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इसरो प्रमुख एस सोमनाथ आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होस्बले के साथ संघ कार्यालय में…! जानिए कौन हैं होस्बले, कौन हैं एस सोमनाथ और क्या रिश्ता है दोनों का..?

ऊपर दिख रहा चित्र इन दिनों खूब वायरल है। विशेषरूप से 23 अगस्त 2023 के बाद से यानी चंद्रयान-3 के चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्व उतरने के बाद से इस चित्र को विभिन्न सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है। निस्संदेह यह चित्र इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनााइजेशन यानी इसरो के प्रमुख एस.सोमनाथ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होस्बले का ही है।
दावा तो यह किया जा रहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होस्बले से इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने हाल ही में यानी चंद्रयान-3 की सफलता के बाद शिष्टाचार मुलाकात की.। लेकिन, जब हमने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सूत्रों से जानकारी प्राप्त की तो उन्होंने स्पष्ट किया कि यह चित्र दत्तात्रेय होस्बले से इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ की शिष्टाचार भेंट का ही है लेकिन चंद्रयान-3 की सफलता के बाद का नहीं है। यह फोटो बेंगलुरू स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कार्यालय में कुछ महीने पहले हुई दोनों प्रमुख हस्तियों की शिष्टाचार भेंट का है। चंद्रयान-3 के संदर्भ से इस चित्र को जोड़ा नहीं जा सकता है। सूत्रों ने कहा अनुमान है कि दत्तात्रेय होस्बले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से लंबे समय जुड़े रहे हैं, हो सकता है कि तब ही से इसरो प्रमुख और होस्बले का परिचय रहा हो।
कौन हैं इसरो प्रमुख एस सोमनाथ
सोमनाथ पणिकर, जिन्हें आम बोलचाल की भाषा में एस सोमनाथ के नाम से जाना जाता है। एस सोमनाथ एक भारतीय एयरोस्पेस इंजीनियर , रॉकेट टेक्नोलॉजिस्ट और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष हैं। इससे पहले वे विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक भी रह चुके हैं। उन्हे जनवरी 2022 को इसरो का अध्यक्ष बनाया गया था। उन्हीं के नेतृत्व में भारत के चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर उतरने में कामयाबी हासिल की। एस सोमनाथ का जन्म जुलाई 1963 में केरल के अरूर गांव में हुआ था। इनके पिता जी का नाम श्री श्रीधर पणिकर है और वे एक अध्यापक रहे हैं । इनकी माता जी का नाम थैंकम्मा है जो एक गृहिणी हैं। बचपन से ही इनको रॉकेट और एरोप्लेन को लेकर बहुत रुचि थी ।
मेधावी विद्यार्थी
एस सोमनाथ पढ़ाई में बहुत ही मेधावी रहे। उन्होंने अपनी स्कूल की पढ़ाई सेंट ऑगस्टाइन हाई स्कूल से पूरी की। इन्होंने अपनी कॉलेज की पढ़ाई महाराजा कॉलेज और टीकेएम कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से की । इन्होंने महाराजा कॉलेज से प्री डिग्री प्रोग्राम पूरा किया। फिर इन्होंने टीकेएम कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से बी टेक किया। इसके बाद इन्होंने इंडियन साइंस इंस्टीट्यूट बंगलुरू से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग फील्ड में एम टेक की पढ़ाई की।
जीएसटी विभाग में हैं पत्नी वलसाला
हमारे इसरो प्रमुख एस सोमनाथ की पत्नी का नाम वलसाला सोमनाथ है और वे जीएसटी विभाग में काम करती हैं। इनके दो बच्चे एक बेटा और एक बेटी। बेटे का नाम माधव है और बेटी का नाम मलिका है।
