दुनिया में पत्रकारिता में खोजी पत्रकारिता के लिए प्रसिद्ध इंडियन एक्सप्रेस समूह के संस्थापक स्वर्गीय रामनाथ गोयनका की बहू और स्वर्गीय भगवान दास गोयनका की पत्नी सरोज गोयनका का 24 मई 2024 को चेन्नई में निधन हो गया। वे 94 वर्ष की थीं और एक्सप्रेस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की निदेशक थीं। निष्पक्ष पत्रकारिता के मानदंड स्थापित करने वाले समाचार पत्र इंडियन एक्सप्रेस समूह की बुजुर्ग सदस्य दिवंगत सरोज गोयंका को क्लीयरन्यूज परिवार को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करता है।
गोयनका के परिवार में उनकी तीन बेटियां आरती अग्रवाल, रितु गोयनका और कविता सिंघानिया हैं जो एक्सप्रेस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की निदेशक भी हैं। गोयनका द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक मनोज कुमार सोंथलिया की चाची भी थीं। उनका जन्म 31 अगस्त, 1929 को प्रसिद्ध व्यवसायी और तत्कालीन राज्यसभा सदस्य श्रेयांस प्रसाद जैन के प्रतिष्ठित परिवार में हुआ। उनका लालन-पालन ईमानदारी और सामाजिक कर्तव्य के मूल्यों के साथ हुआ था। व्यवसाय और राजनीति उन्हें विरासत में मिली थी।
जब 19 जुलाई, 1979 को इंडियन एक्सप्रेस साम्राज्य के उत्तराधिकारी भगवान दास गोयनका (बीडीजी) की मृत्यु हो गई, तो इस प्रसिद्ध संस्थान के भविष्य को लेकर चिंता पैदा हो गई कि कहीं 00 करोड़ रुपये से अधिक के प्रबंधित कॉर्पोरेट समूह की गिरावट तो देखने में नहीं आएगी। इसका पतन तो वहीं हो जाएगा। यहां तक कि इसकी बिक्री की अटकलें भी लगायी जानें लगी थीं। ऐसे में बीडीजी की पत्नी सरोज गोयनका को एक्सप्रेस साम्राज्य का नेतृत्व करने के लिए चुना गया। इसके बाद उन्होंने एक्सप्रेस समूह की काया ही पलट कर रख दी। उन्होंने समूह की शक्ति और ऊर्जा को आसमान सी ऊंचाइयां दीं।
अखबार के प्रबंधन में गोयनका की मजबूत भागीदारी का प्रभाव पहली बार तब देखने को मिला जब उन्हें संगठन की अस्थिर वित्तीय स्थिति को सुधारने की जरूरत महसूस हुई। उन्होंने समूह में कारों और वैन के बेड़े के अनुचित उपयोग के संबंध में ठोस फैसले किये। उन्होंने बाद में एक्सप्रेस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के निदेशक के रूप में चेन्नई के शहरी परिदृश्य को बदलने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने माउंट रोड पर चेन्नई के प्रसिद्ध एक्सप्रेस मॉल, ई रेजिडेंस, ई होटल और ईए चैंबर्स जैसी परियोजनाओं को पूरा किया। गोयनका को उनके परोपकारी चरित्र के लिए भी याद किया जाएगा। वर्ष 2015 में चेन्नई बाढ़ के पीड़ितों की मदद करने के लिए आगे आने वालों में वे अग्रणी रहीं। इसके अलावा 10 एकड़ में उन्होंने आश्रय बनवाया, अब जहां स्वामी दयानंद कृपा होम दिव्यांगों के लिए संचालित किया जाता है।