राजस्थान में शुक्रवार को जहां प्रदेश में विद्युत कमी के कारण शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में कहीं भी बिजली की कटौती नहीं करनी पड़ी, वहीं सूरतगढ़ (Suratgarh) में दूसरी इकाई में विद्युत उत्पादन (power generation) आरंभ कर दिया है। अतिरिक्त मुख्य सचिव ऊर्जा डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि राज्य में कोयला की आपूर्ति में कमी और विद्युत संकट के बीच मुख्यमंत्री गहलोत के प्रयासों से लगातार स्थिति में सुधार आया है और 6 अक्टूबर से लेकर 15 अक्टूबर तक प्रदेश मेें कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनियों एनसीएल और एसईसीएल से जहां 65 रैक कोयला की रवाना (dispatched) होकर प्राप्त हुई है, वहीं राज्य सरकार की पीकेसीएल से कोयले की 101 रैक रवाना हुई है। इस तरह कुल 166 रैक कोयला (166 rakes of coal) रवाना किया गया है।
अग्रवाल ने बताया कि पिछले दिनों नई दिल्ली में कोयला सचिव, पॉवर सचिव और पर्यावरण सचिव से चर्चा के दौरान प्रभावी तरीके से राज्य का पक्ष रखा गया जिस पर केन्द्रीय सचिवों ने कोयले की आपूर्ति बढ़ाने के स्पष्ट संकेत देने के साथ ही अधिक रैक भी प्राप्त होने लगी है।
राज्य मेें बंद तापीय इकाइयों मेें भी प्राथमिकता से उत्पादन आरंभ किया जा रहा है और पिछले आठ दिनों में चार इकाइयों में करीब 1700 मेगावाट विद्युत उत्पादन शुरु किया गया है। सूरतगढ मेें 250 मेगावाट विद्युत उत्पादन क्षमता की इकाई में उत्पादन शुरु हो गया है, वहीं इससे पहले कालीसिंध तापीय में 600 मेगावाट, कोटा तापीय विद्युत गृह में 195 और सूरतगढ़ तापीय विद्युत गृह में यूनिट 6 में 660 मेगावाट का उत्पादन आरंभ हो गया है।
ऊजाज़् मंंत्री डॉ. बीडी कल्ला विद्युत समस्या को लेकर गंभीर है और कोयले की उपलब्धता, विद्युत उत्पादन, औसत मांग व अधिकतम मांग के साथ ही वैकल्पिक उपायों की नियमित समीक्षा कर अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दे रहे हैं।