कांडला। भारत का पहला ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन केंद्र बनने की ओर अग्रसर, गुजरात स्थित कांडला पोर्ट आने वाले समय में एक महत्वपूर्ण पहल करने जा रहा है। यह परियोजना देश के पहले से ही महत्वाकांक्षी नवीकरणीय ऊर्जा मिशन को मजबूती देगी और वैश्विक स्तर पर ईंधन के क्षेत्र में हो रहे बदलावों को भी गति देगी।
पोर्ट प्रशासन ने इस परियोजना को सफलतापूर्वक क्रियान्वित करने के लिए विभिन्न प्रमुख हितधारकों के साथ सहयोग किया है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य भारत की हाइड्रोजन आधारित अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है।
यह पहल केंद्र सरकार के उस व्यापक प्रयास का हिस्सा है, जिसके तहत ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देना और कार्बन उत्सर्जन में कमी लाना मुख्य लक्ष्य हैं।
ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट पवन और सौर ऊर्जा जैसी नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग कर हाइड्रोजन का उत्पादन करेगा, जिसे कई औद्योगिक कार्यों में उपयोग किया जा सकेगा — जैसे परिवहन और निर्माण क्षेत्र में ईंधन के रूप में।
कांडला पोर्ट पर बन रहा यह प्लांट देशभर में ऐसे और भी कई ग्रीन प्रोजेक्ट्स की राह खोलेगा और उन्हें प्रेरणा देगा।
भारत को हाइड्रोजन ऊर्जा का वैश्विक अग्रदूत बनाने की दिशा में सरकार के प्रयासों में यह एक ऐतिहासिक कदम साबित हो सकता है।
यह परियोजना न सिर्फ नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों के निर्माण को प्रोत्साहित करेगी, बल्कि इस क्षेत्र में नई नौकरियों के अवसर भी उत्पन्न करेगी।
साफ है कि लंबी अवधि की ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के लिए ग्रीन हाइड्रोजन में निवेश बेहद जरूरी होता जा रहा है।
औद्योगिक प्रभाव (Industry Impact)
कांडला पोर्ट पर बनने वाले ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट से निम्नलिखित उद्योगों को विशेष लाभ मिलेगा:
1. परिवहन (Transport):
हाइड्रोजन आधारित फ्यूल सेल्स सार्वजनिक परिवहन को पारंपरिक ईंधनों से हटाकर एक पर्यावरणीय रूप से बेहतर विकल्प की ओर ले जा सकते हैं।
2. इस्पात और सीमेंट उद्योग (Steel & Cement Industries):
ग्रीन हाइड्रोजन पारंपरिक जीवाश्म ईंधनों की जगह लेकर ऊर्जा-खपत वाले इन क्षेत्रों में प्रदूषण को घटा सकता है।
3. विद्युत उत्पादन (Power Generation):
हाइड्रोजन को संग्रहीत कर बिजली उत्पादन में उपयोग किया जा सकता है, जिससे निरंतर नवीकरणीय ऊर्जा आपूर्ति में सहायता मिलेगी।