जयपुर

कोयला संकट (coal crisis) को देखते हुए मुख्यमंत्री गहलोत (CM Gehlot) ने बिजली बचत (electricity savings) को बढ़ावा देने का किया आह्वान

मानसून में हुई बारिश से कोयला खदानों में पानी भरने के कारण पूरे उत्तर भारत में पिछले कुछ दिनों से कोयला उपलब्धता के संकट (coal crisis) को देखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Gehlot) ने गुरुवार को बिजली की पर्याप्त उपलब्धता की तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि कोयला खदानों में पानी भरने से उपजे इस संकट के कारण प्रदेश में थर्मल पॉवर प्लांट्स की कुछ इकाइयां अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर पा रही हैं। ऐसे में आमजन को बिजली बचत (electricity savings) के लिए जागरूक किया जाए।

गहलोत ने कहा कि बिजली संकट के कारण ग्रिड में बिजली की कमी है। पवन ऊर्जा प्लांट्स से भी स्थापित क्षमता से कम बिजली मिल रही है। ऐसे में अधिकारी आगामी दिनों में बिजली की मांग एवं उपलब्धता के आधार पर आपूर्ति के संबंध में कार्य योजना बनाएं। विद्युत संकट को देखते हुए उन्होंने उपभोक्ताओं से बिजली बचत के तरीके अपनाने की अपील की।

गहलोत ने कहा कि ऊर्जा विभाग के अधिकारी छत्तीसगढ़ जाकर वहां स्थित कोल ब्लॉक्स मेंं कोयले की वर्तमान उपलब्धता एवं प्रदेश की जरूरत के मुताबिक पर्याप्त कोयला उपलब्ध हो इसकी निरंतर मॉनिटरिंग करें। उन्होंने केन्द्रीय अधिकारियों से समन्वय स्थापित कर पर्याप्त मात्रा में कोयला रैक की आपूर्ति सुनिश्चित करने को कहा, ताकि हमारे थर्मल पॉवर प्लांट्स का सुचारू संचालन हो सके। उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं को जरूरत के अनुसार बिजली आपूर्ति सुचारू रखने के लिए थर्मल पॉवर प्लांट्स का कार्यशील रहना जरूरी है।

ऊर्जा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने बताया कि केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री से बातचीत के दौरान उनसे प्रदेश को आवंटित कोटे के अनुरूप कोयला प्रतिदिन उपलब्ध कराने का आग्रह किया है। केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री ने केन्द्रीय कोयला मंत्री एवं कोयले की उपलब्धता की मॉनिटरिंग के लिए बनाए उप-समूह से चर्चा कर राजस्थान को कोयले की आपूर्ति बढ़ाने के लिए प्रयास करने का आश्वासन दिया है।

चेयरमैन डिस्कॉम्स भास्कर ए सावंत ने बिजली आपूर्ति की वर्तमान स्थिति पर प्रस्तुतीकरण दिया। उन्होंने बताया कि मौसम में हुए परिवर्तन से गर्मी एवं उमस बढ़ी है। ऐसे में दोपहर 3 बजे बाद बिजली की मांग काफी बढ़ गई है। आज की स्थिति में प्रतिदिन औसत मांग 12500 मेगावाट की है, जबकि औसत उपलब्धता 8500 मेगावाट ही है। प्रदेश में 4 अक्टूबर के बाद से बिजली का उपभोग बढ़ा है, लेकिन थर्मल पॉवर प्लांट्स के पूरी क्षमता से काम नहीं करने के कारण उपलब्धता घट रही है। मांग एवं उपलब्धता में प्रतिदिन दोपहर 3 बजे से रात्रि 12 बजे तक 2500 मेगावाट से अधिक का अंतर आ गया है। ऐसे में पिछले दो दिन से मजबूरीवश रोस्टर से बिजली कटौती की जा रही है। जिन क्षेत्रों में कटौती हो रही है, उसके बारे में लोगों को समाचार पत्रों एवं सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी।

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