जयपुर

जयपुर (Jaipur) जिला कलेक्टर (District collector) पर एनजीटी आदेशों (NGT Orders) की अवमानना (Contempt) का आया संकट, नाहरगढ़ फोर्ट (Nahargarh Fort) में उड़ रही आदेशों की धज्जियां

पुरातत्व विभाग के नाहरगढ़ अधीक्षक ने बिना नोडल ऑफिसर को जानकारी दिए फोर्ट पर शुरू करा दी वाणिज्यिक गतिविधियां, ईडीसी ने जिला कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपकर कार्रवाई की मांग की

जयपुर। राजधानी के नाहरगढ़ अभ्यारण्य क्षेत्र में स्थित नाहरगढ़ फोर्ट (Nahargarh Fort) पर एनजीटी के आदेशों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है। फोर्ट में वाणिज्यिक गतिविधियों पर रोक के बावजूद पुरातत्व विभाग ने यहां वाणिज्यिक गतिविधियों को फिर से शुरू करा दिया है, जिससे नोडल ऑफिसर जयपुर (Jaipur) जिला कलेक्टर (District Collector) पर एनजीटी के आदेशों (NGT orders) की अवमानना (contempt) का संकट खड़ा हो गया है। पुराततव विभाग की इस मनमानी के खिलाफ नाहरगढ़ वन एवं वन्यजीव सुरक्षा एवं विकास समिति (ईडीसी) ने बुधवार को अतिरिक्त जिला कलेक्टर इकबाल खान को ज्ञापन सौंप कर नाहरगढ़ अधीक्षक के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।

एनजीटी ने 1 दिसंबर से पूरे नाहरगढ़ अभ्यारण्य क्षेत्र में वाणिज्यिक गतिविधियों पर रोक लगा दी थी। इस आदेश के तहत नाहरगढ़, जयगढ़ और आमेर फोर्ट में वाणिज्यिक गतिविधियां बंद हो जानी चाहिए थी। नाहरगढ़ और आमेर फोर्ट में 1 दिसंबर से वाणिज्यिक गतिविधियां बंद करा भी दी गई, लेकिन आठ दिन बाद ही नाहरगढ़ फोर्ट अधीक्षक राकेश छोलक ने एक कार्यालय आदेश निकाला और कुछ फर्मों को रेस्टोरेंट की श्रेणी में नहीं मानते हुए चोरी छिपे वाणिज्यि गतिविधियां शुरू करा दी।

नाहरगढ़ अधीक्षक की इस कार्रवाई से जिला कलेक्टर जयपुर पर एनजीटी के आदेशों की अवमानना का संकट खड़ा हो गया है, क्योंकि एनजीटी ने आदेशों की पालना के लिए जिला कलेक्टर को नोडल ऑफिसर बना रखा है। हैरानी की बात यह है कि अधीक्षक की ओर से फोर्ट पर वाणिज्यिक गतिविधियां शुरू कराने से पहले जिला कलेक्टर से कोई इजाजत नहीं ली। यदि जिला कलेक्टर से इजाजत ली जाती तो अधीक्षक की ओर से निकाले गए कार्यालय आदेश की एक कॉपी जिला कलेक्टर के पास भी जाती, लेकिन कार्यालय आदेश की कॉपी जिला कलेक्टर को नहीं भेजी गई।

नाहरगढ़ अभ्यारण्य के लिए बनी ईडीसी के सदस्यों ने एनजीटी के आदेशों की पालना की वस्तुस्थिति की जानकारी लेने के लिए नाहरगढ़ फोर्ट का दौरा किया तो उन्हें यहां वाणिज्यिक गतिविधियां जारी मिली। समिति के अध्यक्ष राजेंद्र तिवाड़ी ने बताया कि फोर्ट निरीक्षण में उन्होंने पाया कि फोर्ट के अंदर फूड कोर्ट के नाम से एक रेस्टोरेंट का संचालन किया जा रहा है। वहीं फोर्ट के बाहर गेट पर एक कियोस्क का संचालन पाया गया। इन वाणिज्यिक गतिविधियों का संचालन करने वालों ने बताया कि अधीक्षक के आदेशों पर उन्होंने फिर से यह गतिविधियां शुरू की है।

तिवाड़ी ने बताया कि एनजीटी ने पुरातत्व विभाग को फोर्ट का मालिक नहीं माना है, क्योंकि पुरातत्व विभाग फोर्ट के मालिकाना हक के कोई भी दस्तावेज पेश नहीं कर सका था। पुरातत्व विभाग एनजीटी के आदेशों के खिलाफ स्टे के लिए सुप्रीम कोर्ट भी गया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी के आदेशों को स्टे नहीं किया है। ऐसी स्थिति में फोर्ट पर पुरातत्व विभाग का अधिकार शेष नहीं रहा है और उनके द्वारा जारी कार्यालय आदेश शून्य है।

एनजीटी के आदेशों के बावजूद पुरातत्व विभाग वन एवं वन्यजीव अधिनियमों की धज्जियां उड़ाते हुए फोर्ट को रात 10 बजे तक खुला रख रहा है, जबकि अभ्यारण्य में सूर्यास्त के बाद किसी का भी प्रवेश निशेध है। फोर्ट की पार्किंग भी एनजीटी के आदेशों के तहत वन विभाग को नहीं संभलवाई गई है, जो एनजीटी के आदेशों की खुली अवमानना है। नाहरगढ़ अधीक्षक द्वारा उच्च न्यायालयों के आदेशों की अवमानना लोक सेवक आचरण के विरुद्ध है और अपराध की श्रेणी में आता है।

ऐसे में जिला कलेक्टर नाहरगढ़ फोर्ट अधीक्षक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के लिए पुलिस उपायुक्त उत्तर को निर्देशित करें, फोर्ट के अंदर और बाहर संचालित वाणिज्यिक गतिविधियों को तुरंत बंद कराया जाए, पार्किंग का चार्ज वन विभाग को दिलाया जाए और नाहरगढ़ अधीक्षक के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए पुरातत्व विभाग को निर्देशित किया जाए।

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