राजस्थान के जलदाय मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने कहा है कि प्रदेश में जल जीवन मिशन (JMM) में मौजूदा वित्तीय वर्ष तथा वर्ष 2024 तक के लक्ष्यों को निर्धारित समय सीमा में पूरा करने के लिए सभी अभियंता (All Engineers of PHED) और अधिक गति से कार्यों को आगे बढ़ाएं। उन्होंने प्रोजेक्ट एवं रेग्यूलर विंग के सभी अधिकारियों को निर्देश दिये कि वे अब कमर कसकर लक्ष्यों को साधने के एकसूत्री अभियान में जुट जाएं।
डॉ. कल्ला बुधवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग (वीसी) के माध्यम से राज्य में जल जीवन मिशन की प्रगति की समीक्षा के लिए आयोजित बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में किसी भी स्तर पर तकनीकी प्रक्रियाओं के निष्पादन से लेकर मौके पर ‘हर घर नल कनेक्शन‘ देने में विलम्ब को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। राज्य सरकार द्वारा मिशन के कार्यों में अपेक्षा पर खरा नहीं उतरने को गम्भीरता से लिया जाएगा और सम्बंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाएगी।
हर स्टेज पर टाइम गैप को कम करें
जलदाय मंत्री ने वीसी के दौरान जिला एवं प्रोजेक्ट के आधार पर तकनीकी स्वीकृतियां, टेंडर और कार्यादेश जारी करने के कार्यों की विस्तार से समीक्षा करते हुए निर्धारित समय सीमा में प्रगति की रियल टाइम मॉनिटरिंग के लिए आगामी एक सप्ताह में रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति जारी होने के बाद तकनीकी स्वीकृतियां, टेंडर और कार्यादेश जारी करने की स्टेज में ‘टाइम गैप‘ को कम किया जाये। इसके लिए विभाग के स्तर से सभी कार्यों को पूरा करने के लिए जो टाइमलाइन निर्धारित की गई है, उसकी सभी स्तरों पर सख्ती से पालना हो। उन्होंने जेजेएम के कार्यों में धीमी प्रगति को गम्भीरता से लेते हुए डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, सीकर, बूंदी और जैसलमेर के अधीक्षण अभियंताओं को कारण बताओ नोटिस जारी करने के भी निर्देश दिए।
ग्राउंड वाटर रिचार्ज पर फोकस
डॉ. कल्ला ने कहा कि प्रदेश में जल जीवन मिशन के तहत जिन परियोजनाओं के लिए सतही जल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है, उन प्रोजेक्ट्स से सम्बंधित कार्यों को तत्परता और प्राथमिकता से पूरा किया जाए। उन्होंने सोर्स सस्टेनिबिलिटी पर पूरा फोकस करने के निर्देश देते हुए कहा कि लोगों को जेजेएम में स्वीकृत सभी योजनाओं में लक्षित अवधि तक बिना किसी बाधा के निर्धारित मात्रा में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध हो, इसके लिए सभी स्थानों पर ग्राऊण्ड वाटर रिचार्ज के कार्यों को बड़े पैमाने पर हाथ में लिया जाए। उन्होंने भू-जल स्तर में वृद्धि तथा प्राकृतिक जल स्रोतों के संरक्षण के लिए भी समानांतर गतिविधियों के संचालन की आवश्यकता जताई।
कार्यों में पूर्ण पारदर्शिता बरतें
जलदाय मंत्री ने कहा कि योजनाओं के निर्माण में स्थानीय लोगों की दूरगामी आवश्यकताओं को देखते हुए आने वाले वर्षों में मांग में कितनी बढ़ोतरी होगी, इसका भी आंकलन किया जाए। सभी योजना के कार्यों में पूर्ण पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए और कार्यों की गुणवत्ता से किसी प्रकार का समझौता नहीं हो। उन्होंने प्रदेश में स्कूल एवं आंगबाड़ियों में नल कनेक्शन और विशेष श्रेणी वाले जिलों (एस्पिरेशनल डिस्टि्रक्ट्स) में ‘हर घर नल कनेक्शन के कार्यों में गति लाने के साथ ही जेजेएम में थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन एजेंसी तथा छः जिलों में जिला प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट के चयन के लम्बित कार्यों को इसी माह के अंत तक पूरा करने के निर्देश दिए।
ग्राम जल एवं स्वच्छता समितियों का गठन लगभग पूरा
जलदाय विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) सुधांश पंत ने वीसी में बताया कि प्रदेश के 43 हजार 323 गांवों में से अब तक 43 हजार 202 गांवों में ग्राम जल एवं स्वच्छता समितियों के गठन का कार्य पूरा कर लिया गया है। इसमें 99.72 प्रतिशत के साथ राजस्थान देश का अग्रणी राज्य है। उन्होंने बताया कि गांवों के ‘विलेज एक्शन प्लान‘ (वीएपी) तैयार करने के कार्य में भी पिछले दिनों में तेजी आई है, अब तक 6804 से अधिक वीएपी बना लिये गये है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि शेष बचे गांवों के वीएपी तैयार कराकर उनका आगामी 15 अगस्त और 2 अक्टूबर को आयोजित होने वाली ग्राम सभाओं में अनुमोदन कराए।
पेयजल एवं निर्माण सामग्री की जांच
पंत ने वीसी में निर्देश दिये कि जनता के स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशील रहते हुए सभी अधिकारी अपने दौरों में ‘फील्ड टेस्टिंग किट‘ का स्वयं उपयोग करते हुए पेयजल गुणवत्ता जांच को अपनी आदत बनाए। इस किट से लोगों की उपस्थिति में पेयजल के नमूने लिए जाएं क्लोरीन, पीएच और टीडीएस की मात्रा का परीक्षण कर आवश्यक कदम उठाए जाए। उन्होंने सभी अधिकारियों को निर्माण कार्यों की क्वालिटी जांच के लिए भी अपनी विजिट के दौरान सैम्पल एकत्रित कर उसकी जांच कराने के भी निर्देश दिए।