भारत द्वारा रूस से निर्मित गाइडेड-मिसाइल फ्रिगेट INS तुशील को 9 दिसंबर को भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा। इस अवसर पर भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रूस का दौरा कर सकते हैं और इस युद्धपोत को भारतीय बेड़े में शामिल करने के लिए आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। INS तुशील की कमीशनिंग सेरेमनी रूस के यंतर शिपयार्ड में आयोजित होगी, जो भारतीय नौसेना के लिए बनाए जा रहे चार फ्रिगेट्स में से पहला होगा।
INS तुशील: तलवार क्लास फ्रिगेट
INS तुशील को ‘तलवार क्लास’ का फ्रिगेट माना जाता है और इसे प्रोजेक्ट 11356 के तहत विकसित किया गया है। तलवार क्लास फ्रिगेट्स, क्रिवाक III क्लास (प्रोजेक्ट 1135) के उन्नत संस्करण हैं, जिन्हें रूसी तटरक्षक बल भी उपयोग करता है। इसका डिजाइन रूस की एडमिरल ग्रिगोरोविच क्लास के फ्रिगेट के रूप में तैयार किया गया है। 1999 से 2013 के बीच दो बैचों में इस डिजाइन पर छह युद्धपोत बनाए गए थे।
भारत और रूस का समझौता
भारत और रूस के बीच अक्टूबर 2016 में चार एडमिरल ग्रिगोरोविच-क्लास (प्रोजेक्ट 11356M) फ्रिगेट खरीदने/निर्माण के लिए एक अंतर-सरकारी समझौता (IGA) किया गया था। इस समझौते के तहत, रूस दो फ्रिगेट्स, INS तुशील और INS तमाला की आपूर्ति करेगा, जबकि अन्य दो फ्रिगेट्स का निर्माण भारत में किया जाएगा। इस समझौते के अनुसार, रूस भारत में इन फ्रिगेट्स का उत्पादन स्थापित करने के लिए तकनीकी सहायता भी प्रदान करेगा।
INS तुशील की विशेषताएं
INS तुशील में रडार को चकमा देने की क्षमता है और यह कम शोर करने वाला एक स्टील्थ फ्रिगेट है, जो इसकी स्टील्थ तकनीक को और प्रभावी बनाता है। इसे सतह से सतह और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों, सोनार सिस्टम, निगरानी रडार, संचार सूट और पनडुब्बी रोधी युद्ध प्रणाली से लैस किया गया है। साथ ही, इसमें भारतीय और रूसी उपकरणों का मिश्रण है, जैसे कि रूसी सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें और गन माउंट।
INS तुशील की गति और क्षमता
INS तुशील की टॉप स्पीड 30 समुद्री मील है और इसकी क्रूज़िंग रेंज 4850 मील तक है। इसका विस्थापन 3620 टन और लंबाई 124.8 मीटर है। इसे विशेष रूप से पनडुब्बियों और अन्य युद्धपोतों से मुकाबला करने के लिए तैयार किया गया है और यह हवाई हमलों को भी प्रभावी रूप से नाकाम कर सकता है।
INS तुशील की भारतीय नौसेना में शामिल होने से न केवल भारतीय नौसेना की ताकत में वृद्धि होगी, बल्कि यह भारत और रूस के मजबूत रक्षा संबंधों का प्रतीक भी बनेगा।