विक्रम साराभाई केंद्र में नौकरी से की करियर की शुरुआत
अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद एस सोमनाथ ने विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में इंजीनियर के रूप में नौकरी करनी शुरू कर दी थी। बता दें कि साराभाई केंद्र इसरो का एक महत्वपूर्ण केंद्र है जो तिरुवंतपुरम में है । यहां अंतरिक्ष यानों और रॉकेट की तकनीक से जुड़े काम किए जाते हैं । एस सोमनाथ जी को साराभाई केंद्र में पहला प्रोजेक्ट पोलर सैटेलाइट लंच व्हीकल (PSLV) का काम सौंपा गया । इन्होंने यहां कई ऐसे काम किए जिनकी वजह से इनकी प्रतिभा का लोहा वहां के सभी वैज्ञानिकों ने माना ।
इस तरह बने इसरो प्रमुख
वर्ष 1994 में PSLV इंजन में किसी खराबी के कारण इसके प्रक्षेपण में विराम लगाना पड़ गया था लेकिन सोमनाथ ने अपनी बुद्धि से इसकी खामियों को दूर कर इसका सफल प्रक्षेपण करवाने मेंम सफलता प्राप्त की। वर्ष 2010 में इन्हें वहां के कुछ अभियानों का प्रमुख बनाया गया इन्होंने इन अभियानों को इतनी कुशलता से पूरा करवाया कि वर्ष 2014 में इन्हें प्रोपल्शन एंड स्पेस ऑर्डिनेंस यूनिट का उप निदेशक बनाया गया । एस सोमनाथ की देखरेख में 18 दिसंबर 2014 को LVM 3 – X मिशन का सफल प्रक्षेपण किया गया था। वर्ष 2018 में एस सोमनाथ को विक्रम साराभाई केंद्र का निदेशक बनाया गया। इसी समय ये LPSC के चेयरमैन भी बनाए गए । अगले चार सालों तक साराभाई केंद्र के चीफ रहने के बाद जनवरी 2022 में इन्हें इसरो का नया चीफ बना दिया गया।
सम्मान और उपलब्धियां
एस सोमनाथ को 2009 में इसरो से परफॉर्मेंस एक्सीलेंस अवार्ड, जुलाई 2018 में इन्हें सत्यभामा विश्वविद्यालय चेन्नई द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि, अक्टूबर 2019 में एयरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया द्वारा राष्ट्रीय एयरोनॉटिक्स पुरस्कार, अक्टूबर 2020 में सेंचुरियन यूनिवर्सिटी भुवनेश्वर द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि मिल चुकी है। इसके अलावा मास्टर कार्यक्रम के दौरान स्वर्ण पदक, एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया से अंतरिक्ष स्वर्ण पदक और जीएसएलवी एमके -III प्राप्ति के लिए टीम उत्कृष्टता पुरस्कार भी एस सोमनाथ को मिल चुका है।
कौन हैं सरकार्यवाह दत्तात्रेय होस्बले
1 दिसंबर 1954 को जन्मे दत्तात्रेय होस्बळे वर्तमान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह (महासचिव/जेनरल सेक्रेटरी) और प्रसिद्ध विचारक हैं। कर्नाटक के शिमोगा जिले के सोराबा तालुक के एक यादव परिवार मे इनका जन्म हुआ। इन्होंने अंग्रेजी विषय से स्नातकोत्तर तक की शिक्षा ग्रहण की है। वर्ष 1968 में करीब 13 वर्ष की अवस्था में वे संघ के स्वयंसेवक बने और 1972 में उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़कर कार्य किया। इसके बाद के 15 वर्षों तक वे परिषद् के संगठन महामंत्री रहे। होस्बले वर्ष 1975-77 के जेपी आंदोलन में भी सक्रिय थे और लगभग पौने दो वर्ष उन्आहोंने मीसा के अंतर्गत जेल की यात्रा भी की है। जेल में ही उन्होंने दो हस्तलिखित पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया। सन् 1978 में नागपुर नगर सम्पर्क प्रमुख के रूप में विद्यार्थी परिषद् में पूर्णकालिक कार्यकर्ता हुए। विद्यार्थी परिषद् में आपने अनेक दायित्वों का निर्वहन करते हुए परिषद् के राष्ट्रीय संगठन-मंत्री के पद को भी सुशोभित किया। वर्तमान में वे संघ के सरकार्यवाह के दायित्व को निभा रहे हैं।

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