जयपुर। राजस्थान का सियासी संग्राम आज होटल से निकलकर राजभवन में पहुंच गया। कांग्रेसी विधायकों ने मुख्यमंत्री के साथ राजभवन पहुंचकर धरना शुरू कर दिया, जो शाम तक जारी रहा। कांग्रेस का कहना है कि जब तक राज्यपाल सत्र बुलाने की मांग नहीं मान लेते हैं, तब तक राजभवन का घेराव जारी रहेगा।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्यपाल से लम्बी वार्ता की, लेकिन बात नहीं बनी। बताया जा रहा है कि राज्यपाल ने कोरोना संक्रमण की स्थितियों को देखते हुए सत्र बुलाने की मांग को खारिज कर दिया। इस पर गहलोत ने राजभवन से बाहर निकलकर मीडिया को संबोधित करते हुए फिर से राज्यपाल पर निशाना साधा और कहा कि राज्यपाल बिना ऊपर के दबाव के विधानसभा सत्र बुलाने के फैसले को रोक नहीं सकते हैं।
हमने कल ही राज्यपाल को मंत्रिमंडल के विधानसभा सत्र बुलाने के फैसले से अवगत करा दिया था। अब भी हम राज्यपाल से निवेदन कर रहे हैं कि वह अपने संवैधानिक दायित्वों को पूरा करे और मंत्रिमंडल के फैसले के अनुरूप जल्द से जल्द विधानसभा सत्र बुलाने का फैसला सुनाएं।
गहलोत ने दोपहर साढ़े बारह बजे होटल फेयरमोंट के बाहर संवाददाताओं को संबोधित किया था। इसके बाद गहलोत समेत सभी कांग्रेसी विधायकों ने चार बसों में पुलिस सुरक्षा के बीच राजभवन की ओर कूच कर गए। दोपहर ढाई बजे सभी विधायक राजभवन पहुंचे और अंदर चले गए।
इस दौरान परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास और बसपा से कांग्रेस में आए राजेंद्र गुढ़ा ने फिर कहा कि हमारी सरकार को किसी प्रकार का खतरा नहीं है। राजभवन के अंदर जाने के बाद गहलोत फिर से राज्यपाल से मिलने के लिए चले गए। इस दौरान सभी विधायक राजभवन के लॉन में बैठ गए और नारेबाजी करने लगे।
जानकारी के अनुसार जब तक राज्यपाल सत्र बुलाने का फैसला नहीं सुना देते हैं, तब तक विधायक राजभवन में जमे रह सकते हैं। सुनने में यह भी आ रहा है कि विधायकों को कह दिया गया है कि वह अपने कपड़े व जरूरी सामान मंगवा लें, पता नहीं कि धरना कब तक चले।