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जयपुर के पूर्व राजपरिवार ने वापस मांगा पुराना विधानसभा भवन: हाईकोर्ट में लंबी सुनवाई, अब फैसले का इंतजार

जयपुर के परकोटे इलाके में स्थित पुरानी विधानसभा भवन को पूर्व राजपरिवार ने सरकारी उपयोग के लिए दिया था। हाईकोर्ट में हुई सुनवाई में पूर्व राजपरिवार के सदस्यों ने भवन को वापस लेने की याचिका दायर की है। उनका दावा है कि सरकार ने जो शर्तें रखी थीं उनकी पालना नहीं की जा रही है।
जयपुर शहर के परकोटा इलाके में स्थित पुराना विधानसभा भवन जयपुर के पूर्व राजपरिवार की प्रोपर्टी थी। राजपरिवार ने कुछ शर्तों पर विधानसभा टाउन हॉल और होमगार्ड कार्यालय भवन को सरकारी उपयोग के लिए दे दिया था। पिछले दिनों पूर्व राजपरिवार की सदस्य पद्मिनी देवी और अन्य की ओर से हाईकोर्ट में याचिका लगाते हुए टाउन हॉल और लेखाकार भवन को वापस देने की अपील की गई।
पूर्व राजपरिवार ने दी यह दलीलें
याचिका में कहा गया कि जिन शर्तों पर इन भवनों को सरकारी उपयोग के लिए दिया था। उन शर्तों की पालना नहीं हो रही है। लिहाजा इस संपति को वापस दिया जाए। राजस्थान हाईकोर्ट में इस मामले में लंबी सुनवाई चली। सुनवाई पूरी हो चुकी है। अब हाईकोर्ट को अपना फैसला देना है कि पुराना विधानसभा भवन पूर्व राजपरिवार के सदस्यों को सौंपना है या सरकार के अधीन रखना है।
सरकार ने अब बदल दिया इनका उपयोग
पूर्व राजपरिवार के सदस्यों की ओर से दायर की गई याचिकाओं में कहा गया था कि टाउन हॉल और लेखाकार भवन पूर्व राजपरिवार की निजी संपति है। सरकार को इसका उपयोग लाइसेंस के आधार पर दिया गया था। इसमें शर्तें यह थी कि जब तक सरकार इन भवनों का उपयोग करेगी तब तक इनका रखरखाव भी करेगी। सरकार ने अब इनका उपयोग बदल दिया है। यहां अंतर्राष्ट्रीय स्तर का म्युजियम बनाया जा रहा है। शर्तों के उल्लंघन का हवाला देते हुए पूर्व राजपरिवार के सदस्यों ने टाउन हॉल और लेखाकार भवन का स्वामित्व वापस देने की अपील की।
सरकार की दलील – भवन उपयोग के लिए सरकार स्वतंत्र है
पूर्व राजपरिवार की ओर से पेश की गई याचिकाओं की सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कहा गया कि टाउन हॉल और लेखाकार भवन आदि संपत्तियां लाइसेंस के जरिए नहीं बल्कि कोवेनेंट के आधार पर सरकार को मिली थी। कोवेनेंट के आधार पर मिली संपत्तियों को वापस नहीं लौटाया जाता। इनका उपयोग सरकार अपने हिसाब से करने के लिए स्वतंत्र है। सरकार के मुताबिक कोवेनेंट के मुताबिक उक्त भवन में केवल विधानसभा संचालन की बातें नहीं लिखी है। हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों के तर्क सुने। सुनवाई पूरी होने के बाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। आने वाले दिनों में हाईकोर्ट अपना फैसला सुनाएगा कि इन संपत्तियों पर आखिर किसका अधिकार है।

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