जयपुर। बीसीसीआई देश भर के क्रिकेटरों को पेंशन के बतौर आर्थिक मदद करती है लेकिन यह केवल 25 या उससे अधिक रणजी मैच खेले क्रिकेटरों को ही मिल पाती है। 25 से कम रणजी मैच खेले ऐसे क्रिकेटरों की मदद पिछले वर्ष अस्तित्व में आए इंडियन क्रिकेटर्स एसोसिएशन (आईसीए) द्बारा की जाती है।
एसोसिएशन द्बारा क्रिकेटरों को वैश्विक महामारी कोरोना वायरस कोविड 19 के दौरान वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। आईसीए के द्बारा 24 पूर्व क्रिकेटरों के नामों की सूची जारी की है, जिनमें राजस्थान के पूर्व रणजी खिलाडी गजराज सिंह भी शामिल है। उनके अलावा दो पूर्व क्रिकेटरों की विधवाएं भी शामिल हैं।
आईसीए द्बारा 60 हज़ार रुपये से 1लाख रुपयों तक की मदद की जाती है। इससे पूर्व राजस्थान के कौशल देवड़ा और धीरज परसाना को भी आईसीए द्बारा 80 हज़ार की मदद की गई थी। इस एसोसिएशन के साथ भारत के 1750 पूर्व क्रिकेटर पंजीकृत हैं और 57 क्रिकेटरों को अब तक आर्थिक सहायता प्रदान की जा चुकी है।
राजस्थान के पूर्व रणजी कप्तान और राजस्थान क्रिकेट संघ की सीनीयर चयन समिति के चैयरमैन रहे विनोद माथुर ने बताया कि आईसीए ने पूर्व क्रिकेटरों के योगदान से लगभग 78 लाख रुपये इकठ्ठा किये हैं, जिनसे 57 जरूरतमंद पूर्व क्रिकेटरों को वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। राजस्थान के पूर्व क्रिकेटरों ने भी आईसीए के फंड में आर्थिक अंशदान दिया।
बाएं हाथ के स्पिनर और बल्लेबाज गजराज सिंह के साथ खेले माथुर ने बताया कि वे जोधपुर के रहने वाले पार्थ सारथी शर्मा, सलीम दुर्रानी आदि क्रिकेटरों के साथ एक ही टीम में खेले।
उन्होनें बताया कि एक बार गजराज ने पार्थ के कहने पर ओपनिंग की और राउरकेला (उडीसा) में मेजबान के खिलाफ नाबाद 52 रनों की की पारी खेली तो पार्थ भी हतप्रभ हो गए और उनकी जमकर तारिफ की।
गजराज के पिता सिटी पैलेस में नौकरी करते थे और उनके रिटायर होने के बाद वे चौगान स्टेडियम के पीछे किराये पर रहते थे। वही एक दिन छत से गिरकर उनकी मौत हो गई थी।
पूर्व रणजी क्रिकेटर और उनके साथ खेले योगेन्द्र चौहान ने बताया कि वे रवि शास्त्री सरीखे बॉलर और बेट्समैन थे लेकिन मुबंई से आने वाले बड़े खिलाडियों की छाया में दबकर रह गए। उनकी गेंदो में वेरीएशन था और लेंथ भी अच्छी थी। वे बल्लेबाज को खुलकर खेलने का मौका नहीं देते थे और गेंदबाजी में एक्यूरेसी भी थी।
पूर्व रणजी क्रिकेटर और प्लेयर्स एसोसिएशन रोहित झालानी ने बताया कि हमने इन खिलाडियों के नामों को आईसीए को सिफारिश की थी। राजस्थान की ओर से सात रणजी मैचो में खेले गजराज के आसमयिक निधन के बाद उनके परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण पूर्व क्रिकेटरों विनोद माथुर, संजय व्यास, अनंत व्यास आदि ने गजराज की बेटी की न केवल शादी करवाई बल्कि उसका खर्चा भी उठाया और आर्थिक मदद भी की। शायद यह पहला मौका है जबकि किसी खेल के पूर्व खिलाडियों ने अपने साथ खेले क्रिकेटर के बच्चे की शादी अपने खर्चे पर करवाई।
दुर्रानी, शास्त्री के कारण नहीं मिला मौका
बांए हाथ के स्पिनर गजराज को टीम में सुरेश शास्त्री, सलीम दुर्रानी आदि क्रिकेटरों की मौजूदगी की वजह से ज्यादा क्रिकेट खेलने का मौका नहीं मिला। 80 के दशक में राजस्थान टीम में मुंबई के खिलाडियों का दबदबा हुआ करता था और 8-9 खिलाड़ी वहीं से आकर खेला करते थे ।