दावेदारों ने एनओसी नियमों में शिथिलता की मांग उठाई
जयपुर। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद अब प्रदेश के तीन बड़े शहरों की छह नगर निगमों में चुनाव की तैयारियां शुरू हो चुकी है। चुनाव आयोग ने चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी है। ऐसे में संभावित उम्मीदवारों ने भी चुनावों के लिए तैयारियां तेज कर दी है, लेकिन उन्हें कोरोना काल में एक बार फिर से नगर निगम के कार्यालयों में एनओसी के लिए चक्कर लगाने पड़ सकते हैं।
नगर निगम की ओर से साफ कर दिया गया है कि पुरानी एनओसी काम नहीं आएगी, पार्षद पद के दावेदारों को नई एनओसी बनवानी होगी। छह नगर निगमों में इस वर्ष अप्रेल में चुनाव होने थे, लेकिन मार्च में ही कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन लग गया और चुनाव टाल दिए गए। इस दौरान अधिकांश दावेदारों ने नगर निगम से किसी प्रकार का बकाया नहीं होने की एनओसी बनवा ली थी। यह एनओसी अब बेकार हो गई है।
एनओसी के लिए जिला प्रशासन की ओर से जवाब दिया गया है कि आयोग के निर्देशों के अनुसार ही दावेदारों को अपनी कागजी कार्रवाई पूरी करनी होगी। नगर निगम के उपायुक्त राजस्व नवीन भारद्वाज का कहना है कि मार्च में जो एनओसी बनाई गई थी वह पिछले वित्तीय वर्ष की थी। अब नया वित्तीय वर्ष चल रहा है, ऐसे में दावेदारों पर यूडी टैक्स के साथ-साथ कुछ अन्य शुल्क ड्यू हो गए हैं, ऐसे में उन्हें नई एनओसी बनवानी होगी। नए दावेदार जोन कार्यालयों से एनओसी बनवा सकते हैं। वहीं जो पूर्व पार्षद हैं, सिर्फ उन्हें ही निगम मुख्यालय आने की जरूरत होगी।
पूर्व पार्षद अनिल शर्मा का कहना है कि दावेदार अपना किसी प्रकार का बकाया बिना निगम कार्यालयों में आए जमा करवा सकते हैं, लेकिन उन्हें एनओसी लेने के लिए तो निगम कार्यालयों पर आना पड़ेगा। वहीं पूर्व पार्षदों को भी मुख्यालय से ही एनओसी मिलेगी। दावेदार पहले एनओसी बनवा चुके हैं, जो बकाया होगा वह भी चुकाया जा सकता है, लेकिन एनओसी के लिए उन्हें फिर से कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच निगम कार्यालयों पर जाना होगा।
निगम कार्यालयों में भी ढाई-तीन हजार दावेदार पहुंचेंगे तो संक्रमण का खतरा बढ़ेगा। ऐसे में चुनाव आयोग को कोरोना संक्रमण देखते हुए एनओसी के नियम में शिथिलता देनी चाहिए, क्योंकि ज्यादातर दावेदार पूर्व में एनओसी ले चुके हैं और उनका ज्यादा बकाया नहीं होगा।