दिल्लीराजनीति

वक्फ संशोधन बिल लोकसभा में पेश, इसे विपक्ष ने बताया संविधान पर हमला

आज लोकसभा में मोदी सरकार ने वक्फ बोर्ड ऐक्ट में बदलाव के लिए संशोधन विधेयक पेश कर दिया। अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने यह बिल पेश किया। उम्मीद के अनुसार इस विधेयक को लेकर संसद में हंगामा शुरू हो गया है। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने इस बिल का विरोध किया है जबकि भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी जनता दल ने इसे समर्थन दिया है। उल्लेखनीय है कि सरकार वक्फ बोर्ड की संपत्ति को ‘वक्फ परिसंपत्ति’ घोषित करने और उस पर नियंत्रण करने की अनियंत्रित शक्तियों पर अंकुश लगाना चाहती है। सूत्रों के मुताबिक शुक्रवार शाम को कैबिनेट ने वक्फ अधिनियम (जिसे 2013 से पहले वक्फ अधिनियम के नाम से जाना जाता था) में 40 से अधिक संशोधनों पर चर्चा की थी। इनमें वक्फ बोर्ड के अधिकार क्षेत्र की जांच करने के लिए संशोधन शामिल है, जिन्हें कई तरह से मनमाना माना जाता है, जो अब देश भर में लाखों करोड़ रुपये की संपत्तियों को नियंत्रित करता है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2013 में यूपीए सरकार के दौरान मूल अधिनियम में संशोधन करके वक्फ बोर्डों को अधिक व्यापक अधिकार प्रदान किए गए थे, जो वक्फ अधिकारियों, व्यक्तिगत संपत्ति मालिकों और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण सहित कई राज्य संस्थाओं के बीच विवाद का एक प्रमुख कारण रहा है।
अल्संख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने इस विधेयक को सदन के पटल पर रखते हुए कहा कि इस बिल में किसी के हक छीनने की बात तो छोड़ दीजिए, जिनको हक नहीं मिले है, उसके लिए लाया गया है। मुस्लिम समाज में जो पिछड़े हैं उनको जगह देने के लिए ये बिल लाया गया है। बिल में संविधान का उल्लंघन नहीं हुआ है। ये बिल 1954 में सबसे पहले ये बिल लाया गया। उसके बाद कई संशोधन हुए। वक्फ एक्ट 1995 संशोधन बिल है ये। 2013 में संशोधन लाकर इसे बदला गया था। उन्होंने कहा, इस बिल का समर्थन कीजिए, करोड़ों लोगों की दुआ मिलेगी। चंद लोगों ने वक्फ बोर्ड पर कब्जा कर रखा है। ये बिल इतिहास में दर्ज होगा। इस बिल को कौन-कौन समर्थन किया है और विरोध किया है, इसका इतिहास में नाम आएगा।
रिजिजू ने स्पष्ट किया कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री होने हमने जो अध्ययन किया है, कुल 8 लाख 72 हजार, 320 वक्फ संपत्ति हमारे पोर्टल से नहीं जोड़ जा सकता है। इसकी वैल्यू कई गुना अधिक होने की संभावना है। सबको मालूम है वक्फ बोर्ड के पास कितनी संपत्ति है और कितनी कमाई है। रिजिजू ने कहा कि संयुक्त संसदीय समिति की अनुशंसा है। आज आपको हमें शाबाशी देनी चाहिए। ये राजनीतिक दबाव में अपोज कर रहे हैं, अंदर ही अंदर सबलोग सजेशन दे रहे हैं। इस बिल पर जिनता सलाह पिछले 10 सालों में किया गया है, इतना किसी अन्य सरकार ने कभी नहीं किया है। जो संविधान का हवाला देकर, बिल के उद्देश्य को मिसलीड करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि  हमारे देश में कोई भी कानून संविधान से ऊपर नहीं हो सकता है। इस 1995 के वक्फ एक्ट में ऐसा प्रावधान है जो सबसे ऊपर है। ये सदन का दायित्व है, गरीब महिला कोई भी हो ये सदन का दायित्व है कि न्याय दिलाने के लिए कोई कमी है तो उसे पूरा करना चाहिए। जो संशोधन बिल हम लाए हैं, उसमें सारा प्रावधान है।
कांग्रेस नेता के वेणुगोपाल ने कहा, ‘ये बिल संविधान के खिलाफ है। मैं सरकार से सवाल पूछना चाहता हूं कि क्या कोई सोच सकता है कि क्या अयोध्या में कोई नॉन हिंदू में शामिल हो सकता है। देवस्थान बोर्ड में क्या कोई नॉन हिंदू शामिल हो सकता है। ये बिल सीधा-सीधा धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला। ये मूलभूत अधिकारों पर हमला है।’ उन्होंने कहा कि हम भारत की संस्कृति और धर्म को मानते हैं। हम हिंदू हैं। लेकिन उसी समय हम दूसरे धर्म को भी मानते हैं। यही बेसिक सिद्धांत है। ये बिल आप केवल महाराष्ट्र, हरियाणा चुनाव के लिए लाए हैं। पिछली बार देश की जनता ने आपको सबक सिखाया था। ये संघीय व्यवस्था पर हमला है। वक्फ संपत्ति पर अलग-अलग संस्थाओं के जरिए चलाया जाता है।
उनके अलावा समाज वादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि वक्फ बोर्ड में संसोधन का जो विधेयक लाया गया है, उसके पीछे गहरी राजनीति है। भाजपा हताश है, निराश है इसलिए चंद कट्टर समर्थकों के तुष्टीकरण के लिए यह बिल ला रही है। नैशनल कॉन्फ्रेंस के मियां अल्ताफ अहमद ने कहा कि जो विधेयक यहां लाया जा रहा है, उससे धर्मनिरपेक्ष लोगों को खतरा महसूस हो रहा है। भारत लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता के लिए जाना जाता है, इसे ठेस मत पहुंचाइए। टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि प्रॉपर्टी का मामला सिर्फ सिविल कोर्ट के दायरे में आता है। केंद्र सरकार विधेयक लाकर सिविल कोर्ट का अधिकार कैसे छीन सकती है?
जेडीयू का बिधेयक को समर्थन
इसके विपरीत भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी पार्टी जेडीयू के नेता और केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन ने वक्फ बिल का समर्थन किया। उन्होंने कहा, ‘कई माननीय सदस्यों की मैंने बात सुनी। जेडीयू एक पार्टी है। हमें अपनी बात कहनी होगी। कई सदस्यों की बात सुनने से जैसे यह जो संशोधन लाया गया वो मुसलमान विरोधी है, कहां से मुसलमान विरोधी है, यहां अयोध्या मंदिर का उदाहरण दिया जा रहा है, मंदिर और संस्था में फर्क नहीं मालूम है।’

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