भारतीय सेना के उत्तरी कमांड ने स्वदेशी अस्मि गन खरीदने के लिए 4.26 करोड़ रुपए का ऑर्डर दिया है। ये गन नजदीकी लड़ाई के लिए शानदार है। इसके सारे ट्रायल्स पूरे हो चुके हैं। देश में बनी इस गन ने सैनिकों के बीच भरोसा कायम किया है।
भारतीय सेना के उत्तरी कमांड ने स्वदेशी मशीन पिस्टल और सब-मशीन कार्बाइन एसएमसी के लिए 4.26 करोड़ रुपए का ऑर्डर दिया है। यह ऑर्डर लोकेशन मशींस लिमिटेड को दिया गया है। नजदीकी जंग यानी क्लोज कॉम्बैट में छोटे, घातक और हल्के हथियारों का इस्तेमाल होता है। ऐसे में एसएमसी काफी फायदेमंद होगी।
डीआरडीओ के आर्मामेंट रिसर्च एंड डवलपमेंट इस्टैबलिशमेंट और आर्मी इन्फैंट्री स्कूल, महू द्वारा मिलकर बनाई गई मशीन पिस्टल अस्मि के बारे में। अस्मि एक संस्कृत शब्द है, जिसका मतलब है गर्व, आत्मसम्मान और कड़ी मेहनत। इसे बनाने में 4 महीने लगे थे।
अस्मि का ट्रायल शुरू
इसके दो वैरिएंट्स हैं। 9 एमएम की मशीन पिस्टल का वजन सिर्फ 1.80 किग्रा है। इसके ऊपर किसी भी तरह के टेलिस्कोप, बाइनोक्यूलर या बीम लगाए जा सकते हैं। इसकी लंबाई 14 इंच है। बट खोलने पर यह बढ़कर 24 इंच हो जाती है। इस पिस्टल को एल्यूमिनियम और कार्बन फाइबर से बनाया गया है। इसकी सटीक रेंज 100 मीटर है। मैगजीन में स्टील लाइनिंग होने की वजह से गोलियां इनमें फंसेंगी नहीं। अस्मि मशीन पिस्टल की मैगजीन को पूरा लोड करने पर 33 गोलियां आती हैं। यह पिस्टल एक मिनट में 600 गोलियां दाग सकती है। इसका लोडिंग स्विच दोनों तरफ हैं। यानी दोनों हाथों से ये पिस्टल चलाना आसान होगा।