भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) मुख्यालय के निर्देश पर जयपुर नगर तृतीय टीम द्वारा बुधवार को कार्यवाही करते हुए पार्षद वार्ड नंबर-6, हैरिटेज नगर निगम जयपुर (JMC) को 20 हजार रुपये की रिश्वत (Bribe) राशि लेते रंगे हाथों गिरफ्तार (arrested) किया है।
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के महानिदेशक बीएल सोनी ने बताया कि एसीबी की जयपुर नगर तृतीय टीम को परिवादी द्वारा शिकायत दी गई थी कि उसे भवन निर्माण की इजाजत दिलाने की एवज जाहिद पार्षद वार्ड नंबर-6 हैरिटेज नगर निगम, जयपुर द्वारा 60 हजार रुपये की रिश्वत राशि मांग रहा है।
शिकायत पर एसीबी जयपुर नगर तृतीय इकाई के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हिमांशु कुलदीप के नेतृत्व में शिकायत का सत्यापन कर ट्रेप की कार्रवाई करते हुए जाहिद निर्वाण, निवासी वार्ड नंबर 6 भट्टाबस्ती संजय नगर को परिवादी से 20 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया गया।
एसीबी के अतिरिक्त महानिदेशक दिनेश एम.एन. के निर्देशन में आरोपी के आवास एवं अन्य ठिकानों की एसीबी टीमों द्वारा तलाशी जारी है। वहीं एसीबी द्वारा इस मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर जांच की जा रही है।
पार्षदों में हड़कंप, चर्चा चली की बोर्ड बचाने के लिए हो रही निर्दलीय पार्षदों पर कार्रवाई
एसीबी की कार्रवाई के बाद जयपुर नगर निगम हैरिटेज और गे्रटर के पार्षदों में हड़कंप मच गया। निगम में इस कार्रवाई के पीछे चर्चाओ का बाजार गरम हो गया। कहा जाने लगा कि निगम हैरिटेज में बोर्ड बचाने के लिए यह कार्रवाई की गई है, ताकि बगावत की तैयारी कर रहे निर्दलीय पार्षदों को काबू में किया जा सके।
सियासी हलकों में कहा जाने लगा कि प्रदेश में सरकार बचाने के लिए जब प्रदेशाध्यक्ष और डिप्टी सीएम पर देशद्रोह की धाराएं लगाई जा सकती है तो फिर बोर्ड बचाने के लिए भी निर्दलीय पार्षदों पर एसीबी की कार्रवाई हो सकती है।
जानकारी के अनुसार नगर निगम हैरिटेज में कांग्रेस का बोर्ड निर्दलीय पार्षदों के दम पर ही टिका हुआ है। जिस दिन निर्दलीय पार्षदों ने बगावत कर दी, उसी दिन बोर्ड पर संकट आ जाएगा। निर्दलीय पार्षद बोर्ड में मलाईदार कमेटियों पर अपना हक जता रहे हैं। जबकि हैरिटेज निगम के चार कांग्रेसी विधायक अपने चहेतों को मलाईदार कमेटियों का अध्यक्ष बनाना चाहते हैं। विधायकों के बीच भी निगम हैरिटेज पर वर्चस्व के लिए इन दिनों घमासान मचा हुआ है। जिसके चलते निर्दलीय पार्षद काफी परेशान थे और जल्द ही वह बगावत कर सकते थे। कहा जा रहा है कि निर्दलीय पार्षद लगातार भाजपा पार्षदों के संपर्क में थे, जिससे उनके द्वारा बगावत के कयास लगाए जा रहे थे।