चौके लगाने का राज पूछा तो बोले कि यह स्किल है। इसी तरह राजनीति भी एक स्किल है।

वर्तमान राजनीति पर कसा तंज
पक्ष और विपक्ष के अनुभव बताते हुए गडकरी ने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन को वाटरगेट कांड के बाद पद छोड़ना पड़ा था। निक्सन ने लिखा था कि आदमी हारने से समाप्त नहीं होता, नहीं लड़ने से समाप्त होता है। हमें तो जीवन में लड़ना है। कभी-कभी हम सत्ता में होते हैं, कभी विपक्ष में। यह चलता रहता है। जो ज्यादा विपक्ष में रहते हैं, वे सत्ता में जाकर भी विपक्ष जैसा व्यवहार करते हैं। ज्यादा सत्ता में रहने वाले विपक्ष में रहकर भी सत्ता जैसा ही व्यवहार करते हैं। उनकी आदत पड़ जाती है।

सरकार लाने वाली है मिक्स फ्लेक्स इंजन पॉलिसी
गडकरी ने बताया कि देश में जल्द ही वाहन चालकों के पास यह विकल्प होगा कि वे अपनी गाड़ी पेट्रोल से चलाएं या शत-प्रतिशत इथेनॉल ईंधन से गाड़ी चलाएं। केंद्र सरकार इसके लिए मिक्स फ्लेक्स इंजन पॉलिसी लेकर आ रही है। देश के किसान गेहूं-चावल तैयार करने के साथ-साथ अब पेट्रोल-डीजल भी तैयार कर सकते हैं। अमेरिका, ब्राजील और कनाडा में यह चीज अपनाई जा रही है।

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