देश के नाम पर शहादत से हमारा-आपका का कलेजा बैठा जा रहा तो उनका दर्द का अंदाजा लगा पाना मुश्किल है,जिन्हे अचानक पता चला होगा कि उनका बेटा या भाई या जीवनसाथी अब कोई वादे पूरे करने अब कभी नहीं आ पायेगा।। अनंतनाग मुठभेड़ में आर्मी के अधिकारी कर्नल मनप्रीत सिंह, आशीष धौंचक और डीसीपी हुमायु भट्ट शहीद हो गए हैं।
कश्मीर के अनंतनाग जिले में बीते दिन बुधवार को आतंकियों के साथ मुठभेड़ में सेना के दो अधिकारी और जम्मू और कश्मीर के डीएसपी रैंक के अधिकारी शहीद हो गए थे। इन्हीं आधिकारियों से एक जम्मू और कश्मीर पुलिस के डीएसपी (DSP) हुमायूं मुजम्मिल भट्ट थे। एनकाउंटर के समय हुमायूं भट गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां वो शहीद हो गए। उनकी मौत ज्यादा खून बह जाने की वजह से हुई।
दो माह की बच्ची पीछे छोड़ गए हुमायूं
जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशेष अभियान समूह के डीएसपी हुमायूं भट्ट के परिवार की बात करें तो उनके घर में उनकी पत्नी और दो महीने की बेटी है, जिन्हें वे अकेला छोड़कर चले गए। उनका परिवार अब श्रीनगर हवाई अड्डे के पास हुमहामा में वीआईपी कॉलोनी में रहता है। वैसे हुमायूं मूल रूप से पुलवामा जिले के त्राल के रहने वाले थे और उनकी शादी अभी पिछले साल ही हुई थी।
सेवानिवृत्त IG के बेटे थे DSP हुमायूं भट्ट
DSP हुमायूं भट के पिता जम्मू-कश्मीर पुलिस के सेवानिवृत्त महानिरीक्षक गुलाम हसन भट थे।एक वीडियो में उपाधीक्षक हुमायूं भट के पिता को अपने बेटे के पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए दिखाया गया है।
तिरंगे में किया अंतिम सलाम
बीते दिन बुधरात की रात अनंतनाग मुठभेड़ में अपने प्राणों का बलिदान देने वाले DSP हुमायूं मुजम्मिल भट्ट के पार्थिव शरीर को उनके आवास पर लाया गया। जब तिरंगे में लिपटा हुआ पार्थिव शरीर उनके घर पहुंचा तो वहां मातम छा गया।भट को अंतिम सम्मान देने के लिए शोक मनाने वालों की भीड़ उमड़ पड़ी, उनकी पत्नी, जो अपनी दो महीने की बेटी को गोद में लिए खड़ी थीं, उन्हें देख कर मौजूद लोगो की आंखें भरी जा रही थीं। इसके बाद उनका बडगाम में अंतिम संस्कार किया गया।
कहा,अभी ऑपरेशन चल रहा है,बाद में बात करूँगा
शहीद मनप्रीत पंचकूला के रहने वाले थे। हंसता खेलता घर उस वक्ता चीखों में बदल गया जब बड़े बेटे और भाई के शहादत की खबर पहुंची। भाई संदीप सिंह फूट-फूट कर रोने लगे। मनप्रीत की पत्नी जगमीत ग्रेवाल शिक्षिका हैं, जिसके चलते मायके में थी। पहले तो उनको सूचना नहीं दी गई लेकिन जब पता चला तो बदहवास हो गईं। मन प्रीत और जगमीत की 2016 में शादी हुई थी। एक छह साल बेटा और ढाई साल की बेटी है। भाई संदीप के अनुसार पिता की मौत के बाद सारी जिम्मेदारी मनप्रीत सिंह पर आ गई थी। उन्होंने आगे बताया कि जब हमने कल फोन लगाया तो उन्होंने कहा,अभी ऑपरेशन चल रहा है,बाद में बात करूँगा |
फोन नहीं उठाया। हालांकि मन घबराया लेकिन ये नहीं पता था कि ये खबर मिलेगी। मां और पत्नी दोनों की स्थिति ऐसी हो गई कि संभाल पाना मुश्किल है।
