जयपुर। पुरातत्व विभाग में अधिकारी तो अधिकारी बाबू भी कम नहीं है। कहा जा रहा है कि यहां के सेटिंगबाज अधिकारी सेर हैं तो बाबू भी सवा सेर है, तभी तो कमाऊ पूत कहलाने वाले कुछ बाबू विभाग में कमाई वाली जगहों पर दशकों से कब्जा जमाए बैठे हैं। हाल यह है कि उच्चाधिकारी भी इन बाबुओं को छेड़ने की हिम्मत नहीं रखते हैं।
विभाग में इंजीनियरिंग शाखा के दो बाबुओं के चर्चे तो आम है। यह दोनों बाबू एक दशक से अधिक समय से इंजीनियरिंग शाखा में जमे हुए हैं और विभाग के नवरत्नों में शमिल है। इनके इशारों पर पूरा विभाग नाचता फिरता है, नाचे भी क्यो नहीं, यह दोनों कमाऊ पूत जो ठहरे। शाखा में कोई भी काम इनकी खुशामद के बिना नहीं हो पाता है।
नए ठेकेदारों को डराकर अवैध वसूली करना, फाइलों में हेरफेर करना, ठेकेदारों के घटिया कामों का भुगतान कराना, ठेकेदारों की अधिकारियों से सेटिंग कराने, कमीशनबाजी और बंटवारे जैसे कामों में इन दोनों को महारथ हासिल है। विभाग की ऐसी कोई भी खबर नहीं होती जो इनके पास नहीं मिले। कहा तो यह जाता है कि इंजीनियरिंग शाखा में दशकों तक रहने के दौरान इनको इतनी महारथ हासिल हो चुकी है कि यह इंजीनियरों के व्यस्त रहने पर टेंडरों के लिए एस्टिमेट तक तैयार कर देते हैं। विभाग में कुछ अन्य बाबू भी हैं, जो लंबे समय से एक ही जगह पर जमे बैठे हैं।
रोस्टर को लेकर उच्चाधिकारियों से नाराज कर्मचारी
पुरातत्व विभाग में रोस्टर को लेकर कर्मचारी काफी नाराज हैं और कभी भी उच्चाधिकारियों के खिलाफ झंडा बुलंद कर सकते हैं। विभाग के कर्मचारी नेताओं का कहना है कि प्रदेश के सभी विभागों में अधिकारियों को ही नहीं बल्कि मंत्रालयिक कर्मचारियों को भी रोस्टर के आधार पर लगाया जाता है। समय-समय पर उनकी शाखा बदली जाती है, लेकिन विभाग में कुछ चुनिंदा कर्मचारी दशकों से एक ही पद पर बैठे हैं।
ऐसे में उच्चाधिकारियों पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं कि उनकी मिलीभगत से कुछ चहेते कर्मचारी कमीशनखोरी में लगे हैं। उच्चाधिकारियों को चाहिए कि वह रोस्टर के आधार पर कर्मचारियों की अदला-बदली करे, ताकि सभी कर्मचारियों को हर शाखा में काम करने का अनुभव प्राप्त हो सके।
कर्मचारियों की कमी नहीं, फिर क्यों नहीं हो रहा रोस्टर
कर्मचारी नेता सवाल उठा रहे हैं कि विभाग में कर्मचारियों की कोई कमी नहीं रही है। आरपीएससी से सलेक्ट होकर और अनुकंपा नियुक्ति के आधार पर विभाग को काफी मंत्रालयिक कर्मचारी मिले हैं, ऐसे में विभाग रोस्टर के आधार पर कर्मचारियों को लगाने में क्यों हिचक रहा है? क्यों अधिकारी सेवानिवृत्त अधिकारी को बार-बार संविदा नियुतियां देकर मनमानी जगह पर तैनात कर रहे हैं। उच्चाधिकारियों को इन सवालों का जवाब देना होगा, नहीं तो जल्द ही विभाग में कर्मचारी आंदोलनरत हो सकते हैं।