केंद्र सरकार कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के तहत वेतन और कर्मचारी सीमा में बदलाव पर विचार कर रही है। सरकार का उद्देश्य कर्मचारियों के लिए सामाजिक सुरक्षा कवरेज को मजबूत करना है। वर्तमान में, ईपीएफओ के तहत वेतन सीमा 15,000 रुपये प्रति माह है। इसे बढ़ाकर 21,000 रुपये प्रति माह करने का प्रस्ताव है, जिससे 6,000 रुपये तक की वृद्धि होगी। इसके अलावा, ईपीएफओ में शामिल होने के लिए कंपनी में कर्मचारियों की न्यूनतम सीमा को घटाकर 10 से 15 कर्मचारी किया जा सकता है, जो वर्तमान में 20 है।
मंत्रालय में चर्चा जारी इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, श्रम और रोजगार मंत्रालय इस मसले पर संबंधित पक्षों के साथ बातचीत कर रहा है। सरकार सोशल सिक्योरिटी कोड को लागू करने की दिशा में उत्सुक है और इस बदलाव के पीछे संचालन समिति की सिफारिशें प्रमुख कारण मानी जा रही हैं।
2014 में हुआ था अंतिम वेतन संशोधन ईपीएफओ के वेतन सीमा में अंतिम बदलाव 2014 में हुआ था, जब इसे 6,500 रुपये से बढ़ाकर 15,000 रुपये किया गया था। 21,000 रुपये की उच्च सीमा से न केवल पीएफ योगदान में ही बढ़ोतरी नहीं होगी बल्कि कर्मचारियों की पेंशन में भी वृद्धि होगी। श्रम मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि सरकार लंबे समय से लंबित इन बदलावों पर अब ठोस निर्णय लेना चाहती है।
छोटे और सूक्ष्म उद्यमों की आपत्ति छोटे और सूक्ष्म कंपनियां 20 कर्मचारियों की सीमा को कम करने के प्रस्ताव का विरोध कर रही हैं। उनका मानना है कि इस बदलाव से अनुपालन बोझ और लागत बढ़ जाएगी, जो छोटी कंपनियों के लिए आर्थिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
ईपीएफओ योगदान प्रक्रिया ईपीएफओ के तहत एम्प्लॉई और कंपनी दोनों को वेतन का 12% ईपीएफ अकाउंट में जमा करना होता है। इसमें एम्प्लॉई का पूरा 12% पीएफ में जाता है, जबकि कंपनी के 12% में से 8.33% कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) में और 3.67% पीएफ अकाउंट में जाता है।
यह प्रस्तावित बदलाव न केवल कर्मचारियों के लिए आर्थिक सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि उनकी पेंशन में भी इजाफा करेगा।