नए घर जाकर देना चाहते थे सरप्राइज,पर पहुंचे तिरंगे में लिपटे
इस मुठभेड़ में वीरगति को प्राप्त होने वालों में हरियाणा का लाल आशीक धौंचक भी शामिल है। पानीपत के रहने वाले मेजर आशीष धौंचक बलिदान हो गए। आशीष धौंचक को गृह प्रवेश कार्यक्रम में 23 अक्टूबर को घर आना था। इस दिन वह आकर घरवालों को सरप्राइज देना चाहते थे, उसी दिन उनका जन्म दिन था। आशीष धौंचक की तीन बहनों में इकलौते भाई थे। उनकी शहादत ने मानों न पत्नी ज्योति बल्कि पूरे परिवार को बिखेर दिया। तीन साल की मासूम बेटी वामिका के सिर से उसके पिता की हाथ उठ गया। जब तिरंगे से लिपटा पार्थिव शरीर पहुंचा तो सब सहम गए। आशीष धौंचक वर्ष-2012 में सिखलाई रेजीमेंट सेना में रेजीमेंट सेना में भर्ती हुए थे।
ये थी वीर शहीदों के शहादत की कहानी
अधिकारियों ने बताया कि गारोल इलाके में आतंकियों के खिलाफ अभियान मंगलवार शाम को शुरू हुआ था, लेकिन रात में इसे रोक दिया गया था।
अधिकारियों ने बताया कि सेना को अनंतनाग में आतंकियों के छिपे होने की सूचना मिली थी, जिसके बाद सेना के जवानों ने ऑपरेशन लॉन्च किया था।कर्नल मनप्रीत सिंह ने आगे बढ़कर टीम का नेतृत्व किया और आतंकवादियों पर हमला कर दिया. आतंकवादियों की गोली लगने से वह गंभीर रूप से घायल हो गये। बुधवार शाम को उन्होंने दम तोड़ दिया। एएनआई ने भारतीय सेना के अधिकारियों के हवाले से बताया कि यह अधिकारी अनंतनाग क्षेत्र में 19वीं राष्ट्रीय राइफल्स की कमान संभाल रहा था।
निगरानी के लिए कमांडिंग ऑफ़िसर कर्नल मनप्रीत सिंह वहां पहुंचे थे लेकिन जैसे ही वो गाड़ी से उतरे, आतंकियों ने उन पर ताबड़तोड़ गोलियां चला दीं और वो गंभीर रूप से घायल हो गए, दहशतगर्तों ने जिस जगह इस घटना को अंजाम दिया वो एक घना जंगल था, जहां से तत्काल उन्हें अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सका और ज्यादा खून बह जाने की वजह से उन्होंने दुनिया से विदाई ले ली।
सेना मेडल से सम्मानित थे कर्नल मनप्रीत सिंह
आपको बता दें कि अपनी बहादुरी और जिंदादिली के मशहूर कर्नल मनप्रीत सिंह को सेना मेडल से सम्मानित किया गया था,वो मौजूदा दौर में कमांडिंग अफसर 19 RR की जिम्मेदारी संभाल रहे थे।
मेजर आशीष को भी मिलने वाला था सेना मेडल
मेजर आशीष को भी इसी साल 15 अगस्त को सेना मेडल को दिए जाने का ऐलान हुआ था और उन्हें अगले अंलकरण समारोह में इस पदक से सम्मानित किया जाना था।
लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े रेजिस्टेंस फ्रंट ने ली हमले की जिम्मेदारी
प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े रेजिस्टेंस फ्रंट ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। अधिकारियों का मानना है कि ये वही आतंकवादियों का समूह है, जिसने चार अगस्त को कुलगाम जिले के हलाण वनक्षेत्र के ऊंचाई वाले इलाके में सेना के जवानों पर हमला किया था, जिसमें तीन जवान शहीद हो गए थे।