धरम सैनी
जयपुर। वन विभाग और पुरातत्व विभाग के बीच चल रही ‘नाहरगढ़’ (Nahargarh) की लड़ाई में ‘जयगढ़’ (Jaigarh) फोर्ट की भी शामत आ गई है। नाहरगढ़ फोर्ट पर एनजीटी का फैसला आने के बाद वन विभाग (forest department) ने जयगढ़ फोर्ट पर भी अपना शिकंजा (grip) कस दिया है।
वन विभाग के कार्यालय उपवन संरक्षक (वन्यजीव) चिडिय़ाघर, जयपुर की ओर से 20 अक्टूबर को जयगढ़ के मैनेजर को फोर्ट के अधिकार क्षेत्र और परिसर में चलाई जा रही अवैध वाणिज्यिक गतिविधियों के संबंध में नोटिस दिया गया था।
नोटिस में जयगढ़ फोर्ट के संचालकों को निर्देशित किया गया है कि वह वन विभाग को बताएं कि फोर्ट का संचालन किस अधिकार के तहत किया जा रहा है। फोर्ट परिसर में कौन-कौनसी वाणिज्यिक गतिविधियां संचालित की जा रही है। क्या संचालकों ने वाणिज्यिक गतिविधियों के संचालन के लिए वन विभाग से किसी प्रकार की अनुमति ली है।
वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अभी तक जयगढ़ फोर्ट प्रबंधन की ओर से इस नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया गया है। नाहरगढ़ अभ्यारणय के लिए जारी 1961 के नोटिफिकेशन में नाहरगढ़, जयगढ़ और अचरोल के फोर्ट को अभ्यारण्य में शामिल किया गया है। अब वन प्रेमी राजेंद्र तिवाड़ी की ओर से एनजीटी में दाखिल पीआईएल में एनजीटी ने पूरे अभ्यारण्य क्षेत्र से 1 दिसंबर 2021 तक सभी वाणिज्यिक गतिविधियों को बंद करने का निर्देश दिया है।
जयगढ़ का संचालन सवाई मान सिंह द्वितीय म्यूजियम ट्रस्ट, सिटी पैलेस, जयपुर की ओर से किया जाता है। फोर्ट में कई शोरूम, रेस्टोरेंट और पार्किंग जैसी वाणिज्यिक गतिविधियों का संचालन किया जाता है, जिसे लेकर वन विभाग की ओर से यह नोटिस दिया गया है।
जिला कलेक्टर को भेजी रिपोर्ट
वन विभाग के अनुसार एनजीटी ने 1 दिसंबर से पूर्व अभ्यारण्य में सभी वाणिज्यिक गतिविधियों को बंद कराने की जिम्मेदारी जिला कलेक्टर, जयपुर को सौंपी गई है। जिला कलेक्टर एनजीटी के आदेशों की पालना कराएंगे। ऐसे में वन विभाग ने जयगढ़ फोर्ट में चल रही अवैध वाणिज्यिक गतिविधियों की पूरी रिपोर्ट जिला कलेक्टर को सौंपी है।
10 नवंबर को होगी विस्तृत चर्चा
जानकारी के अनुसार नाहरगढ़ अभ्यारण्य के ईको सेंसेटिव जोन में बसी आवासीय कॉलोनियों को पट्टे जारी करने के मामले में राजेंद्र तिवाड़ी की ओर से एनजीटी में दायर एक अन्य याचिका के संबंध में 10 नवंबर को जिला कलेक्टर की ओर से बैठक आहूत की गई है। सूत्रों के अनुसार वन विभाग की ओर से जिला कलेक्टर को आग्रह किया गया है कि इस बैठक में नाहरगढ़ अभ्यारण्य से संबंधित अन्य पक्षों को भी बुला लिया जाए और नाहरगढ़, जयगढ़ और आमेर महल के आस-पास अवैध वाणिज्यिक गतिविधियों को बंद कराने की पूरी प्रक्रिया का खाका भी तैयार कर लिया जाए, क्योंकि एनजीटी के आदेशों की पालना के लिए अब कम ही समय बचा है। ऐसे में यह बैठक बेहद महत्वपूर्ण होने वाली है।
पालना नहीं हुई तो दायर करेंगे अवमानना याचिका
मामले में परिवादी राजेंद्र तिवाड़ी का कहना है कि यदि 1 दिसंबर तक एनजीटी के आदेशों की पालना नहीं हुई और अभ्यारण्य क्षेत्र से सभी अवैध वाणिज्यिक गतिविधियों को बंद नहीं कराया गया तो वह इस मामले में अवमानना याचिका दायर करेंगे।